सरकार की प्राथमिकता: किसानों को फसलों के उचित दाम और समय पर मिले भुगतान – हेमन्त सोरेन
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में आज झारखंड विधानसभा में सिद्धो–कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (सिद्धकोफेड) के निदेशक मण्डल की चतुर्थ बैठक आयोजित हुई। बैठक में कृषि एवं वनोपज क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण, किसानों की आय वृद्धि, स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने तथा प्रशिक्षण एवं विपणन तंत्र को सशक्त बनाने से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई और कई प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य में कृषि एवं वनोपज क्षेत्र में अत्यधिक संभावनाएं हैं। किसानों को आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती के प्रत्येक चरण—उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण से लेकर विपणन तक—पूर्ण सहयोग प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज, सिंचाई की बेहतर सुविधा और बाजार तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य का भुगतान समय पर मिलना चाहिए, ताकि उनका मनोबल बढ़े, वे आर्थिक रूप से सशक्त हों और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए किसानों की समृद्धि ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने जलस्रोतों के संरक्षण और चेक डैमों की मरम्मत एवं देखरेख की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इन जल संरचनाओं की देखरेख की जिम्मेदारी किसानों के समूहों या जलसहिया समितियों को सौंपी जाए, ताकि स्थानीय स्तर पर स्वामित्व और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित हो सकें। इस पहल से न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी स्थायी आधार प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों के हित में एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन (Mobile Application) विकसित किया जाए। इस एप के माध्यम से राज्य के विभिन्न जिलों के किसान अपनी फसलों, आवश्यक कृषि सामग्रियों, विपणन स्थिति और बाजार संबंधी जानकारी को सीधे डिजिटल माध्यम से साझा कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस डिजिटल पहल से किसानों को न केवल अपने उत्पादों के बेहतर मूल्य निर्धारण में सहायता मिलेगी, बल्कि उन्हें बाजार की वास्तविक स्थिति की अद्यतन जानकारी भी प्राप्त होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कृषि विभाग का एक स्थानीय पोर्टल (Local Portal) विकसित किया जाए, जिसके माध्यम से उपभोक्ता सीधे किसानों से जुड़कर कृषि उत्पादों की खरीद कर सकें। इस व्यवस्था से किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक पारदर्शी एवं लाभकारी संपर्क स्थापित होगा, जिससे बिचौलियों की भूमिका घटेगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में लाह, इमली, कोदो, कुटकी, चिरौंजी, महुआ, करंज, रेशम और तसर जैसे झारखंड के विशिष्ट वनोपजों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस दिशा में कार्ययोजना तैयार कर समयबद्ध रूप से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें, ताकि राज्य के किसानों और वनोपज संग्राहकों को इसका सीधा आर्थिक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कृषि एवं वनोपज आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए सभी विभाग समन्वित रूप से कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार राज्य के वनोपज उत्पादों को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ठोस एवं निर्णायक पहल कर रही है। सरकार का उद्देश्य न केवल इन उत्पादों के विपणन और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना है, बल्कि राज्य के किसानों, विशेषकर ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों के कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार खेतिहर समुदाय को वैकल्पिक कृषि, प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और विपणन के बेहतर अवसर उपलब्ध करा रही है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा और गति दी जा सके।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को ज्ञान और तकनीक के माध्यम से समृद्ध बनाने के लिए “किसान पाठशाला” जैसी पहल को सुदृढ़ किया जाए। किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों, संरक्षण तकनीकों तथा नवाचारों से जोड़ने के लिए वीडियो आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएँ, ताकि वे संबंधित मूल्य संवर्धन की तकनीकों को व्यवहारिक रूप से अपना सकें। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इन पहलों के माध्यम से ग्रामीण एवं जनजातीय समुदायों को उनकी परंपरागत आजीविका से जोड़ते हुए आधुनिक आर्थिक तंत्र में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और परिणामोन्मुख दृष्टिकोण अपनाया जाए, ताकि झारखंड के किसान वर्ग को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो और राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो। बैठक में सिद्धो–कान्हू कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (सिद्धकोफेड) द्वारा वित्तीय वर्ष 2025–26 एवं 2026–27 के लिए विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, बजट एवं कार्ययोजनाओं पर विस्तृत विचार–विमर्श किया गया। इस दौरान लाह, बीज, तसर सहित राज्य के प्रमुख कृषि–वनोपज उत्पादों के उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने से संबंधित नीतिगत निर्णय लिए गए।
