‘आपदा में अवसर’ की तलाश में अखबार के बंडलों को लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेमरा स्थित पैतृक आवास पर अपने प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी के साथ पहुंच गई ‘प्रभात खबर’ की पूरी टीम
‘आपदा में अवसर’ की तलाश ढूंढते-ढूंढते अखबार के बंडलों को लेकर अपने प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी के साथ ‘प्रभात खबर’ की पूरी टीम पूरे लाव-लश्कर के साथ गत् शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेमरा स्थित पैतृक आवास पर पहुंच गई। वहां जाकर आशुतोष चतुर्वेदी ने प्रभात खबर के बंडल को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के समक्ष पटक दिया और एक-एक कर उन्हें अखबारों की वो सुर्खियां दिखाने लगे। जो दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन को लेकर केन्द्रित थी।
जब आशुतोष चतुर्वेदी इस प्रकार की हरकतें कर रहे थे, तो उस समय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर उरांव भी मौजूद थे। साथ ही प्रभात खबर की ओर से प्रभात खबर के कार्यकारी निदेशक आर के दत्ता, स्थानीय संपादक विजय पाठक, विजय बहादुर, संवाददाता आनन्द मोहन आदि भी मौजूद थे। जब आशुतोष चतुर्वेदी द्वारा समाचार के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का माइंड वाश किया जा रहा था।
उसी वक्त प्रभात खबर की टीम द्वारा दनादन फोटो भी खींचे जा रहे थे। साथ ही इस समय का वीडियो भी बनाया जा रहा था। जिसे तुरंत ही प्रभात खबर के लिए बनी व्हाट्एसग्रुप पर जारी कर दिया गया। जिसको देखकर प्रभात खबर में ही काम कर रहे कुछ लोग, जिनकी जमीर मरी हुई थी। वाह-वाह करने लगे। जबकि जिनकी जमीर बची हुई थी, वे इस दृश्य को देखकर स्वयं को कोसने लगे।
लेकिन नौकरी कही चली न जाये, इस भय से अपनी प्रतिक्रिया देने से बचें। ऐसे लोगों को कहना था कि जब किसी के घर में ऐसी घटना घट जाये, तो हम वहां अपनी संवेदना व्यक्त करने जाते हैं, न कि ऐसे अवसरों का लाभ उठाते हैं। अखबार का काम है, घटना घटी, समाचार देना और ये काम केवल प्रभात खबर ही नहीं करता, बल्कि वो सभी अखबारें करती हैं, जो उस परिक्षेत्र से जुड़ी रहती हैं। लेकिन अखबार का बंडल उठाकर किसी अखबार का प्रधान संपादक अपने अखबार की टीम को लेकर घर-घर घूमने लगे, तो स्थिति हास्यास्पद हो जाती है।
आश्चर्य है कि इस पूरे प्रकरण को लेकर प्रभात खबर के ही संपादक विजय पाठक ने चार फोटो के साथ अपनी पीठ थपथपाई, फेसबुक पर लिखा – ‘प्रभात खबर की टीम नेमरा गयी और मुख्यमंत्री से मिलकर गुरुजी के निधन पर शोक व्यक्त किया। प्रभात खबर ने अखबार के माध्यम से भी गुरुजी को श्रद्धाजंलि दी है। मुख्यमंत्री ने अखबार की प्रति भी देखी। टीम में प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी जी, कार्यकारी निदेशक आर के दत्ता जी और विजय बहादुर जी भी थे।’
अब सवाल उठता है कि जब आप नेमरा जाकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ बैठकर अखबार का बंडल दिखाते हो। वीडियो बनाते हो। उस वीडियो को अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप पर शेयर करते हो। फेसबुक पर भी लोगों को शान से दिखाते हो। तो आपने इसी का एक छोटा सा ही सही समाचार बनाकर अपने अखबार में प्रकाशित क्यों नहीं किया? क्या आपको ऐसा करने में शर्म आ रही थी। कि आप जानते थे कि ऐसा करने से आपके पाठकों के बीच आपका सम्मान जाने का खतरा था।
दरअसल प्रभात खबर को न तो दिशोम गुरु शिबू सोरेन से प्रेम है और न उनके दिवंगत होने का शोक। असल में ये विशुद्ध व्यवसायी है और हर अवसर का लाभ उठाने का ये तकनीक जानते हैं। उसके लिए कुछ भी करना पड़े, ये करने से नहीं चूकते। यहां भी वहीं किया। पहले तो अखबार में खूब दिशोम गुरु पर विशेषांक निकाले और फिर अखबार लेकर पहुंच गये, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पास।
क्या मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इतने नादान हैं कि प्रभात खबर के अंदर चल रही आपदा में अवसर की तलाश को नहीं समझते हैं। दरअसल वे खूब समझते हैं। तभी तो जब प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी उन्हें अखबार दिखा रहे थे। तो वे गम में रहने के बावजूद अखबार की कुटिलता को भांपते हुए मुस्कुराने से नहीं चूकें। आप विद्रोही24 में दिये गये फोटो को ध्यान से देखिये। पता चल जायेगा।
मैं बार-बार ताल ठोककर कहता हूं कि आज जो हेमन्त सोरेन जिस प्रकार से अपनी स्थिति राज्य व देश में मजबूत की है। वो किसी अखबार या मीडिया की कृपा से नहीं हैं। बल्कि उन्होंने ये सब अपनी मेहनत और जनता के प्यार से बनाई है। आज भी जो लोग उनके पास जा रहे हैं। जो संवेदना प्रकट कर रहे हैं। उनकी संवेदना के पीछे छूपे भाव व रहस्यों को ऐसा थोड़े ही हैं कि वे नहीं समझ रहे हैं। वे सब समझ रहे हैं। लेकिन उनको समझाने की कोशिश, वे लोग जरुर कर रहे हैं, जो कभी उन्हें फूटी आंखों भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे देखना पसन्द नहीं करते थे।
दरअसल, अब सही मायनों में कोई पत्रकारिता नहीं कर रहा। सभी अवसरों की तलाश में रहते हैं कि कैसे हम राज्य के मुख्यमंत्री के साथ बेहतर संबंध बनाकर उसका लाभ उठा सकें। प्रभात खबर में ऐसे कई संपादक/प्रधान संपादक हुए जिन्होंने इसका लाभ उठाया। जिन्होंने लाभ उठाया। आज इनमें से एक राज्यसभा में हैं। उनके राज्यसभा में जाने से देश व राज्य को कितना लाभ पहुंचा, वो भी सभी के सामने हैं।
ऐसे में सत्तापक्ष में बैठे सभी लोगों को चाहिए कि ऐसे लोगों से सावधान रहे, जो आपदा में अवसर की तलाश में हैं। ऐसे लोगों से जुड़ने से अच्छा है कि आम जनता के दिलों से जुड़ी जाये। राज्य की जनता आज भी दिशोम गुरु के साथ है। इनमें से बहुत लोगों के पास न तो पैसे हैं और न संसाधन हैं कि वे सीधे नेमरा जाकर अपनी संवेदना मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के पास सीधे जाकर प्रकट कर सकें।
लेकिन मेरा मानना है कि कोई भी व्यक्ति जिसका हृदय पवित्र और साफ है। वो कही भी बैठकर अपनी संवेदना किसी को भी पहुंचाना चाहेगा। उक्त व्यक्ति के पास वो संवेदना पहुंच ही जायेगी। इस प्रकार के तीन-पांच करने की उसे कोई जरुरत नहीं पड़ती और न उसे फेसबुक या व्हाट्सएप्प ग्रुप के वैशाखी की जरुरत होती हैं।
जब आपने लिखा था प्रभात खबर ने मारी बाजी,,तभी लगने लगा था,, भुनाने का अवसर मिला सो भजा लिए।।
यही आज का हाल ए समाचार है
झारखंड प्रभात खबर में सर्विस एक्सटेंशन का दौर, नए लोगों के अवसर प्रभावित.
रांची स्थित प्रभात खबर समूह में शीर्ष पदों पर कार्यरत कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को सेवा अवधि विस्तार (सर्विस एक्सटेंशन) दिया गया है। इसमें कार्यकारी निदेशक, प्रधान संपादक और स्टेट हेड स्तर के अधिकारी शामिल हैं। लंबे समय से रिटायरमेंट के बाद भी एक्सटेंशन मिलने की वजह से संस्थान में नई पीढ़ी के पत्रकारों और अधिकारियों को अवसर कम मिल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को लगातार चार वर्षों से सेवा विस्तार दिया जा रहा है। कार्यकारी निदेशक आर.के. दत्ता और स्टेट हेड विजय पाठक को भी रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन मिला है। इसके अलावा अन्य विभागों में भी कई वरिष्ठ पदों पर सेवा विस्तार की व्यवस्था जारी है।
प्रबंधन सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ पदाधिकारियों के बनाए गए इस एक्सटेंशन कल्चर के चलते संस्थान में ताजगी और ऊर्जा का अभाव महसूस हो रहा है। कई कर्मचारियों का मानना है कि इस व्यवस्था से कार्य संस्कृति पर असर पड़ रहा है और संगठन के अंदर गुटबाज़ी एवं असंतोष की स्थिति बन रही है।
कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि कोरोना काल में कर्मचारियों का एरियर भुगतान लंबित रहा, जबकि वरिष्ठ स्तर पर कई अधिकारियों को वाहन सुविधा प्रदान की गई। इस दोहरी नीति को लेकर भी असंतोष बढ़ा है।
संस्थान से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि इस स्थिति पर समय रहते ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो संगठन की विकास गति और वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
*सर्विस एक्सटेंशन की कूटनीति का खेल प्रभात खबर,रांची मे*
कार्यकारी निदेशक से लेकर प्रधान संपादक तक को दिया गया सेवा अवधि विस्तार,(एक्सटेंशनजीवी)
प्रभात खबर के सभी वरिष्ठ पदों पर रिटायर्ड लोग पोस्टेड हैं,इस का असर संस्थान पर पड़ रहा है। जड़ता की स्थिति आ गई है। इन लोगों का एक ही उद्देश्य है जाते जाते जितना लपेट लो। प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को चार साल से एक्सटेंशन दिया जा रहा है। कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता को एक साल, विजय पाठक को रिटायरमेंट के बाद स्टेट हेड बना कर एक साल का एक्सटेंशन भी दिया गया है। इसके अलावा अन्य विभागों में भी एक्सटेंशन का खेल चल रहा है। सारे एक्सटेंशनजीवी
वाले मिल कर मालिक राजीव झावर को समझा देते हैं कि इन के नहीं रहने से सर्कुलेशन कम हो जाएगा। विज्ञापन कम हो जाएगा। न्यूज का फ्लो कम हो जाएगा। रेवेन्यू नहीं आएगा। सरकार मैनेज नहीं हो पाएगी। कई ऐसे कारण गिना कर मालिक को ग्रिप में ले लेते हैं और मालिक को जमीनी सच्चाइयों से गुमराह करते है,य़ह चांडाल चौकड़ी मालिक को विगत कई वर्षों से मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखा रहे है कि दिल्ली में केस मैनेज करा देंगे और मालिक राजीव झावर को केस, मुक़दमे को मैनेज कराने के नाम पर सब्जबाग दिखाया जाता है। सेवा अवधि विस्तार देने के कारण नई पीढ़ी के पत्रकारों को मौका नहीं मिलता। सभी विभागों में अराजकता की स्थिति हो गई है,गुटबाजी चरम पर है।
इधर MD राजीव झावर CM हेमंत सोरेन से मिलना चाहते थे CM से समय लेने के चक्कर
मे य़ह एक्सटेंशनजीवी पूरी टीम CM के यहां पहुच गए और CM ने समय भी नहीं दिया।दशम गुरु जी की मृत्यु का स्तुति गान प्रभात खबर इतना किया कि वह Back Fire कर गया और CM नाराज हो गए।
*21 लोगों ने ले ली कार*
प्रभात खबर के एक्सटेंशनजीवी
वाले से लेकर वरीय पदाधिकारियों को आठ लाख से लेकर तीस लाख तक की गाड़ी मुफ्त में मिली। इनमें चीफ एडिटर आशुतोष चतुर्वेदी से लेकर आर के दत्ता, आलोक पोद्दार, विनय भूषण, विजय पाठक, संजय मिश्र, जीवेश रंजन, अजय कुमार , विकास कुमार व अन्य शामिल हैं। राजीव झावर को भी कार गिफ्ट की गई। वहीं कोरोना में कर्मचारियों के तीन माह का एरियर भी नहीं मिला। इन गाड़ियों में कोरोना का पैसा भी लगा है दूसरी ओर प्रभात खबर के अन्य कर्मचारियों कोे बीमारी और इलाज के नाम पर एडवांस मिलने में परेशानी होती है। बाइक और बच्चों की पढ़ाई के नाम पर भी एडवांस लोन नहीं मिलता। कंपनी की दोहरी नीति से काम करनेवाले कर्मी हताश हैं।
य़ह सभी एक्सटेंशनजीवी प्रमुख सम्पादक, सम्पादक और स्टेट हेड प्रभात खबर के लिए परजीवी साबित हो रहे है जो प्रभात खबर के ग्रोथ और विकास पर अजगर की तरह जकड़े हुए है साथ ही साथ आर्थिक बोझ बने है। इन सभी का Performance Big Zero है क्यों कि अधिक उम्र के कारण यादाश्त कमजोर हो गया है और दिमाग मे बोझ लेने का क्षमता खत्म हो चुका है।
अगर इस पर प्रभात खबर Management जल्द फैसला नहीं लिया तो उन्हें भयानक आर्थिक नुकसान होगा।👌🤔