रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम में धूमधाम से मना भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, श्रद्धा व भक्ति की रसधारा में भींगे योगदा भक्त
रांची स्थित योगदा सत्संग शाखा आश्रम में, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में, जन्माष्टमी का पावन अवसर अत्यंत श्रद्धा और आनन्द के साथ मनाया गया, जहां ऐसी श्रद्धा व भक्ति की रसधारा बही कि वहां उपस्थित सारे योगदा भक्त उस रसधारा में भींगते नजर आये। दिन के उत्सवों का शुभारम्भ ब्रह्मचारी हरिप्रियानन्द द्वारा संचालित सुबह 6:30 बजे से 8:00 बजे तक चले एक सामूहिक ध्यान सत्र के साथ हुआ।
ध्यान के दौरान उन्होंने वाईएसएस/एसआरएफ़ की पूज्य चौथी अध्यक्षा श्री श्री मृणालिनी माताजी द्वारा वर्षों पहले जन्माष्टमी के अवसर पर लिखा गया एक प्रेरणादायक पत्र भी पढ़ा जिसे भक्तों ने तल्लीन होकर सुना। पत्र में, उन्होंने परमहंस योगानन्द की आध्यात्मिक अमरकृति योगी कथामृत (Autobiography of a Yogi) के लेखक, को उद्धृत किया: “गीता में श्रीकृष्ण का सन्देश आधुनिक युग और किसी भी युग के लिये सम्पूर्ण उत्तर है:- कर्त्तव्य कर्म, अनासक्ति, और ईश्वर-प्राप्ति के लिए ध्यान का योग।”
भक्तों ने प्रातः 9:30 बजे से 11:30 बजे तक स्वामी अमरानन्द गिरि और स्वामी शंकरानन्द गिरि के नेतृत्व में हृदयस्पर्शी भजनों में भाग लिया, जिससे आश्रम भक्तिमय उत्साह से भर उठा। जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भक्तों ने सायंकाल 7:30 बजे से 10:30 बजे तक वाईएसएस/एसआरएफ़ के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानन्द गिरि द्वारा संचालित एक विशेष तीन घंटे के ध्यान में भी भाग लिया, जिसका लॉस एंजेलिस स्थित एसआरएफ़ अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय से सीधा प्रसारण किया गया।
ध्यान के दौरान, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया के संन्यासियों के कीर्तन समूह द्वारा आत्म-पोषक कीर्तन के क्षण भी थे, जो भारत से स्वामी चिदानन्दजी के साथ आभासी रूप से जुड़े थे। इन पवित्र आयोजनों के अतिरिक्त, रविवार, 10 अगस्त को एक विशेष आठ घंटे का ध्यान भी आयोजित किया गया, जिसने साधकों को ईश्वर और गुरु के दिव्य स्मरण में गहराई से लीन होने का एक धन्य अवसर प्रदान किया। ध्यान और क्रिया योग के मार्ग पर अधिक जानकारी के लिए, कृपया yssofindia.org पर जाएँ।
(योगदा सत्संग आश्रम रांची द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से साभार)