क्लब के सदस्यों को ही एआरओ बना दिये जाने पर रांची प्रेस क्लब में बवाल, क्लब का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता, 14 अयोग्य सदस्यों को वोटर लिस्ट में नाम शामिल कर देने पर आपत्ति दर्ज
रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है। पदाधिकारियों के चुनाव की घोषणा के बाद विभिन्न पदों के लिए प्रत्याशियों ने नामांकन करना भी शुरु कर दिया है। लेकिन इसी बीच रांची प्रेस क्लब के हो रहे चुनाव में एआरओ अर्थात् असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति ने एक नये विवाद को जन्म दे दिया है। चुनाव में शामिल हो रहे प्रत्याशी व रांची प्रेस क्लब के सदस्यों का कहना है कि आज तक रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के चुनाव के इतिहास में ऐसे व्यक्ति को कभी एआरओ नहीं बनाया गया, जो रांची प्रेस क्लब का सदस्य या मतदाता रहा हो।
लेकिन इस बार ऐसा देखा जा रहा है। ऐसे में इसकी जितनी भी आलोचना की जाय, वो कम है। ज्ञातव्य है कि रांची प्रेस क्लब के चुनाव को संपन्न कराने के लिए एआरओ के पद पर कुमार कौशलेन्द्र और प्रभात कुमार सिंह को नियुक्त किया गया है। बताया जाता है कि कुमार कौशलेन्द्र और रांची प्रेस क्लब के वर्तमान सचिव अमरकांत पत्रकारों के लिए बने एक यूनियन में पदाधिकारी भी हैं। जबकि वर्तमान सचिव अमरकांत रांची प्रेस क्लब का चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है।
रांची प्रेस क्लब के एक सदस्य ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि एआरओ अर्थात् असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर, ये कभी भी क्लब के सदस्य नहीं रहे हैं। न दिसम्बर 2017 में, न जनवरी 2020 में, न दिसम्बर 2021 में और न ही दिसम्बर 2023 में। दिसम्बर 2023 में जो चुनाव हुआ था, उस चुनाव में नवम्बर 2023 में एक जज ने चुनाव कराने से इनकार कर दिया था। क्योंकि उन्होंने रांची प्रेस क्लब के अधिकारियों से कई दस्तावेजों की मांग की थी। जिसे उस वक्त उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया था। जिसको लेकर उन्होंने चुनाव कराने से इनकार कर दिया था।
ऐसे हालात में उस वक्त स्थिति विपरीत थी। दिसम्बर में ही चुनाव कराने की बाध्यता थी, तब ऐसे हालात में एक तीन सदस्यीय कमेटी नीलू श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बनाई गई और उन्हें कहा गया था कि आप चुनाव करा दीजिये, उस तीन सदस्यीय कमेटी में पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह और वरिष्ठ फोटोग्राफर दिवाकर प्रसाद को रखा गया था। नीलू जी को मुख्य निर्वाचक पदाधिकारी और बाकी को एआरओ बनाया गया था। लेकिन इन लोगों ने भी उस वक्त चुनाव कराने से इनकार कर दिया।
तब फिर से एक नये जज साहब को बुलाया गया और उक्त जज साहब ने चुनाव संपन्न कराया। वहीं जज साहब फिर से इस बार भी चुनाव कराने आये हैं। इस बार की कमेटी ने उन्हीं से चुनाव कराने का निर्णय ले लिया है। दिसम्बर 2023 में बगैर किसी एआरओ के उन्होंने सात सदस्यीय चुनाव संचालन समिति के साथ मिलकर चुनाव संपन्न कराया था। लेकिन इस बार उन्हें सहयोग के लिए एआरओ दिया जा रहा है, जो क्लब के ही सदस्य है, मतदाता भी है।
रांची प्रेस क्लब के एक सदस्य विद्रोही 24 को बताते है कि रांची प्रेस क्लब के चुनाव में पहले से प्रक्रिया रही हैं कि क्लब का मैनेजर, क्लब का असिस्टेंट और क्लब में एक कर्मचारी है – शिशुपाल या वहां जो दीदियां काम कर रही हैं। यही लोग चुनाव प्रक्रियाओं को संपन्न कराते हैं। जरुरत पड़ने पर क्लब से बाहर के लोगों को पैसा देकर एक महीने के लिए हायर भी किया जाता है। लेकिन इस बार कमेटी किसी को हायर नहीं कर रही। कमेटी सिर्फ क्लब के मेंबरों को एआरओ बना रही हैं। जबकि 2023 में संविधान संशोधन जो हुआ था।
उसमें यह प्रावधान किया गया था कि क्लब के लोगों की ही एक चुनाव संचालन समिति बनाई जायेगी, जो चुनाव में जज साहेब के निर्देश पर काम करेगी। वो एआरओ नहीं बनेगी, बल्कि उन्हें चुनाव में सहयोग करेगी। यही कारण था कि पिछली बार सात सदस्यीय कमेटी बनी, जिसने चुनाव में खुब सहयोग भी किया। जज साहेब के दिशा-निर्देशों का पालन किया था। जिसकी सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा भी की थी। इस बार भी सात सदस्यीय कमेटी बनी है। लेकिन उस सात सदस्यीय कमेटी के अलावे भी एआरओ बनाया जा रहा हैं, जिसको लेकर विवाद है।
इसी बीच कुछ लोगों ने एआरओ के मुद्दे पर पिटीशन, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को दिया है। जिसमें लगभग साठ सदस्यों ने साइन किया है। जिसमें 7-8 बिन्दु हैं, उस पर निर्णय होना है। जज साहेब ने उक्त पिटीशन को सात सदस्यीय चुनाव संचालन समिति को सौंप दिया हैं, तथा पूरे मामले की जांच करने का आदेश, सात सदस्यीय कमेटी के कन्वेनर को दिया तथा इसकी वास्तविकता क्या हैं? पता लगाने को कहा है।
इसी बीच रांची प्रेस क्लब के सदस्य व पूर्व कोषाध्यक्ष सुशील कुमार सिंह मंटू ने एक पिटीशन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपा है। जिसमें इस बात की चर्चा है कि जो वोटर लिस्ट जारी किया गया है। उसमें 14 अयोग्य मतदाताओं का नाम शामिल हैं। इन मतदाताओं को नियमों का उल्लंघन करते हुए जोड़ा गया हैं, जिसे मतदाता सूची से हटाने का अनुरोध किया गया है।
