अपनी बात

इस बार का रक्षाबंधन अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत के खिलाफ छेड़े गये ट्रेड वार का हर भारतीयों से मुंहतोड़ जवाब देने की मांग कर रहा है

इस वर्ष का रक्षाबंधन सामान्य नहीं हैं। इस वर्ष का रक्षाबंधन आपसे/हमसे कुछ कह रहा है। रक्षाबंधन के महत्व को समझिये। रक्षाबंधन को सीमित मत करिये। इसकी व्यापकता को समझिये। अगर आपने इसकी व्यापकता व रहस्य को समझ लिया तो आप का जीवन और आपका/हमारा राष्ट्र धन्य हो गया। उसकी आर्थिक संप्रभुता बच गई, नहीं तो आपका रक्षाबंधन मनाना और नहीं मनाना दोनों एक सा है।

आम तौर पर हमारे देश में रक्षाबंधन को लोग भाई-बहनों के त्यौहारों तक सीमित कर दिया है और इसमें भूमिका निभाई है। मुगल कालीन एक कहानी जो हुमायूं और कर्णावती से संबंधित है और दूसरी इसकी भरपाई कर दी हैं फिल्मी कलाकारों व गीतों ने। लेकिन क्या सचमुच यह पर्व सिर्फ भाई और बहन से संबंधित हैं।

अगर हम धार्मिक व आध्यात्मिक वांग्मय को पलटें, तो इसकी शुरूआत होती है – देवासुर संग्राम से। जब इंद्राणी इंद्र को असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए उनके कलाई पर रक्षासूत्र बांधती है और यह कामना करती है कि यह रक्षासूत्र उन्हें हर प्रकार की बाधाओं से विजय दिलाये। आज भी जब हमारे यहां यज्ञ, पूजा-पाठ, वैवाहिक समारोह या कोई भी धार्मिक कार्य प्रारंभ होता हैं तो उसमें रक्षासूत्र बांधने का विधान है।

तो क्या इन धार्मिक कार्यों में भी बहनें भाई को रक्षासूत्र बांधती है। यहां तो आम तौर पर ब्राह्मण ही यजमान को रक्षासूत्र बांधकर उनकी हर प्रकार से रक्षा हो, इसका आशीर्वाद देते हैं। इसलिए एक बार फिर मैं कहूंगा कि आप रक्षाबंधन के महत्व को समझिये, क्योंकि एक स्वयं को ताकतवर माननेवाला देश अमेरिका ने इस बार भारत को आंख दिखाई है।

भारत के आर्थिक संप्रभुता को चुनौती दी है। भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कहा है और उस अमरीकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बातों में हमारे देश के एक प्रमुख विपक्षी दल के नेता ने हां में हां मिलाई है। कई अन्य विपक्षी दल के नेता व देश में छुपे पत्रकार के वेश में गद्दार भी अपने यू-ट्यूब चैनलों के माध्यम से अमरीका के सुर में सुर मिला रहे हैं।

तो क्या ऐसे हालात में हम चुपचाप बैठ जाये। नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए। इसलिए आज का रक्षाबंधन यह कह रहा है कि देश पर आर्थिक संकट आया है। देश को इस चुनौती से बाहर निकालना है। इस विपत्ति में हमें न तो विस्मय करना है और न किसी को इसके लिए दोष देना है। दोष देने के लिए बहुत सारे समय मिलेंगे। कटघरे में खड़े करने के लिए बहुत सारे समय हैं। हमें चाहिए कि इस संकट की घड़ी में भारत को कैसे मजबूती प्रदान की जाये। इस पर ज्यादा दिमाग लगाई जाये।

अगर इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो भाई से वचन लें कि उसका भाई स्वदेशी व्रत लेगा और जब तक उसका जीवन है। अपने देश में उत्पादित वस्तुओं का ही सेवन करेगा। ताकि भारत आर्थिक रुप से इस चुनौती का सामना करने में सफल हो। वो अमरीकी वस्तुओं का बहिष्कार करेगा। वो अपने देश से प्यार करेगा। ठीक उसी प्रकार जैसे एक सैनिक युद्ध आने पर देश की रक्षा करते-करते अपने जीवन को उत्सर्ग कर देता है।

हम कैसे स्वीकार कर लें कि हमारे जीवित रहते किसी देश का प्रमुख हमारे देश को चुनौती दे दें। हमारे देश के किसानों-मजदूरों व मछुआरों के खिलाफ आग उगलें। हम कैसे स्वीकार कर लें कि हमारे देश के खिलाफ कोई आग उगले और हम चुप-चाप बैठ जायें। मेरे भाई, आज यह बैठने का दिन नहीं हैं। इस वर्ष का रक्षाबंधन कह रहा है कि भारत का एक-एक भाई अमेरिका के खिलाफ चट्टानी एकता का परिचय देते हुए स्वदेशी वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर, अमरीकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की चूलें हिला दें।

हम इस समय अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है। क्योंकि विश्व के ज्यादातर देशों के प्रमुख जहां अमरीकन राष्ट्रपति के आगे झूके हैं। उनकी चिरौरी की है। हमारे प्रधानमंत्री ने अपने जुबान से उस डोनाल्ड ट्रंप का नाम लेना तक उचित नहीं समझा। हम ऐसे लोगों का जुबान पर नाम ही क्यों लें? हम तो करके दिखानेवाले लोग है।

भारत को चुनौती देकर अमरीका और अमरीका के राष्ट्रपति ने अपना ही कबाड़ा निकालने का प्रबंध कर लिया है। हम अपने देश को बेहतर दिशा में ले जायेंगे। ये वहीं अमेरिका है। जिसने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के शासनकाल में हमें गेहूं देने से मना कर दिया था, तो क्या हम उस समय भूख से मर गये थे। नहीं, हमने उस समय खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की कसमें खाई और उसमें सफल रहें। इस ट्रेड वार में भी हम विजयी होंगे।

अमेरिका ने जो पूरे विश्व में टेरिफ के नाम पर जो ट्रेड वार छेड़ा है। उसका धूरकच्च हम भारतीय ही छुड़ायेंगे। दूसरा कोई नहीं छुड़ा सकता। क्योंकि रक्षाबंधन का दिन हमसे कुछ कह रहा हैं और हम इस रक्षाबंधन के महत्व को समझकर अमेरिका के दिवास्वपन को जरुर चकनाचूर करेंगे। निश्चय ही, हम इस ट्रेडवार में सफल होंगे। भारत को आर्थिक रूप से और मजबूत करने में सफल होंगे।

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