झारखंड में नए 10+2 विद्यालय बनाने की जरूरत, साथ ही उच्चस्तरीय कमेटी गठित हो, जो इन विद्यालयों की जरुरतों और खर्च पर रिपोर्ट दें: सरयू
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने शनिवार को जेकेएस इंटर कालेज में सात क्लास रुम का उद्घाटन किया। इससे जेकेएस कालेज में विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए आधारभूत संरचनाओं की कमी दूर हुई है। इस अवसर पर कालेज की प्राचार्या अनीता सिंह, प्रबंध समिति के सचिव एपी सिंह, प्रबंध समिति के शिक्षा प्रतिनिधि एसपी सिंह आदि उपस्थित थे। श्री राय प्रबंध समिति के अध्यक्ष हैं। प्रबंध समिति ने श्री राय से आग्रह किया था कि जर्जर स्थिति में कालेज के जो कमरे हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाए और नए कमरे बनवाए जाएं। कालेज ने अपने संसाधन से सात कमरों का निर्णाण किया, जिसका उद्घाटन विधायक ने किया।
उद्घाटन के बाद विधायक सरयू राय ने कहा कि झारखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद कालेजों में इंटर की पढ़ाई बंद हो गई है। इसके चलते जो 10+2 कॉलेज और विद्यालय हैं, उन पर विद्यार्थियों की संख्या का बोझ काफी बढ़ गया है। जेकेएस इंटर कालेज में इस बार 2700 विद्यार्थियों ने प्लस टू में नामांकन कराया है। इनके लिए बैठने की जगह और शिक्षकों की कमी थी। आज सात रुम मिल गये। प्रबंध समिति ने कुछ शिक्षकों को भी नियुक्त किया है। इनमें घंटी आधारित शिक्षक भी शामिल हैं। इससे यहां की पढ़ाई का स्तर सुधरेगा। आगे भी जो विकास कार्य होने हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
सरयू राय ने कहा कि झारखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सरकार ने पांच साल विलंब किया। शिक्षा नीति जब लागू भी की गई तो अफरा-तफरी में। एक तो यहां पर्याप्त विद्यालय नहीं हैं। जो हैं, उनमें स्थान, अन्य संसाधनों के साथ-साथ शिक्षकों की कमी है। इसलिए 10+2 के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना मुश्किल हो गया है। सरकार को चाहिए कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के बाद 10+2 की पढ़ाई की गुणवत्ता के बारे में और जो विद्यालय हैं, उनमें संसाधनों को जुटाने के बारे में विशेष पहल करे।
झारखंड में नए 10+2 विद्यालयों को बनाने की जरूरत है। ऐसा नहीं होगा तो जो अभी विद्यालय हैं, उनमें भारी भीड़ होगी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा सकेगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि इसके बारे में उच्च स्तरीय कमेटी बनाए जो सुझाव दे कि 10+2 विद्यालय खोलने के लिए सरकार को कितना वित्तीय संसाधन जुटाना पड़ेगा, स्कूलों की कितनी संख्या बढ़ानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इसके लिए खुद व्यय वहन करना होगा।
ऐसा नहीं होगा तो राज्य में उच्च स्तर की शिक्षा दे पाना संभव नहीं होगा। विडंबना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति तो लागू हो गई परंतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार ने अपनी तरफ से कोई ठोस पहल नहीं किया है। ये नौजवानों के भविष्य से जुड़ा मामला है। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा के क्षेत्र में और ज्यादा बजट का प्रावधान करे ताकि नौजवानों को बेहतरीन शिक्षा मिल सके।