राज्यपाल बोलेः बाल मेला जैसे आयोजन में आना सुखद अनुभव, मोबाइल की दुनिया में कैद बच्चों को समाज से जोड़ना बड़ी चुनौती
झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने इस बात पर चिंता जताई कि आज के जमाने के बच्चे मोबाइल की दुनिया में कैद होकर रह गये हैं। समाज में क्या हो रहा है, इसकी उन्हें कोई चिंता नहीं। बड़ी चुनौती ये है कि हम लोग कैसे उन्हें समाज से जोड़ें। वह साकची में चल रहे चतुर्थ बाल मेला में बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि बाल मेला जैसे आयोजन में आना सुखद अनुभव है। यह मेला बचपन की मासूमियत और भविष्य की दिशा के बारे में बात करता है। बच्चों के अधिकारों और विकास के बहुत काम करना शेष हैं। खास कर झारखंड में बहुत काम करने की जरूरत है। झारखंड में कुपोषण बड़ी समस्या है। कुपोषण को दूर करने के लिए जो प्रयास करने हैं, उन्हें तीव्र गति से करना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि बाल मेला केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों—माता-पिता, शिक्षक, डॉक्टर, नर्स, जन-प्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएँ, कॉरपोरेट जगत, मीडिया और अन्य नागरिक समाज को एक मंच पर लाने का माध्यम बन रहा है। बच्चों के विकास में स्नेह, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा और अवसर की उपलब्धता, ये पाँच आधार स्तंभ हैं जिन पर एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र की नींव रखी जाती है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के हमारे जनजातीय भाई-बहनों की यह मान्यता है कि बच्चा केवल परिवार का नहीं, पूरे समुदाय का होता है। यह मान्यता दुनिया को सामुदायिक सहयोग और सामूहिक जिम्मेदारी का अमूल्य संदेश देती है। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने बच्चों की प्रतिभा देखी है। इन्हें प्रकृति से बेहद प्यार है। यही हमारी वास्तविक पूंजी हैं। वह चाहते हैं कि माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने, सपने देखने की पूरी छूट दें, उनकी सुनें और बढ़िया माहौल दें। बालिका शिक्षा पर खास ध्यान दें। एक बेटी शिक्षित होगी तो समाज मजबूत होगा। बच्चे आज की प्राथमिकता हैं। माहौल ऐसा बने जहां बच्चे स्वस्थ, शिक्षित और खुशहाल होकर आगे बढ़ सकें।
उन्होंने कहा कि 2022 में विधायक सरयू राय की प्रेरणा से आरम्भ हुआ यह बाल मेला आज बच्चों के अधिकार, पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरण का एक सशक्त मंच बन चुका है। राष्ट्रीय बाल दिवस (14 नवंबर) से विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के मध्य आयोजित यह मेला वास्तव में बचपन की मासूमियत, उज्ज्वल उम्मीदों और भविष्य की संभावनाओं का उत्सव है। इस वर्ष विश्व बाल दिवस का विषय “प्यार से पालन-पोषण–विश्व का नेतृत्व” यह संदेश देता है कि प्रेमपूर्ण, सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण ही राष्ट्र के भावी नागरिकों को सशक्त बनाता है।
इसके पूर्व उन्होंने 40 पन्नों वाली बहुरंगी स्मारिका का विमोचन किया। इस स्मारिका का संपादन आनंद सिंह ने किया है। संपादक मंडल के सदस्यों में डॉ. त्रिपुरा झा, चंद्रदीप पांडेय और अनीता शर्मा शामिल हैं। राज्यपाल को उनका पोट्रैट और बाल मेला से संबंधित चित्र भेंट किये गए। बाल मेला से संबंधित चित्र जाने-माने आर्टिस्ट विप्लव दा ने बनाया है जबकि उनका पोट्रैट दीपांकर कर्मकार ने बनाया है।
इसके पूर्व अपने भाषण में जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा कि बाल मेला का पहला आयोजन 2022 में किया गया। 2020-21 में जब लॉकडाउन था, उनका निवास किचेन में बदल गया था। हजारों लोगों के लिए भोजन बनता था। साथी-सहयोगी जान जोखिम में डाल कर भोजन वितरण करते थे। दो वर्षों में हमने देखा कि ज्यादातर बच्चे ही कोरोना के प्रतिकूल शिकार हुए। यह उनकी मानसिकता में भी परिलक्षित हो रहा था। बच्चों का विकास सही तरीके से हो, इसे ध्यान में रख कर 14 नवंबर को बाल दिवस के दिन इसकी शुरुआत की गई। विश्व बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है, उस दिन बाल मेला का समापन होता है।
सरयू राय ने कहा कि बच्चे सशक्त हों, मेधावी हों, देश को आगे बढ़ाएं, यही हमारी सोच थी। इस बाल मेला में सरकारी-निजी विद्यालयों ने बच्चे तो भेजे ही, प्रशिक्षक भी भेजे। हर वो प्रतियोगिता, जो जमशेदपुर में होती है, इस बाल मेले में भी होती है। अगला बाल मेला किसी बड़े स्थान पर करेंगे ताकि झारखंड भर की सहभागिता हो सके।
श्री राय ने कहा कि बच्चों के मनोविज्ञान पर जो प्रतिकूल असर पड़ रहा था, उसे खत्म करना था और बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जो भी करना जरूरी है, किया जा रहा है। वैसे बच्चों को भी बाल मेले से जोड़ा, जो किसी स्कूल में नहीं जाते। उनके लिए भी मेले में प्रतियोगिताएं कराई गई हैं। जमशेदपुर बाल मित्र जिला बने, इसके लिए हम लोग प्रयासरत हैं। जमशेदपुर घोषणापत्र नाम से एक घोषणा पत्र जारी करेंगे। उन्होंने बताया कि 4200 बच्चों ने 18 विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है आज तक।
इसके पूर्व राज्यपाल के बोधि मैदान परिसर में पधारने पर पीएमश्री कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, पटमदा की छात्राओं ने बैंड बजाकर उनकी अगवानी की। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वागत क्रम में आशुतोष राय ने राज्यपाल का अंगवस्त्र, और पौधा देकर स्वागत किया। अंशुल शरण ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह दिया। राघवेंद्र प्रताप सिंह ने विधायक सरयू राय का सम्मान किया।
सुशील खड़के ने सरयू राय को स्मृति चिन्ह दिया। तारक मुखर्जी ने रमेश अग्रवाल का सम्मान किया। सुधीर सिंह ने रमेश अग्रवाल को स्मृति चिन्ह दिया। सुनील सिंह ने गोविंद दोदराजका का सम्मान किया। उषा यादव ने गोविंद दोदराजका को स्मृति चिन्ह दिया। कुंवर अतुल सिंह ने आशुतोष राय का सम्मान किया। ममता सिंह ने आशुतोष राय को स्मृति चिन्ह दिया। प्रकाश कोया ने अंशुल शरण का स्वागत किया। रीना ने अंशुल शऱण को स्मृति चिन्ह दिया।
स्वागत भाषण गोविंद दोदराजका ने दिया। उन्होंने कहा कि सरयू राय इस राज्य के सबसे बौद्धिक विधायक हैं। यह बाल मेला नगर की पहचान बन गई है। मेला संयोजक मनोज कुमार सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस मौके पर रवींद्र सिंह, नीरज सिंह, अमरप्रीत सिंह काले, सुधांशु ओझा, दिलीप गोयल, रिटायर्ड आईपीएस संजय रंजन सिंह, सुबोध श्रीवास्तव, आफताब सिद्दिकी, शैलेंद्र सिंह, शंभू सिंह, मंटू सिंह, विनोद राय, पप्पू सिंह, अभिषेक भालोटिया समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
