केंद्र सरकार शत्रु देश पाकिस्तान का पानी रोकेगी तो उसमें झामुमो सहयोग भी करेगा, लेकिन यहां तो झारखण्ड का पानी भी रोका जाने लगा हैः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने केन्द्र से सवाल किया है कि झारखण्ड ने उनका क्या बिगाड़ा है कि उसके हक का पैसा देने में केन्द्र सरकार आनाकानी कर रही है। झारखण्ड तो सिर्फ अपने हक का पैसा मांग रहा है। केन्द्र सरकार यूपी और बिहार को तो सरप्लस पैसे थमा दे रही है और बंगाल तथा झारखण्ड उनके आंखों का किरकिरी बना हुआ है। सुप्रियो आज रांची के झामुमो कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह बात कही।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने मंत्री को कह दिया है कि अपने हक का पैसा लेने के लिए वे दिल्ली में जाकर बैठ जाये। मंत्रालय के समक्ष धरना पर बैठ जाये, क्योंकि अब तो झारखण्ड के मंत्री जब केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को बार-बार खत लिख रहे हैं, मेल पर मेल किये जा रहे हैं। लेकिन वे हमारे मंत्री के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्हें अपना समय नहीं दे रहे हैं। सुप्रियो ने कहा कि हम झारखण्ड का पाई-पाई लेने के लिए अब आंदोलन करेगे। ये केन्द्र सरकार जान लें।
सुप्रियो ने कहा कि केन्द्र सरकार शत्रु देश पाकिस्तान का पानी रोक रही हैं, हम उसमें सहयोग भी करेंगे। लेकिन हमारे राज्य के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, ये हम कैसे बर्दाश्त करें? उन्होंने कहा कि याद करिये ये केन्द्र सरकार 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी। ये योजना 2019 से 2024 तक चला और अब भी चल रहा है। झारखण्ड के लिए यह पूरी योजना 24 हजार 665 करोड़ 30 लाख रुपये की थी।
जिसमें केन्द्र को 12 हजार 257 करोड़ 33 लाख देना था तथा राज्य सरकार को अपनी ओर से 12 हजार 407 करोड़ 47 लाख खर्च करना था। पांच सालों तक इस राज्य सरकार ने अपने पैसे से इस राज्य में जल जीवन मिशन योजना को शुरु किया। जिसमें केन्द्र सरकार बाधक बनकर उपस्थित हो गई। जो पैसा केन्द्र को देना था। वो आज तक नहीं दी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में केन्द्र सरकार ने कहा था कि वो 2114 करोड़ 16 लाख रुपये देगी। लेकिन दिया मात्र 70 करोड़ और 2025-26 की तो बात ही छोड़ दीजिये। एक पैसा नहीं मिला। घोषणा तक नहीं की गई है।
सुप्रियो ने कहा कि आखिर हम अपना बकाया ही तो मांग रहे हैं। ये तो हमारा हक है। कोयला मंत्रालय के पास हमारे राज्य का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है। उसे भी देने में ये आनाकानी कर रहे हैं। आखिर हमें भी तो अपने लोगों को पानी पहुंचाना है और जब आप किसी योजना को पूरा नहीं कर पाते तो आप ऐसी योजना शुरु ही क्यों करते हैं। आखिर इन योजना का क्या औचित्य है?