अपनी बात

जिस महान व्यक्तित्व ने झारखण्ड को जन्म दिया, उस महान व्यक्तित्व को झारखण्ड के 25वें वर्ष पर सत्तापक्ष-विपक्ष, उत्कृष्ट विधायक और विशेषांक निकालनेवाली मीडिया ने भूलकर कृतघ्नता की सारी हदें पार कर दीं

हाल ही में झारखण्ड ने अपना 25वां स्थापना दिवस यानी रजत जयन्ती उत्सव धूमधाम से मनाया। जब झारखण्ड ने अपना 25वां स्थापना दिवस मनाया तो झारखण्ड विधानसभा कैसे पीछे रहता? उसने भी अपना 25वां स्थापना दिवस यानी रजत जयंती उत्सव खुब धूमधाम से मनाया। बड़े-बड़े विज्ञापन निकाले गये। पूरे शहर और विधानसभा परिसर को बड़े-बड़े होर्डिंगों से सजाया गया।  इस दौरान बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये।

रांची से निकलनेवाले बड़े-बड़े अखबारों ने इस अवसर पर कई दिनों तक विशेषांक निकाले। कई चैनलों ने विशेष परिचर्चा आयोजित की। लेकिन उन विशेषांकों और परिचर्चाओं में कही भी वो महान व्यक्तित्व नहीं दिखा। जिसने झारखण्ड निर्माण में महती भूमिका निभाई। जिसने झारखण्डियों के सपनों को सच कर दिखाया। वो महान व्यक्तित्व थे – भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।

क्या कोई भी झारखण्ड में रहनेवाला व्यक्ति चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा हो या किसी भी अखबार से जुड़ा हो या किसी भी चैनल से जुड़ा हो, क्या वो झारखण्ड निर्माण में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका को नजरंदाज कर सकने की हिमाकत कर सकता है? उत्तर होगा – नहीं। लेकिन यहां तो रजत जयंती उत्सव में ये हिमाकत सभी ने कर दी। विद्रोही24 ने महसूस किया कि स्वर्ग में बैठा वो शख्स निश्चय ही यह महसूस कर रहा होगा कि आखिर किसके लिए उन्होंने झारखण्ड निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। ये लोग तो 25 वर्ष में ही उन्हें भूल गये। आनेवाले स्वर्ण, हीरक जयंती में ये क्या याद करेंगे।

आश्चर्य की बात है कि राज्य सरकार व विधानसभा द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में अटल बिहारी वाजपेयी का न दिखना तो समझ में आता है कि सत्ता में भाजपा के विरोधियों की सरकार हैं। वे भला कैसे याद करेंगे। लेकिन अखबारों/चैनलों व पोर्टलों को क्या हो गया? उन्होंने कृतघ्नता की सारी हदें कैसे पार कर दी? आप क्या परोस रहे हैं? राज्य की जनता को क्या दे रहे हैं? इस पर चिन्तन और विमर्श कौन करेगा?

आश्चर्य तो यह भी है कि विद्रोही24 ने यह महसूस किया कि केवल राज्यपाल और नेता प्रतिपक्ष के मुंह से ही इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के नाम निकले। वो भी तब, जब झारखण्ड विधानसभा में स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। लेकिन, जिस भाजपा विधायक को उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार मिला। विद्रोही24 समझा कि वह व्यक्ति उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार मिलने के बाद विधानसभा परिसर में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के समक्ष जाकर उन्हें नमन करेगा। फिर उक्त फोटो को अपने सोशल साइट आदि पर डालेगा। वो भी देखने को नहीं मिला।

यहां तक की भाजपा कार्यालय में भी झारखण्ड स्थापना दिवस पर कोई कार्यक्रम नहीं आयोजित हुआ और न ही इसके लिए अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया गया। जब विद्रोही24 ने इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से बात की, तब उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यालय में इस प्रकार का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था।

विद्रोही24 ने 15 नवम्बर को पूरे रांची का चक्कर लगाया कि कही भी झारखण्ड के निर्माण में महती भूमिका निभानेवाले, झारखण्डियों के सपनों को साकार करनेवाले महान व्यक्तित्व अटल बिहारी वाजपेयी का फोटो दिख जाये, नहीं दिखा। विद्रोही24 ने सोचा कि जब झारखण्ड विधानसभा का स्थापना दिवस मनेगा तो सत्ता और विपक्ष के सारे विधायक विधानसभा परिसर में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा के पास जाकर उनकी इस देन के लिए राजनीति से उपर उठकर कृतज्ञता के दो फूल श्रद्धांजलि स्वरूप चढ़ायेंगे।

पर ऐसा देखने को नहीं मिला। शायद, इन लोगों को ये नहीं पता कि जो व्यक्ति, जो संगठन, जो दल, जो संवैधानिक संस्थाएं अपने महापुरुषों के व्यक्तित्व और कृतित्व को, उनके योगदान को एक महत्वपूर्ण समय पर भूल जाती है। वो व्यक्ति, वो संगठन, वो दल, वो संवैधानिक संस्थाओं का भी कालांतराल में नामलेवा कोई नहीं बचता।

दुर्भाग्य है इस राज्य का, जहां अखबार-चैनल भी कृतघ्नता की सारी हदें पार कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो इन अखबारों-चैनलों को समूल नष्ट होने में कितना समय लगेगा? वे खुद ही समझ लें। ऐसे भी इन अखबारों व चैनलों में काम करनेवाले लोग खुद को पता लगा लें कि उनकी छवि राज्य की जनता के बीच में क्या हैं? शायद उनके इन्हीं हरकतों के कारण राज्य की जनता इन्हें फ्यूज बल्ब से ज्यादा कुछ नहीं समझती।

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