अपनी बात

करेला से स्ट्रॉबेरी तक, ड्रिप सिंचाई बनी महिला किसानों के बदलाव की मिसाल, लखपति दीदी की सूची में शामिल हो रहीं झारखण्ड की ग्रामीण महिलाएं

दुमका की पूजा सोरेन के लिए सिंचाई और पूंजी के अभाव में खेती करना भी मुश्किल था। लेकिन पूजा ने सखी मंडल और झिमड़ी परियोजना से जुड़कर खेती और अपनी जिंदगी को नई दिशा दी। उसने ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाई और करेले की व्यावसायिक खेती शुरू की। आज पूजा सालभर करेला, मिर्च और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों की खेती कर रही हैं।

ड्रिप से पौधों को समय पर नमी और पोषण मिला, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ी। समूह के सहयोग से बाजार से सीधा जुड़ाव हुआ और हाल ही में उन्होंने करेले को 35-40 रुपये प्रति किलो बेचकर एक लाख रुपये से अधिक की आमदनी अर्जित की। लगातार उत्पादन और उचित मूल्य मिलने से उनकी सालाना आय 4 लाख रुपये से अधिक हो चुकी है।

यह सिर्फ पूजा के बदलाव की कहानी नहीं है बल्कि पूजा जैसी कई महिलाओं ने झिमड़ी परियोजना से जुड़कर खेती का नया अध्याय शुरू किया है। खूंटी के कर्रा प्रखंड की विनीता देवी ने भी 2022 में झिमड़ी परियोजना से जुड़कर पहली बार फ्रेंच बीन्स की खेती की। उन्होंने केवल 12,300 रुपये की लागत से 51,540 रुपये का लाभ कमाया। परियोजना से उन्हें ड्रिप सिंचाई प्रणाली के साथ पॉली नर्सरी हाउस भी मिला, जिससे पौधे खराब मौसम और कीटों से सुरक्षित रहते हैं।

आज विनीता करेले की खेती कर रही हैं और उनकी सालाना आमदनी लगभग 1.20 लाख रुपये है। वे बताती हैं पहले परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन सखी मंडल से जुड़ने के बाद हालात बदल गए। ड्रिप सिंचाई से अधिक फसल उग रही है और इसमें पारंपरिक खेती की तरह ज्यादा श्रम की भी जरूरत नहीं पड़ती।

वहीं रांची के नगड़ी प्रखंड की मधुबाला देवी पहले सीमित संसाधनों और सिंचाई की कमी के कारण खेती से बहुत कम आय कमा पाती थीं। लेकिन झिमड़ी परियोजना के अंतर्गत ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने के बाद उनका जीवन बदल गया। उन्होंने 25 डिसमिल भूमि पर सब्जियों की खेती शुरू की। आधुनिक तकनीकों से उगाई गई उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों ने उनकी आय दोगुनी कर दी। अब मधुबाला सालाना करीब 2 लाख रुपये कमा रही हैं और ‘लखपति दीदी’ की सूची में शामिल हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर झिमड़ी परियोजना को मिला दो वर्ष का विस्तार

राज्य में किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली झारखण्ड माइक्रो ड्रिप इरिगेशन परियोजना को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश पर झिमड़ी परियोजना को दो वर्ष का विस्तार मिल चुका है। इस परियोजना के जरिये ही किसान अपनी सफलता की नई कहानी लिख रहें हैं हैं। झारखण्ड स्टेट लाइव्लीहुड प्रोमोशन सोसाइटी, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा लागू इस परियोजना ने अप्रैल 2025 तक किसानों की आय और कृषि उत्पादकता में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की है।

परियोजना की सफलता और ग्रामीण किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने झिमड़ी परियोजना को 2027 तक का अवधि विस्तार दिया है। इस विस्तार से राज्य के 30 हजार से अधिक किसान सीधे लाभान्वित होंगे। वर्तमान में 9 जिलों के 30 प्रखंडों में 28,298 महिला किसान इस योजना से जुड़कर माइक्रो ड्रिप इरिगेशन तकनीक के माध्यम से सालभर खेती कर रहीं हैं। उन्हें वर्मी कम्पोस्ट, पॉली नर्सरी हाउस के साथ-साथ तकनीकी प्रशिक्षण और निरंतर सहयोग भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

आय में दोगुनी बढ़ोतरी, फसल उपज में रिकॉर्ड सुधार

बता दें परियोजना से जुड़कर किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि हुई है। ओरमांझी, कुड़ू और कांके जैसे इलाकों के किसान केवल रबी सीजन में ही 32,000 से 48,000 रुपये तक कमा रहे हैं। वहीं औसत उपज 536 किलो से बढ़कर 1,318 किलो प्रति 0.1 हेक्टेयर प्रति सीजन हो गई है। आलू, लौकी और फूलगोभी जैसी फसलों ने बेहतरीन उत्पादकता दी, जबकि स्ट्रॉबेरी, मिर्च और मटर ने किसानों की नकदी आय को बढ़ाया।

परियोजना के तहत अब तक 28,298 माइक्रो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम स्थापित किए गए हैं, जिनसे 2,829 हेक्टेयर क्षेत्र को लाभ मिला है। इससे पानी की बचत, सालभर खेती और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित हुआ है। 13,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। 50 एफटीसी, 88 बीआरपी और 1,000 से ज्यादा सीआरपी किसानों तक तकनीकी सहयोग पहुंचा रहे हैं। 5,224 किसान Samiksha  ऑनलाइन मॉड्यूल से भी जुड़े।

उन्नत बीज किस्मों, वर्मी कम्पोस्ट और जैव-कीटनाशकों का उपयोग तेजी से बढ़ा है। मिट्टी और नर्सरी सुधार के लिए 13,289 पॉली नर्सरी हाउस और 21,871 वर्मी कम्पोस्ट इकाइयाँ लगाई गई हैं। 15 सोलर कोल्ड चैंबर, 198 इम्प्लीमेंट बैंक और 14 मल्टी पर्पज कम्युनिटी सेंटर (MPCC) पूरी तरह से संचालित हो चुके हैं। इनका संचालन उत्पादक समूहों द्वारा किया जा रहा है। इन सुविधाओं से किसानों को अपने उत्पाद को लंबे समय तक ताजा रखने, जरूरी उपकरण समय पर उपलब्ध कराने और सामूहिक रूप से बाजार तक पहुंच बनाने में मदद मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *