योगदा आश्रम में धूमधाम से संपन्न हुआ गुरु पूर्णिमा समारोह, स्वामी पवित्रानन्द ने गुरुः ईश्वर-प्राप्ति हेतु दिव्य पथ-प्रदर्शक विषय पर योगदा भक्तों का किया मार्गदर्शन
गुरुवार को योगदा आश्रम, राँची में अत्यन्त हर्षोल्लास के साथ गुरु पूर्णिमा का समारोह मनाया गया। उत्सव का आरम्भ प्रातःकाल स्वामी पवित्रानन्द द्वारा संचालित एक विशेष ऑनलाइन ध्यान और सत्संग के साथ हुआ। इस प्रसारण के माध्यम से सम्पूर्ण भारत में अनेक भक्तों ने भाग लिया। गुरु-शिष्य सम्बन्ध विषय पर बोलते हुए स्वामी पवित्रानन्द ने श्री श्री परमहंस योगानन्द के शब्दों को उद्धृत किया, “भारत द्वारा प्रदान की गई शिक्षाओं का अनुसरण करें, जिनमें वहाँ के गुरुओं ने विशेषज्ञता प्राप्त की है।
चरणबद्ध विधियों के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने का ज्ञान भारत द्वारा विश्व को प्रदान किया गया सर्वोच्च उपहार है। यदि आप भारत की सेल्फ़-रियलाइज़ेशन [योगदा सत्संग] शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं, तो आप इसी जीवन में ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं।” स्वामीजी ने इसे समझाते हुए आगे कहा कि, योगानन्दजी जानते थे कि इस आधुनिक युग में—जब गुरु और शिष्य प्रायः एक दूसरे से दूर रहते हैं—शिष्य के लिए अपने गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान प्राप्त करना कठिन होगा।
इसलिए उन्होंने योगदा सत्संग पाठमाला की रचना की, जिसमें ध्यान प्रविधियों—अर्थात् ध्यान के क्रियायोग विज्ञान—की एक शक्तिशाली प्रणाली को सम्मिलित किया गया है। आत्मा का यह प्राचीन विज्ञान—जिसका परिचय लाखों लोगों को “योगी कथामृत” के माध्यम से प्राप्त हुआ है—उच्चतर आध्यात्मिक चेतना और ईश्वर-साक्षात्कार के आन्तरिक आनन्द के जागरण के शक्तिशाली उपाय प्रदान करता है।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले भक्तों ने 9:30 से 11:30 बजे तक गुरु पूजा के साथ-साथ ब्रह्मचारी शाम्भवानन्द और गौतमानन्द द्वारा संचालित भजनों का आनन्द लिया। तत्पश्चात्, सैकड़ों भक्तों तथा स्थानीय लोगों और अन्य आगन्तुकों ने भण्डारा प्रसाद ग्रहण किया।
समारोह का समापन सायंकाल ब्रह्मचारी सच्चिदानन्द के द्वारा संचालित तीन घण्टे के एक विशेष दीर्घ ध्यान के साथ हुआ। इस ध्यान कार्यक्रम में उन्होंने योगदा सत्संग शिक्षाओं के कुछ अंश पढ़े जिसके अन्तर्गत उन्होंने बताया कि किस प्रकार से अमर गुरु महावतार बाबाजी ने श्री श्री परमहंस योगानन्द को अमेरिका और सम्पूर्ण विश्व में क्रियायोग का प्रचार-प्रसार करने का कार्य सौंपा था।
विशेषः यह समाचार योगदा सत्संग सोसाइटी द्वारा संप्रेषित हैं। अधिक जानकारी के लिए : yssofindia.org से संपर्क कर सकते हैं।