सरायकेला-खरसावां में राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा यूरोलॉजी चिकित्सा में हुई उल्लेखनीय प्रगति
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने आज Jharkhand Urology Society (East Zone Chapter of Urological Society of India) द्वारा होटल वेव इंटरनेशनल, सरायकेला-खरसावाँ में आयोजित ’34वें वार्षिक सम्मेलन’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यूरोलॉजी चिकित्सा की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विशिष्ट शाखा है, इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश के चिकित्सक इन आधुनिक तकनीकों को आत्मसात कर विश्वस्तरीय उपचार प्रदान कर रहे हैं।
राज्यपाल ने छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में यूरोलॉजिस्ट की कमी को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि इस कारण अनेक मरीजों को उपचार के लिए बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है, जिससे उन्हें आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने इस चुनौती के समाधान के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं को छोटे शहरों तक पहुँचाने के सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।
राज्यपाल ने स्वास्थ्य जागरूकता पर बल देते हुए कहा कि पथरी, प्रोस्टेट तथा मूत्र संक्रमण जैसी बीमारियाँ आज आम होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग पथरी के दर्द को सामान्य दर्द समझ लेते हैं और मेडिकल स्टोर से दवा लेकर लोग उपचार करने लगते हैं, जिससे बीमारी बढ़ जाती है और जटिल स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें, किसी भी असामान्य लक्षण को हल्के में न लें और समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श ले। साथ ही उन्होंने कहा कि अपने खानपान और जीवनशैली दोनों के प्रति सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि स्वस्थ आदतें ही स्वस्थ जीवन का आधार हैं।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में उठाए गए ऐतिहासिक कदमों आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और जन औषधि केंद्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये पहल देश के करोड़ों नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वरदान साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि “स्वस्थ भारत ही समृद्ध भारत का आधार है।”
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान मानवीयता के भी सर्वोच्च रूप हैं। चिकित्सक समाज के लिए जीवनदायिनी और नई आशा के स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलन न केवल ज्ञानवर्धक हैं, बल्कि समाज के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में भी सार्थक योगदान देते हैं।