राजनीति

किसी भी विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं होता, बल्कि वह उस संस्था की विचारधारा, उपलब्धियों और समाज द्वारा उसके प्रति व्यक्त विश्वास का प्रतीक भी होता हैः राज्यपाल

राज्यपाल-सह-झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने आज दीक्षांत मंडप, मोरहाबादी में आयोजित झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, रांची के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं होता, बल्कि वह उस संस्था की विचारधारा, उपलब्धियों और समाज द्वारा उसके प्रति व्यक्त विश्वास का प्रतीक होता है। उन्होंने कहा कि झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय आज अपने इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय लिख रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की आधारशिला सादगी और कर्मशीलता के प्रतीक देश के पूर्व रक्षा मंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर जी ने रखी थी। इस संस्थान के गठन का उद्देश्य केवल एक अकादमिक संस्था स्थापित करना ही नहीं था, बल्कि ऐसा शिक्षण केंद्र विकसित करना था जो युवाओं में अनुशासन, सुरक्षा-दृष्टि, वैज्ञानिक सोच और प्रशासनिक दक्षता का समन्वित विकास कर सके। उन्होंने कहा कि झारखंड के युवाओं और किशोरों में सैन्य व पुलिस सेवा के प्रति विशेष उत्साह देखा जाता है। वे कठिन परिश्रम करते हैं, परंतु उचित मार्गदर्शन के अभाव में कई बार सफलता से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में इस विश्वविद्यालय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राज्यपाल ने कहा कि देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि युवा पारंपरिक प्रशिक्षण तक ही सीमित न रहें, बल्कि आधुनिक तकनीक और उभरती चुनौतियों की समझ विकसित करें। साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक विज्ञान, अपराध मनोविज्ञान, पुलिस प्रबंधन, खुफिया विश्लेषण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में दक्षता आज के समय की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि झारखण्ड की पहचान ‘जामताड़ा के साइबर अपराध’ के लिए न हो, बल्कि “सुरक्षा शिक्षा” के एक मजबूत केंद्र के रूप में हो। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय के प्रशिक्षित युवा राज्य में बढ़ते साइबर अपराधों पर नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे और अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए यहाँ प्राप्त ज्ञान केवल उपाधि नहीं है, बल्कि राष्ट्र के प्रति कर्तव्य और समाज के प्रति उत्तरदायित्व को समझने का अवसर है। उन्होंने कहा कि हमारे देश का भविष्य युवाओं के हाथों में है और विकसित भारत @2047 के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ ने उच्च शिक्षा को अधिक व्यावहारिक, बहुविषयी और भविष्य-उन्मुख दिशा दी है, जो युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाने में सहायक है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय का दायित्व केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है। नवाचार, अनुसंधान और समाधान-उन्मुख शिक्षा आधुनिक समय की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय डिजिटल सुरक्षा, साइबर फॉरेंसिक, आंतरिक सुरक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक मॉडल संस्थान के रूप में स्थापित होगा।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जहाँ भी जाएँ, यह प्रमाण प्रस्तुत करें कि उन्होंने यहाँ से केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार भी प्राप्त किए हैं। समाज और राष्ट्र की सेवा को अपना उद्देश्य बनाएँ और अपने कर्मों से झारखंड तथा देश का गौरव बढ़ाएँ। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि उनकी सफलता राष्ट्र और समाज के लिए प्रेरणास्रोत सिद्ध हो।

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