धरती पर उतरा स्वर्ग, छठव्रतियों व उनके परिवारों के समूह ने दिया उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अंतिम अर्घ्य, महापर्व छठ संपन्न
कार्तिक शुक्ल रवि षष्ठी व्रत के दूसरे दिन आज धरती पर स्वर्ग उतर आया। चूंकि आज सप्तमी तिथि थी तो आज का दिन भगवान भास्कर के लिए और भी अतिप्रिय होता है। इस अतिप्रिय दिन को भगवान भास्कर के भक्तों ने बड़े ही सुंदर भाव से भगवान भास्कर व छठि मइया को याद किया। उन्हें अर्घ्य प्रदान किये तथा अपने परिवार के लिए मंगलकामनाएं की।

विद्रोही24 ने देखा कि जैसे ही ब्रह्म मुहूर्त प्रारंभ हुआ। छठव्रतियों के परिवारों के घरों से सूपों पर सजे फलों व पकवानों से लदे दउरों को लिये पुरुषों व स्त्रियों को समूह भगवान भास्कर व छठि मइयां का गीत गाते विभिन्न जलाशयों की ओर निकल पड़ा। ठीक उनके पीछे-पीछे छठव्रती हाथ में अमनियां लोटे व आम की डौंगी लेकर धीरे-धीरे चल रही थी, जबकि बच्चों के छोटे-छोटे हाथों में दूध का पात्र मौजूद था।

विभिन्न जलाशयों तथा फलों व पकवानों से सजे सूपों के उपर के जलते दीये और उनका जल पर बन रहा प्रतिबिम्ब मनोहारि दृश्य उत्पन्न कर रहा था। विद्रोही24 ने देखा विभिन्न समाचार पत्रों व चैनलों में कार्यरत छायाकारों का समूह अपने-अपने दृष्टिकोणों का प्रयोग करते हुए इन निर्मल चित्रों को लेने का प्रयास कर रहा था। दूसरी ओर छठव्रतियों के परिवारों के बच्चे अपने-अपने चलन्त दूरभाषों से अपने-अपने परिवारों के छायाचित्रों को अपने चलन्त दूरभाषों में कैद कर रहे थे।

विभिन्न छठ पूजा समितियां अपने-अपने ढंग से छठव्रतियों व उनके परिवारों का दूरन्त ध्वनियंत्रों से स्वागत के दो शब्द कहे जा रहे थे। हालांकि इस बार छठ पूजा समितियां का सारा काम रांची नगर निगम व हेमन्त सरकार की दूर-दृष्टियों ने कर दिया था। हर जगह वो सारी सुविधाएं सरकार की ओर से छठव्रतियों और उनके परिवारों को उपलब्ध करा दी गई थी, जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी।
आकाश में पश्चिम व विभिन्न दिशाओं से पूर्व की ओर विचरण कर रहे विभिन्न पक्षियों का समूह इस प्रकार से होड़ लगा रहे थे, जैसे वे भी छठव्रतियों के साथ भगवान भास्कर के दर्शन करने के लिए अपने-अपने घोसलों से निकल पड़े हो। कई जगहों पर विद्रोही24 ने देखा कि कुछ छठव्रती अपनी धन-संपदाओं का प्रदर्शन करते नजर आये। बड़े-बड़े वाहनों से विभिन्न जलाशयों की ओर जाते दिखे, जबकि कई लोगों को देखा कि धन-संपदाओं के रहने के बावजूद सामान्य लोगों की तरह विभिन्न जलाशयों पर जाते दिखे और भगवान भास्कर व छठि मइया को अपना अर्घ्य समर्पित किया।
कई जगहों पर लोग अपनी हैसियत के मुताबिक छठव्रतियों और उनके परिवारों को सेवा करते भी नजर आये। कोई चाय पीलाकर छठव्रतियों और उनके परिवारों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश कर रहा था तो कोई पूजा में लगनेवाले फल-फूल, दूध आदि की व्यवस्था कर रखा था। पर सभी के मन में यही भाव की किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न हो।
कई छठव्रती महिलाएं-पुरुष अपने घरों से लेकर विभिन्न जलाशयों तक साष्टांग दंडवत् करते हुए घाटों तक पहुंचे और सीधे जलाशयों में प्रवेश कर डूबकी लगाई और भगवान भास्कर व छठि मइयां को हृदय में धारण कर करवद्ध होकर सूर्यनारायण के समक्ष नतमस्तक हो गये। छठव्रतियों का यह सुन्दर भाव देखने के लिए अब एक वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा।
