कैलाश मानसरोवर की दुर्गम यात्रा श्रद्धा, विश्वास के साथ आध्यात्मिक स्पन्दन महसूस करने का दिव्य केन्द्रः चित्राक्षी
जो आध्यात्मिक हैं। जिसकी आत्मा शिव में बसती है। जिसका लक्ष्य ही रहा है -ईश्वर प्राप्ति। ऐसे लोग अपने जीवन काल में कम से कम एक बार कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की चाहत अवश्य रखते हैं। ऐसे देखा जाय, तो जो सनातनी है। जिनकी मान्यता सनातनी मूल्यों में रही हैं, वे कैलाश मानसरोवर की कल्पना कर ही स्वयं को आत्मविभोर कर लेते हैं। ऐसे ही एक नवयुवती चित्राक्षी कुमार से विद्रोही24 की आज बात हुई। जो कुछ दिन पहले ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर रांची लौटी है।
चित्राक्षी के अनुसार कैलाश मानसरोवर यात्रा साहस, श्रद्धा, विश्वास के साथ-साथ आध्यात्मिक स्पनन्दन को महसूस करने का सर्वोत्तम केन्द्र-बिन्दु है। चित्राक्षी बताती हैं कि वो विश्व की सबसे दुर्गम और आध्यात्मिक स्पनन्दन को महसूस करने वाली विश्व की पवित्र यात्राओं में से एक यात्रा कैलाश मानसरोवर (तिब्ब्त-चीन) सफलतापूर्वक पूरी की और जो इस आध्यात्मिक यात्रा में जो उन्हें आध्यात्मिक स्पनन्दन महसूस हुआ। उसका वर्णन वो शब्दों में नहीं कर सकती। सचमुच ये यात्रा उनके जीवन के लिए अतिमहत्वपूर्ण यात्राओं में से एक रहा है।
चित्राक्षी कितनी आध्यात्मिक है। उसका पता इसी से चल जाता है कि अभी उनकी उम्र उतनी नहीं हुई। लेकिन उसके बावजूद भी वो भारत की सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पूर्ण कर चुकी है। आम तौर पर धर्म और आध्यात्मिकता की बात लोग तब करते हैं, जब उनका जीवन अंतिम पड़ाव पर होता है। लेकिन चित्राक्षी ने अपने जीवन के पहले पड़ाव में ही आध्यात्मिकता और ध्यान को अपना कर मन की शांति को प्राप्त करने का पहला मार्ग चुना है।
चित्राक्षी ने विद्रोही24 को बताया कि उनके पिता राजीव कुमार झारखण्ड के पूर्व पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं और वो स्वयं अधिवक्ता है। चित्राक्षी ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया था और जो भी इस यात्रा के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज चाहिए थे, वो सुपूर्द किये थे। जल्द ही उन्हें इस यात्रा की अनुमति भी मिल गई।
चित्राक्षी ने 52 किलोमीटर की पदयात्रा बर्फीले तूफ़ानों, ऑक्सीजन की कमी और खतरनाक रास्तों के बीच पूरी की तथा 18,640 फीट ऊँचे डोल्मा पास को पार कर पवित्र गौरीकुंड का दर्शन किया। उन्होंने कैलाश पर्वत की पवित्र परिक्रमा करने के बाद चित्राक्षी ने मोक्षदायिनी मानसरोवर झील के हिमशीतल जल में स्नान भी किया।
अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा— यह यात्रा कठिनाइयों से भरी जरुर थी, परंतु चित्राक्षी का हर कदम एक दिव्य अनुभव की ओर ले जा रहा था। मानसरोवर में स्नान करना और कैलाश दर्शन करना जीवन का सबसे अहम सुखद आध्यात्मिक क्षण था। अल्प आयु में चित्राक्षी के द्वारा पूरी की गयी पवित्र तीर्थयात्रा और उनके अनुभव निश्चय ही युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक रहेगा।