निजी विद्यालयों को अकारण अधिकारी धमकाना बंद करें, अन्यथा ईंट से ईंट बजा देंगेः आलोक दूबे
पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने आज निजी विद्यालयों द्वारा जारी रिट याचिका में कोर्ट के आदेश की छाया प्रति संवाददाताओं को संप्रेषित करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पॉइंट नंबर 51 पेज नंबर 17 और 18 में सरकार ने खुद कहा है कि 2019 के पहले स्थापित निजी विद्यालय पर 2019 का संवैधानिक संशोधन लागू नहीं होगा। सरकार के प्रतिनिधि और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि उच्च न्यायालय के आदेश का एक बार फिर अध्ययन करें।
उन्होंने आगे बताया कि उच्च न्यायालय का आदेश सभी के लिए बाध्यकारी है ऐसी स्थिति में 2019 के अधिनियम को 2019 के पहले स्थापित किसी भी निजी विद्यालय पर लागू करना करना उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना होगा; यदि सरकार मान्यता संबंधी आवेदन करने को निजी विद्यालयों को कहता है तो उसे स्पष्ट करना चाहिए कि 2019 के पहले स्थापित विद्यालय उच्च न्यायालय के आदेश से 2009 के आर टी ई अधिनियम के अनुरूप मान्यता का आवेदन करेंगे और 2019 के बाद के स्थापित विद्यालय पर ही संशोधन लागू होगा।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि सरकार ने अपने स्वीकारोक्ति में कहा है कि आरटीई 2019 का संवैधानिक संशोधन निजी और सरकारी विद्यालयों पर समान रूप से लागू होता है क्योंकि सरकारी विद्यालय 2019 के पहले खुले हुए हैं इसलिए ना तो उन पर लागू होता है और ना ही जो निजी विद्यालय 2019 के पहले स्थापित हुए हैं उन पर भी लागू नहीं होता है।
शिक्षा सचिव को कोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद निजी विद्यालयों के लिए मान्यता संबंधी आदेश पारित करना चाहिए। उन्होंने झारखंड में 2019 के पहले स्थापित का आश्वासन दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश से कौन है चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है वह गुणात्मक शिक्षा पर अपने आप को केंद्रित करें। पासवा हर स्थिति में उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों को अनावश्यक रुप से अधिकारी धमकाना बंद करें, अन्यथा ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।