अपनी बात

सावन की तीसरी सोमवारी, समाचार बाबा वैद्यनाथ का और रांची से प्रकाशित प्रभात खबर, हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण के अलग-अलग दावें, ऐसे में सच कौन बोल रहा?

कल सावन की तीसरी सोमवारी थी। समाचार झारखण्ड स्थित ज्योतिर्लिंग बाबा वैद्यनाथ से जुड़ा था और रांची के प्रमुख अखबार, अलग-अलग दावें पेश कर रहे थे। अब ऐसे में किसकी बात सत्य मानी जायें। जब विद्रोही24 ने इन अखबारों की सच्चाई जाननी चाही, तो एक अखबार को छोड़कर सत्य के आगे कोई नहीं टिका।

इस संबंध में जब विद्रोही24 ने राज्य के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग मुख्यालय से पूछताछ की कि कम से कम वे बताएं कि देवघर प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कह रहा हैं, जिस मुद्दे पर राजधानी रांची के अखबार अलग-अलग दावें पेश कर रहे हैं। तो वहां से विद्रोही24 को कोई सूचना ही उपलब्ध नहीं हो सकीं। ऐसे में फिर सवाल यहीं उठता है कि यहां गलत कौन और सही कौन?

रांची से अखबार नहीं आंदोलन तथा झारखण्ड का सर्वाधिक प्रसारित हिन्दी दैनिक का दावा करनेवाला प्रभात खबर के अनुसार तीसरी सोमवारी के दिन बाबाधाम में ढाई लाख भक्तों ने जलार्पण किया। दैनिक भास्कर का कहना था कि सोमवार की रात पट बंद होने तक चार लाख से अधिक कांवरियों ने बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक किया। दैनिक जागरण का दावा था कि कल साढ़े तीन लाख कांवड़ियों ने बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक किया और हिन्दुस्तान का दावा था कि तीसरी सोमवारी के दिन देवघर में रिकार्ड 3.64 लाख कांवड़ियों ने बाबा का जलाभिषेक किया।

इसी बीच जब विद्रोही24 ने देवघर के वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र सिंह से संपर्क किया और इसकी सच्चाई जाननी चाही तो उन्होंने देवघर जिला प्रशासन की प्रेस विज्ञप्ति ही हमें संप्रेषित कर दी। जिसमें देवघर जिला प्रशासन ने बताया कि बाह्य अर्घा के माध्यम से 1,97,896 व आंतरिक अर्घा से 1,66,425 यानी कुल 3,64,321 कांवरियों ने बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक किया।

अगर जिला प्रशासन देवघर द्वारा दिये गये समाचार और रांची के प्रमुख अखबारों में प्रकाशित समाचारों की तुलना करें तो रांची से प्रकाशित अखबार हिन्दुस्तान की खबर और देवघर जिला प्रशासन की खबर में समानता है। बहुत हद तक दैनिक जागरण ने भी ठीक-ठाक समाचार छापे हैं। लेकिन प्रभात खबर और दैनिक भास्कर ने अपनी विश्वसनीयता खो दी हैं, क्योंकि दोनों के समाचार पूर्ण रुपेण गलत हैं। क्योंकि प्रभात खबर ने जलाभिषेक करनेवालों की संख्या ढाई लाख और दैनिक भास्कर ने चार लाख बता दी, जिसका सत्य से कोई लेना-देना नहीं।

रांची के कुछ बुद्धिजीवियों ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि आखिर जब दुनिया डिजिटल युग में पहुंच गई हैं। जहां एक-एक आदमी की गणना हो जाती है। वहां ये अखबार वाले गलत समाचार छाप कर लोगों को क्यों भरमाते हैं? खुद रांची में रहकर प्रमुख अखबारों में एक ही समाचार में इतनी असमानता बताती है कि अब अखबारों में काम करनेवाले लोग सत्य निष्ठा के साथ काम नहीं करते और अपने पाठकों तक सत्य समाचारों को पहुंचाने में रुचि नहीं रखते। अगर इनलोंगों की हरकतें ऐसी ही रही तो ये आनेवाले समय में अपनी विश्वसनीयता इसी तरह खोते रहेंगे।

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