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झारखण्ड की धरती पर शिक्षा का महाकुंभ, पासवा का ऐतिहासिक ‘छात्र प्रतिभा सम्मान समारोह’ में जुटी भारी भीड़, मंत्रियों से लेकर कुलपतियों और वैज्ञानिकों तक ने बढ़ाया विद्यार्थियों का हौसला

झारखंड की राजधानी रांची में स्थित हरिवंश ताना भगत इंडोर स्टेडियम, खेलगांव कल शिक्षा और प्रतिभा का ऐसा विराट संगम बना, जिसकी गूंज आने वाले वर्षों तक राज्य के हर विद्यार्थी के मनोबल को ऊँचाई देगी। पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) द्वारा आयोजित छात्र प्रतिभा सम्मान समारोह 2025 का यह आयोजन शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में दर्ज हो गया।

पूरा स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। झारखंड के कोने-कोने से हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं, अभिभावक, शिक्षक, प्राचार्य, समाजसेवी और गण्यमान्य अतिथि इस आयोजन के साक्षी बने। मंच पर मौजूद महानुभावों और नीचे बैठे विद्यार्थियों के चेहरों पर गौरव, सम्मान और आत्मविश्वास की आभा झलक रही थी। यह दृश्य केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह राज्य की प्रतिभा को प्रणाम करने का पर्व था।

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह जी की उपस्थिति ने आयोजन को राज्य स्तरीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर का आयाम दिया। दीपिका पाण्डेय सिंह ने मंच से विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड की मिट्टी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत है ऐसे ही मंचों की जो उन्हें उड़ान दें। उन्होंने पासवा की पहल को “झारखंड के शिक्षा आंदोलन की रीढ़” बताया।

उन्होंने कहा कि छात्र जीवन केवल एक अकादमिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी नींव है जिस पर पूरा भविष्य टिका होता है। वो मानती है कि हर बच्चा अपनी जगह विशेष है — जरूरत है तो बस सही दिशा, मार्गदर्शन और अवसर की। यही इस सम्मान समारोह का उद्देश्य है — प्रतिभा को पहचानना, प्रोत्साहित करना और उन्हें आगे बढ़ने की ताकत देना।

उन्होंने कहा कि वह अभिभावकों और शिक्षकों का भी आभार व्यक्त करती हैं जिन्होंने विद्यार्थियों की इस यात्रा में चुपचाप लेकिन दृढ़ साथ निभाया है। एक मजबूत समाज की नींव वहीं रखी जाती है जहां शिक्षा को प्राथमिकता मिलती है और विद्यार्थियों को प्रेरणा दी जाती है।

डॉ. रामेश्वर उरांव, पूर्व वित्त मंत्री एवं पासवा के मुख्य संरक्षक ने अपने अभिभाषण में कहा कि यह आयोजन बच्चों के आत्मबल और मूल्यपरक शिक्षा को नई दिशा देने वाला है। मंच पर देशभर के ख्यातिप्राप्त शैक्षणिक और वैज्ञानिक मस्तिष्कों का जमावड़ा था — डीपीएस मथुरा रोड (नई दिल्ली) के प्राचार्य डॉ. राम सिंह, डी  एवी कपिल देव के प्रिंसिपल एमके सिन्हा, राजीव चटर्जी (वासुदेव चटर्जी स्मृति फाउंडेशन), डीएवी बरियातू के प्रिंसिपल एसके मिश्रा, रिम्स राँची की सब डीन एकेडमिक्स डॉ. अनुपा प्रसाद, आरपीडीएफ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. सुचितांग्शु चटर्जी, आईसीएआर-आईआईएबी के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. केके कृष्णानी, डीएवी नंदराज के प्राचार्य एस के तिवारी, क्लोनी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर अमृता, होली क्रॉस की प्रिंसिपल सिस्टर जेनी, डीएवी नीरजा सहाय, कार्मेल स्कूल कांके, हजारीबाग के सचिव मेघाली सेन गुप्ता, चिरंजीवी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल एसके सिन्हा आदि ने विद्यार्थियों को न केवल सम्मानित किया बल्कि उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे ने जब मंच संभाला, तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा स्टेडियम गूंज उठा। अपने जोशीले वक्तव्य में उन्होंने कहा – आज के इस अवसर पर, जब हम छात्र प्रतिभा सम्मान कार्यक्रम में एकत्रित हुए हैं, उनका हृदय गर्व और उत्साह से भर उठा है। वो उन सभी प्रतिभावान विद्यार्थियों को दिल से बधाई देते है, जिन्होंने कठिन परिश्रम, अनुशासन और समर्पण से यह सम्मान अर्जित किया है।

आज झारखंड की धरती पर एक इतिहास रचा गया है। यह केवल पुरस्कारों का नहीं, बल्कि प्रतिभा, परिश्रम और सपनों के सम्मान का आयोजन है। जब तक शिक्षा को पर्व नहीं बनाया जाएगा, तब तक समाज का निर्माण अधूरा रहेगा। पासवा का हर कदम विद्यार्थियों की सफलता के लिए समर्पित है।”

पासवा की पूरी टीम इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कई महीनों से जुटी हुई थी और उनका परिश्रम हर व्यवस्था में साफ नजर आया। पंजीकरण प्रक्रिया, पुरस्कार वितरण, मंच संचालन, सुरक्षा प्रबंधन, अतिथि स्वागत और मीडिया समन्वय — हर पहलू बारीकी से तैयार और क्रियान्वित किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने आयोजन में रंग भर दिया। नृत्य, गायन, और पारंपरिक लोक प्रस्तुतियाँ हर कोने से सराही गईं। कार्यक्रम का हर क्षण विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए गर्व और गर्जना से भरा रहा।

पासवा ने इस आयोजन के ज़रिए यह सिद्ध कर दिया कि झारखंड अब केवल खनिजों और जंगलों की भूमि नहीं, बल्कि बुद्धि, विचार और उज्जवल भविष्य की भूमि है। झारखंड के शैक्षणिक इतिहास में यह दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। यह कार्यक्रम केवल छात्रों का सम्मान नहीं था, यह उस सोच का उत्सव था जो शिक्षा को समाज की सबसे बड़ी शक्ति मानती है।

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