राजनीति

पिछले दिनों झारखंड के नीलांबर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, मेदिनीनगर में आयोजित तृतीय दीक्षांत समारोह अब एक बड़े विवाद के घेरे में

झारखंड के नीलांबर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, मेदिनीनगर में आयोजित तृतीय दीक्षांत समारोह (6 अक्टूबर 2025) अब एक बड़े विवाद में घिर गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप है कि उसने कुलाधिपति सह राज्यपाल के हाथों से फर्जी तारीख वाले प्रमाणपत्र वितरित करवाए, जिससे हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है।

जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय ने पहले दीक्षांत समारोह की तारीख 03 अक्टूबर 2025 निर्धारित की थी। बाद में किसी कारणवश यह समारोह 06 अक्टूबर 2025 को आयोजित किया गया, लेकिन कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुरानी तिथि (3 अक्टूबर) के प्रमाणपत्र पहले ही छपवा लिए और छपने से पहले ही 29 सितंबर को हस्ताक्षर कर दिए और उन्हीं फर्जी प्रमाणपत्रों का वितरण माननीय कुलाधिपति महोदय के कर-कमलों से करवा दिया।

छात्र संगठन अखिल पलामू छात्र संघ (आपसू) ने इसे “कानूनी अपराध और संवैधानिक मर्यादा का खुला उल्लंघन” बताते हुए कुलपति की बर्खास्तगी और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। आपसू के केंद्रीय संयोजक राहुल कुमार दुबे ने कहा “यह विश्वविद्यालय स्तर की सबसे बड़ी गलती है। कुलपति के नेतृत्व में दीक्षांत समारोह की तिथि बदलने के बावजूद पुराने दिनांक वाले प्रमाणपत्रों की छपाई करवा कर कुलाधिपति हाथों से फर्जी प्रमाणपत्र बंटवाना न केवल संविधान का अपमान है बल्कि छात्रों के भविष्य से सीधा खिलवाड़ है। यह एक सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है।” यह स्पष्ट रूप से फर्जीवाड़ा है। ऐसे में इन प्रमाणपत्रों की वैधता स्वतः संदिग्ध हो जाती है।”

राहुल दुबे ने कुलाधिपति सह राज्यपाल झारखंड को भेजे ज्ञापन में कहा कि समारोह में “कुलाधिपति” की जगह “कुलाघिपति” लिखे पोस्टर और बैनर लगाए गए, जो संवैधानिक पद का अपमान है। छात्र संगठनों को बुलाकर फिर उन्हें बहिष्कार के लिए उकसाया गया, जिससे कार्यक्रम की गरिमा भंग हुई।

करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद समारोह में भयंकर अव्यवस्था और कुप्रबंधन देखा गया, जो संभावित घोटाले की ओर संकेत करता है। छात्र संघ ने मांग की है कि — नीलांबर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के कुलपति को तत्काल बर्खास्त किया जाए। इस पूरे प्रकरण में दोषी पदाधिकारियों को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाए। सभी फर्जी प्रमाणपत्र निरस्त कर सही तिथि (06 अक्टूबर 2025) वाले प्रमाणपत्र पुनः वितरित किए जाए। समारोह के खर्च की विशेष ऑडिट (Special Audit) कराई जाए।

छात्र संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। यह केवल विश्वविद्यालय की नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की शैक्षणिक व्यवस्था की साख का मामला है। फर्जी प्रमाणपत्र वितरण की यह घटना आने वाले दिनों में राज्य के शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर सकती है।

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