राजनीति

छात्रवृत्ति को लेकर चर्चा कराने की मांग पर विपक्ष का सदन में भारी हंगामा, प्रश्नकाल बाधित, भारी हंगामे के बीच शून्यकाल व ध्यानाकर्षण के बाद वित्त मंत्री ने 772125 लाख रुपये का अनुपूरक बजट सदन में किया पेश

झारखण्ड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन पांच मिनट विलम्ब से शुरू हुआ। विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो सदन में ठीक पूर्वाह्न 11.05 मिनट पर पहुंचे। दोनों पक्षों का अभिवादन स्वीकार किया एवं अल्प सूचित प्रश्न के दौरान जैसे ही भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू के नाम पुकारे, पूरा विपक्ष छात्रवृत्ति के मामले को लेकर हंगामा करने लगा। विपक्षी दलों के नेताओं की मांग थी कि प्रश्नकाल को रोककर छात्रवृत्ति मामले पर चर्चा कराई जाये।

लेकिन स्पीकर ने इसकी अनुमति नहीं दी। विपक्षी दलों के विधायकों द्वारा की जा रही हंगामे के जवाब में सत्तापक्ष भी हंगामे पर उतर आया। विपक्षी दल तो हंगामा कर रहा था, उसके पास मुद्दा था, यह बात समझ में आई। लेकिन विपक्ष क्यों हंगामा कर रहा है? ये बात किसी के समझ में नहीं आई। अगर विपक्ष हंगामा कर रहा हैं, तो हम भी हंगामा करेंगे वाली पैटर्न लागू हो गई तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।

क्योंकि सदन में विपक्ष किसी मुद्दे को लेकर सरकार से जवाब की मांग कर रहा है या अपनी बातें रख रहा है, उसके लिए आंदोलनरत है तो यह विपक्ष का अधिकार है। उसको उसके इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। ये अलग बात है कि सरकार और स्पीकर विपक्ष को मनाने के लिए कौन सा रूख अख्तियार करते हैं? ऐसे भी सरकार और स्पीकर के पास विपक्ष को मनाने के लिए कई रास्ते हैं।

चल रहे हंगामे के बीच में ही स्पीकर ने विपक्षी विधायकों को मनाने की भरसक कोशिश की। स्पीकर ने कहा आप कार्यमंत्रणा समिति में उठी बातों को नहीं मानेंगे, सर्वदलीय समिति में आई बातों को नहीं मानेंगे तो फिर आपका सदन में आने का क्या मतलब? आप सरकार का उत्तर नहीं सुनेंगे तो ये सब व्यर्थ हो जायेगा। जब स्पीकर की बातों को विपक्ष ने अनसुना कर दिया तब स्पीकर ने भारी हंगामे को देख सदन दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इसी बीच सदन जब दुबारा चार मिनट विलम्ब से शुरु हुआ। स्पीकर ने शून्यकाल के लिए माननीयों का नाम पुकारना शुरु किया। जैसे ही स्पीकर ने एक माननीय का नाम लिया। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपनी बात रखनी चाही। स्पीकर ने उन्हें मौका दिया। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का कहना था कि झारखण्ड में बच्चों, नौजवानों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही। किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा। एससी-एसटी, ओबीसी तथा अन्य के बच्चे छात्रवृत्ति नहीं मिलने के कारण होटल में प्लेट मांजने को मजबूर है।

उन्होंने सदन में कहा कि छात्रवृत्ति नहीं मिलने के कारण किसी का स्कूल छूट गया है। किसान जो धान को लेकर घर आ गये हैं। उन्हें उनका खरीदार नहीं मिल रहा। सरकार जो पिछली बार 3200 क्विंटल धान खरीदने को बोली थी, उसे भी पूरा नहीं कर पाई। ये शून्यकाल में आई बातों पर तो कोई अमल नहीं होता। इसलिए इसे रोककर विपक्ष की बातों पर ध्यान दिया जाय। सब कुछ रोककर छात्रवृत्ति और अन्य समस्याओं पर चर्चा कराई जाय।

नेता प्रतिपक्ष के इस वक्तव्य के बाद भी शून्यकाल चलता रहा। दूसरी ओर विपक्ष भी जोरदार ढंग से हंगामा करता रहा। विपक्ष कभी मेज पीटता तो कभी ताली पीटकर शोर करता, कभी कागज पर लिखे स्लोगन स्पीकर व सरकार को दिखाता। इधर भारी हंगामे के बीच स्पीकर सदन चलाते रहे। शून्यकाल खत्म होने के बाद, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आया। जिसमें प्रदीप यादव ने भारी शोर-शराबे को देख आसन से इसे बाद में लाने को कहा। उनका कहना था कि इस शोर-शराबे में इतना महत्वपूर्ण सवाल का कोई औचित्य नहीं रह जायेगा।

इसके बाद मथुरा प्रसाद महतो का नाम पुकारा गया। भारी शोरगुल के बीच में उनके प्रश्नों का उत्तर मंत्री ने क्या दिया। पता नहीं चल सका। बाद में प्रदीप प्रसाद का नाम पुकारा गया और अंत में अनन्त प्रताप देव का प्रश्न आया। इसके तुरन्त बाद वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 31 मार्च 2026 को समाप्त होनेवाले वर्ष के भीतर शोधन के दौरान आनेवाले भारों को वहन करने के लिए 7721 करोड़ 25 लाख रुपये का द्वितीय अनुपूरक बजट पेश किया। जिस पर चर्चा कल यानी मंगलवार को होगी। इसके बाद स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने सदन को कल यानी मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

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