राजनीति

हमें 15 तक जो सम्मानजनक सीटें देनी हैं, महागठबंधन के नेता दे दें, नहीं तो हम स्वतंत्र पार्टी की तरह हाथ बांध कर खड़े नहीं हैं, हमें भी फार्म ए और फार्म बी साइन करना आता हैः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार के लोग चुनाव के लिए तैयार है। वहां के लोगों ने निर्णय ले लिया है कि वर्तमान वहां की सरकार को उखाड़ कर, नई महागठबंधन की सरकार बनाना है, ताकि महंगाई, बेरोजगारी, पलायन आदि समस्याओं को नियंत्रित कर, सही मायनों में लोकतंत्र की स्थापना हो सके।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी बिहार है। हम उसके पड़ोसी राज्य है। हम भी बिहार से अलग हुए और हमारी भी लोकतंत्र में उतनी ही आस्था है। 2019 में जिस प्रकार झारखण्ड के लोगों ने झामुमो को सत्ता सौंपा, बाद में तीन वर्ष जिस प्रकार से कोरोना को हमलोगों ने झेला और उसके बाद जिस प्रकार से केन्द्र द्वारा हमें डिस्टर्ब करने की कोशिश की गई। उसके बाद भी 2024 में हमारे राज्य की जनता ने हमें दुबारा सत्ता सौंपा। इससे बिहार में दुबारा उत्साह का संचार हुआ।

उन्होंने कहा कि हमारा जो बिहार का रिश्ता है, वो न केवल बेटी-रोटी का है, बल्कि बड़े भाई और छोटे भाई का है। सच्चाई यही है कि जिस प्रकार से झारखण्ड में हेमन्त सोरेन ने शासन दिया है। उसे देखकर बिहार के लोगों में भी उत्साह है कि झारखण्ड के जैसा शासन और जीवन स्तर उन्हें भी प्राप्त हो। उनका बदलाव का मन है। हमारा भी दायित्व बनता है, क्योंकि वहां आदिवासी, मूलवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक है, जो पिछले 20 वर्षों से कोल्हू के बैल की तरह पीसते चले जा रहे हैं। हमें उन्हें उन परिस्थितियों से मुक्ति दिलानी है।

सुप्रियो ने कहा कि हम महागठबंधन के साथ है और उन्हीं के साथ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन हमारी तैयारी अपनी होगी। वहां जो घटक दल है। चाहे वो राजद हो या कांग्रेस या माले हो। हमने अपने चुनाव में सम्मानजनक उन्हें भागीदारी दी थी। 2019 में हमने राजद को सात सीटें दी थी। उसमें राजद ने मात्र एक सीट जीती थी। चतरा से जीत मिली थी। गठबंधन धर्म की आस्था को मजबूत बनाते हुए हमने राजद के उस एक विधायक को भी पांच वर्षों तक मंत्री बनाए रखा। इस बार भी हमने राज्य की पांच प्रतिशत सीटें राजद को दी और उसमें भी चार सीटें, जिनमें उनका प्रतिनिधि आज भी मंत्री के पद पर डटे हैं। वो इसलिए क्योंकि हम गठबंधन धर्म को निभाना जानते हैं।

सुप्रियो ने कहा कि हमने महागठबंधन के नेताओं से कहा है कि हमें सम्मानजनक सीटे उपलब्ध करा दें ताकि हम अपनी ओर से तैयारी कर सकें। जो चुनाव लड़नेवाले हैं, उनके आवेदन आ चुके हैं। हम 15 को केन्द्रीय समिति की बैठक करेंगे। जो उन्हें सीटें देनी है। दे दें। नहीं तो हम स्वतंत्र पार्टी की तरह हाथ बांध कर खड़े नहीं हैं। हमको भी फार्म ए और फार्म बी साइन करना आता है। चुनाव लड़ना भी आता है और भाजपा के खिलाफ कैसे चुनाव लड़ा जाता हैं, वो हमने झारखण्ड में चुनाव लड़कर दिखा भी दिया है।

उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते गठबंधन में किसी प्रकार का कन्फ्यूजन हो, क्योंकि कन्फ्यूजन का फायदा कोई दूसरा उठा लें। ये हम चाहेंगे भी नहीं। हम चाहते है कि हमारी केन्द्रीय समिति की बैठक के पूर्व सारी स्थितियां-परिस्थितियां समान हो। क्योंकि कई सीटें ऐसी हैं जहां हम उनको चुनाव में मदद नहीं करेंगे, हमारे नेता-कार्यकर्ता कैंपेन नहीं करेंगे। तो उसका घाटा महागठबंधन को होना सुनिश्चित हैं। हम घाटशिला भी उतनी ही मजबूती से लड़ेंगे। घाटशिला का निर्णय भी 15 को करेंगे और दोनों यानी घाटशिला और बिहार के विधानसभा चुनाव में हर प्रकार की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने विपक्षियों को धराशायी करेंगे। हम मजबूती के साथ बिहार में चुनाव लड़ेंगे। सम्मानजनक सीटें जो मिलेंगी, उस पर हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

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