सोशल साइट के माध्यम से DGP अनुराग गुप्ता के साथ-साथ CM हेमन्त सोरेन को भी हड़काने में लगे नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल
झारखण्ड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल साइट के माध्यम से राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को हड़काने में लग गये हैं। उन्होंने सोशल साइट के माध्यम से इन दोनों के खिलाफ कुछ बातें लिखी हैं, जो इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि कई लोगों का यह भी मानना है कि ये सब राजनीति है और राजनीति में ये सब चलता रहता है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की बातों को भी उसी संदर्भ में लेना चाहिए। आखिर नेता प्रतिपक्ष ने क्या लिखा है, उसे आपको भी जानना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की बातें इस प्रकार हैं …
समाचारों से पता चल रहा है कि फिलहाल जमानत पर बाहर रामगढ़ पुलिस का वांटेड राजेश राम डीजीपी कार्यालय में लगातार आता-जाता रहा, लेकिन पुलिस ने उसे कभी गिरफ्तार ही नहीं किया। पहली बार जब राजेश राम गिरफ्तार हुआ था, उसके बाद इंस्पेक्टर गणेश सिंह ने भुरकुंडा थाना प्रभारी से बात की थी। यह शायद वही गणेश हैं जिन्हें अवैध डीजीपी का वरदहस्त प्राप्त है, या यूं कहें तो अवैध डीजीपी के “अवैध संसाधन” संग्रहकर्ताओं की टीम के प्रमुख सदस्य हैं।
एक वायरल ऑडियो के मुताबिक पुलिस मुख्यालय में तैनात, डीजीपी अनुराग गुप्ता के करीबी माना जाने वाला सिपाही रंजीत राणा ने ओडिशा के उसी कारोबारी से संपर्क करने का प्रयास किया, जिससे राजेश राम ने कथित रूप से 65 लाख रुपए की वसूली की। उपरोक्त बातें आप सभी को कोई फिल्मी स्क्रिप्ट जैसा दिखाई देता होगा, लेकिन यह हकीक़त है।
झारखंड को लूटकर खोखला करने की हकीक़त… राजेश, गणेश, राणा, दीपक जैसे कई और महारथी तो इस महालूट के किरदार मात्र हैं, जो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और अवैध डीजीपी के इशारे पर अपने-अपने हिस्से के गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। हेमंत सोरेन जी, मेरे 1 मई 2025 का यह ट्वीट आपके संज्ञान मे होगा। अगर भूल गये हों तो फिर से देख लीजिये फिर यह बताईये कि –
इन अवैध वसूलियों में आपकी कितनी हिस्सेदारी है? शराब घोटाले में समय पर चार्जशीट न कर छत्तीसगढ़ से लेकर एनसीआर दिल्ली तक जिन धनपशु माफियाओं को ज़मानत दिलवायी गयी उसमें सौ करोड़ से भी ज्यादा का वारा न्यारा होने की चर्चा है। इसमें आपको कितना शेयर मिला? अगर नहीं मिला तो चार्ज शीट न कर पाने के ज़िम्मेवार किन अफ़सरों पर आपने कठोर कार्यवाही किया है और उन्हें क्या सज़ा मिली?
ये राणा और गणेश जी जैसे कई लोगों के कार्यकलाप को जब हमने पहले भी आपके संज्ञान और सोशल मीडिया में भी लाया था तो इन गंभीर मामलों में आपकी चुप्पी का राज क्या है? हेमंत जी, आज से करीब 30 साल पहले जब तकनीक विकसित नहीं हुई थी, तब भी जांच एजेंसियों ने चारा घोटाले का पर्दाफाश कर घोटालेबाजों को कड़ी सजा दिलाने का काम किया था। अब तो तकनीक काफी आगे जा चुकी है।
आप यह कैसे मान बैठे हैं कि आप जो मर्जी सो लूट करते रहेंगे और मंहगे वकीलों के दम पर हर बार बच ही जायेंगे? कहीं लिखकर रख लीजिये। भले ही थोड़ा वक्त लगे लेकिन इन महाघोटालों के लिये देर सबेर आप पकड़े जायेंगे और सजा भी होगी। लालू प्रसाद जी को ही देख लीजिये। बीस साल लगे जरूर लेकिन सजा तो हुई ही। बबूल का पेड़ लगा रहे हैं तो कॉंटे भी तो आपको ही चुभेंगे न। आप झारखंड को लूटने का और सबूत मिटाने का जितना भी षड्यंत्र कर लीजिए…. लेकिन जांच एजेंसियां किसी को बख्शने नहीं वाली। सबका हिसाब होगा, बराबर हिसाब होगा।