दिसंबर तक व्यवस्था न हुई तो एमजीएम अस्पताल और कॉलेज के सामने जल संकट तय, चुनाव में लाभ लेने के लिए तत्कालीन मंत्री ने सीएम हेमन्त को अंधेरे में रख कर करवा लिया था उद्घाटनः सरयू राय
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल के डिमना स्थित नये भवन में पानी की समस्या गंभीर हो गई है। कॉलेज में सीटें बढ़ने के बाद अस्पताल के साथ ही हॉस्टल एवं अस्पताल के रिहायशी भवनों में पानी की खपत बढ़ गई है। अस्पताल परिसर में पांच डीप बोरिंग कराकर उनसे होने वाली जलापूर्ति अस्पताल एवं कॉलेज के लिए अपर्याप्त सिद्ध हो रही है। अस्पताल के लिए स्वर्णरेखा नदी से पानी लेने की परियोजना का काम अत्यंत धीमा है। अस्पताल के अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यदि दिसंबर तक पानी की व्यवस्था नहीं हुई तो अस्पताल और कॉलेज के सामने पानी का संकट खड़ा हो जाएगा।
यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि जनहित एवं जनस्वास्थ्य से जुड़ी विकास परियोजनाओं में राजनीतिक आधार पर निहित स्वार्थी हस्तक्षेप होता है और विभाग के वरीय अधिकारी राजनीतिक दबाव में आकर उचित-अनुचित का विवेक भूल जाते हैं तो विकास परियोजनाओं की वही दुर्गति होती है जैसा एमजीएम अस्पताल का हो रहा है।
उन्होंने कहा कि एक साल पहले विधानसभा चुनाव के समय राजनीतिक लाभ लेने के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को अंधेरे में रख कर एमजीएम अस्पताल का अधकचरा उद्घाटन करा लिया। उस समय न तो नया भवन हस्तांतरित हुआ था, न ही उसमें पानी की व्यवस्था हुई थी। कई ओपीडी को नए भवन में लाने की घोषणा हो गई ताकि विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके, पर वैसा हो नहीं पाया। आश्चर्य है कि स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराने की जगह विभागीय मंत्री के दबाव में बिना तैयारी के अस्पताल को पुराने भवन से नए भवन में स्थानांतरित करने में सक्रिय हो गए।
सरयू राय ने कहा कि जिला के उपायुक्त को निर्देश देकर उन्होंने (पूर्व मंत्री ने) पानी के लिए पांच डीप बोरिंग करवा दिया जबकि पर्यावरण नियमों के अनुसार इसकी मनाही है। उस समय उन्होंने (सरयू राय ने) एवं अन्य जानकार लोगों ने कहा था कि बोरिंग के पानी से इतना बड़ा अस्पताल नहीं चलाया जा सकता। अब अस्पताल के अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य पानी की कमी पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं को इसके लिए दोषी वे अधिकारी और नेता हैं जो विकास कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप करने के आदी हो गए हैं।
सरयू राय ने आशंका जताई कि दिसंबर के बाद भूगर्भ जल का स्तर नीचे जाएगा तो डीप बोरिंग भी जवाब दे देंगे। इनकी क्षमता घटती चली जाएगी और अस्पताल के समीपवर्ती इलाकों का जलस्तर नीचे जाने से वहां भी पेयजल का संकट खड़ा हो सकता है। एक बार फिर एमजीएम अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ज़िला प्रशासन पर दबाव डाल सकते हैं कि नागरिकों के लिए पेयजल आपूर्ति करने वाली एमजीएम की पानी टंकी से अस्पताल को पानी दिया जाए। वस्तुस्थिति यह है कि इस पानी की टंकी से नागरिक उपभोक्ताओं को ही पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।
श्री राय ने कहा कि उन्होंने सुझाव दिया है कि टाटा स्टील के डिमना लेक से जमशेदपुर पानी ले जा रहे पाइपलाइन से एमजीएम अस्पताल के लिए तैयार हो रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में अस्पताल की ज़रूरत के हिसाब से पानी लिया जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के सचिव स्तर से टाटा स्टील प्रबंधन से वार्ता किया जाना ही एमजीएम अस्पताल को पर्याप्त पानी देने का एकमात्र उपाय है।
