राजनीति

सदन में मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना की तुलना किसी भी अन्य योजनाओं से नहीं की जा सकती, इस योजना ने महिलाओं व बच्चों में कुपोषण को रोका, स्वास्थ्य को ठीक किया तथा पलायन पर रोक लगा दी

आज झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र का आठवां दिन सात मिनट विलम्ब से शुरु हुआ। जिसमें अल्पसूचित प्रश्न के दौरान सत्येन्द्र नाथ तिवारी का मंईयां सम्मान योजना से जुड़ा सवाल एक बार फिर चर्चा में रहा, जिसका जवाब भी मंत्री चमरा लिंडा ने शानदार तरीके से दिया। जिसका प्रभाव सदन में भी दिखा। सत्येन्द्र नाथ तिवारी का कहना था कि जब मंईयां सम्मान योजना के तहत जब राज्य की 19 से 50 वर्ष तक की महिलाओं को सरकार 2500 रुपये दे रही हैं।

तो इन्हीं महिलाओं में से कोई जब किसी कारणवश दुर्घटना की वजह से विकलांग हो जाये या ईश्वर न करें कोई कालांतराल में विधवा हो जाये या वृद्ध हो जाये तो उसे सरकार इस योजना का लाभ न देकर, दिव्यांग, विधवा या वृद्धावस्था पेंशन से क्यों जोड़ रही हैं, जबकि सच्चाई यह है कि दिव्यांगों, विधवाओं या वृद्धावस्था पेंशन से जुड़ी महिलाओं के पेंशन पिछले कई महीनों से बंद हैं।

मंत्री चमरा लिंडा का कहना था कि स्कूल में खाना बनानेवाली रसोईया को सरकार 3000 रुपये प्रतिमाह दे रही है। स्वास्थ्य सहिया को प्रतिमाह 2000 और 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। राज्य में 285008 विधवा महिलाओं तथा 72657 दिव्यांग महिलाओं को एक हजार रुपये प्रतिमाह सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा रही है। 19 से 50 वर्ष की आयु के महिलाएं, जो विधवा हैं, दिव्यांग हैं या जिस योजना से आच्छादित है, उन्हें संबंधित योजनाओं के अनुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध की जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के अधीन मानदेय कर्मियों के रूप में कार्यरत स्वास्थ्य सहिया एवं स्कूल में खाना बनानेवाली रसोईया झारखण्ड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के संकल्प अंतर्गत अपवर्जन मानक से आच्छादित हैं, अतएव उन्हें इसका लाभ प्रदाय नहीं हैं। राज्य में राज्य पेंशन योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को फरवरी 2025 तक का पेंशन भुगतान किया जा चुका है, एवं केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के तहत उपलब्ध केन्द्रीय अंशदान के आलोक में लाभार्थियों दिसम्बर 2024 तक का पेंशन राशि भुगतान कर दिया गया है। इसी बीच सत्येन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि जो महिला शारीरिक रूप से सक्षम हैं, वो तो ऐसे भी आर्थिक उपार्जन कर लेंगी। लेकिन जो दिव्यांग हैं, उनकी तो समस्या ज्यादा है। उनको कम भुगतान और शारीरिक रूप से सक्षम को ज्यादा भुगतान, क्या ये गलत नहीं हैं।

मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना की तुलना अन्य योजनाओं से नहीं की जानी चाहिए। मंईयां सम्मान योजना राज्य की महत्वाकांक्षी योजना हैं, जबकि अन्य योजनाओं में राज्य के साथ-साथ केन्द्र की भी सहभागिता है। हमें अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केन्द्र से जुड़ी जो भी योजनाएं हैं, जो राज्य की जनता से सीधी जुड़ी हैं। उसके भुगतान में केन्द्र काफी विलम्ब कर रहा हैं। जिसकी वजह से उन्हें भी अपनी जनता को उक्त राशि को देने में विलम्ब हो रहा है।

मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना मां तथा बच्चों दोनों के कुपोषण को दूर कर रहा है। उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी समाधान कर रहा है, साथ ही पलायन पर भी रोक लगा रहा है। इसलिए मंईयां सम्मान योजना की तुलना कृपा कर विपक्ष किसी से न करें। उन्होंने कहा कि आजकल ज्यादातर माननीय, मंईयां सम्मान योजना की तुलना अन्य  योजनाओं से कर रहे हैं, जिसकी तुलना होनी ही नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पारिश्रमिक और सशक्तिकरण में आकाश-जमीन का अंतर हैं, इसे समझने की जरुरत है।

उधर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर उरांव ने कहा कि जो काम नहीं करते उन्हें 2500 और जो काम करते हैं, उन्हें कम राशि, सरकार को हर हाल में इस पर ध्यान देने की जरुरत हैं, नहीं तो इसका गलत प्रभाव होगा। आश्चर्य है कि इस सवाल पर करीब-करीब सारे माननीय एकमत थे, कि सरकार को महिलाओं के बीच खासकर विधवाओं व वृद्ध हो चुकी महिलाओं और दिव्यांगों के प्रति भी उदारतापूर्वक विचार करनी चाहिए और सभी को एक समान 2500 रुपये राशि दी जानी चाहिए। लेकिन मंत्री चमरा लिंडा ने वहीं बातें बार-बार दुहराई, जो उन्होंने पूर्व में कही थी। इस प्रश्न पर सदन के 20 मिनट खर्च हुए।

इसके बाद हेमलाल मुर्मू का सवाल था। हेमलाल मुर्मू ने सीधे सरकार से सवाल पूछा कि सरकार बताएं कि धान की खरीद में दस किलोग्राम धान की कटौती करना न्यायसंगत हैं? मंत्री ने जवाब दिया कि ये केन्द्र सरकार से जुड़ा हैं, अगर केन्द्र ही ऐसा कर रही हैं तो इसमें हम क्या कर सकते हैं। हेमलाल मुर्मू सरकार के जवाब से संतुष्ट नजर आये। राजेश कच्छप के जनजातीय आयोग के गठन को लेकर सरकार ने जवाब दिया कि 29 जुलाई 2019 द्वारा अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का प्रावधान है। अनुसूचित जनजातियों के झारखण्ड राज्य आयोग नियमावली गठन की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

अगर जन्म प्रमाण पत्र समय पर मिल जाता, व्यवस्था ठीक रहती तो फिर धनंजय सोरेन को ये सवाल यहां उठाना ही नहीं पड़ता

तारांकित प्रश्न के दौरान धनंजय सोरेन ने सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है कि साहेबगंज जिले के बोरियो विधानसभा क्षेत्र में जन्म प्रमाण पत्र निर्गत करने में अत्याधिक समय सीमा पदाधिकारियों द्वारा लिया जा रहा है। धनंजय सोरेन ने कहा कि अच्छा रहता अगर प्रमाण पत्र समय पर यानी 7-10 दिनों के अंदर मिल जाता तो अच्छा रहता। जनता लाभान्वित होती।

सरकार का उत्तर था कि जन्म के 21 दिनों के भीतर की घटना का निबंधन संबंधित निबंधक द्वारा निशुल्क किया जाता है। मतलब जो सरकारी व्यवस्था हैं, उसका उत्तर सरकार की ओर से दिया जा रहा था। जिसको लेकर एक माननीय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर सरकारी व्यवस्था ही ठीक रहती तो धनन्जय सोरेन को ये सवाल उठाने की जरुरत यहां क्यों पड़ती? इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि वे इस संबंध में साहेबगंज के डीसी से उन्होंने आज ही बातचीत की है। वे इस मामले को देख रहे हैं।