स्पीकर द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में नेता प्रतिपक्ष की मौजूदगी के बावजूद विधानसभा सचिवालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बाबूलाल मरांडी का नाम तक नहीं
झारखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने अपने कक्ष में विधानसभा के मानसून सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई। जिसमें सारे दलों के विधायक दल के नेताओं ने भाग लिया। पहली बार नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी भी शामिल हुए। लेकिन आश्चर्य यह है कि विधानसभा सचिवालय से जो आज इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। उसमें सारे दलों के विधायक दल के नेताओं के नाम, यहां तक की विधानसभा में कार्यरत पदाधिकारियों के नाम तक मौजूद हैं। लेकिन नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का नाम गायब है।
अब सवाल उठता है कि ये मानवीय भूल है या जानबूझकर ऐसा किया गया। ये प्रेस विज्ञप्ति झारखण्ड विधानसभा, रांची के जनसम्पर्क अधिकारी गुलाम मो. सरफराज के हस्ताक्षर से जारी किये गये हैं। आश्चर्य है, कि अब तक जब भी विधायक दल के नेताओं की बैठक विधानसभाध्यक्ष ने अपने कक्ष में बुलाई, तो भाजपा को छोड़कर सभी दलों के विधायक दल के नेता उसमें उपस्थित रहते थे।
लेकिन भाजपा की ओर से उनका विधायक दल का नेता बाबूलाल मरांडी को घोषित करने के बावजूद न तो झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष घोषित किया और न ही भाजपा की ओर से कोई नेता इनके द्वारा बुलाये गये सर्वदलीय बैठक में भाग लेता था। आज छह सालों में पहली बार बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष के रूप में भाग लिये और उसके बावजूद झारखण्ड विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में उनका नाम गायब हो जाना, आखिर क्या बताता है, कही ऐसा तो नहीं कि झारखण्ड विधानसभा सचिवालय आज भी उन्हें इस योग्य मानता ही नहीं, कि वे प्रेस विज्ञप्ति में भी दिख सकें।
जब विद्रोही24 ने नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी से इस संबंध में बातचीत की, तो उनका कहना था कि हो सकता है कि झारखण्ड विधानसभा सचिवालय अभी भी ये मानने को तैयार न हो कि वे नेता प्रतिपक्ष या भाजपा विधायक दल के नेता है। नहीं तो सारे दलों के विधायक दलों के नेताओं के नाम प्रेस विज्ञप्ति में दिखाई दे रहे हैं। उनका नाम इस प्रेस विज्ञप्ति में क्यों नहीं हैं? ये तो झारखण्ड विधानसभा सचिवालय के अधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं।
आश्चर्य तो यह भी है कि इस प्रेस विज्ञप्ति में सत्ता पक्ष के संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर का नाम भी गलत छपा हुआ है। राधा को राघा कर दिया गया है। मतलब जब सत्ता पक्ष के नेताओं का नाम ही गलत हैं, तो नेता प्रतिपक्ष का नाम प्रेस विज्ञप्ति से गायब हो जाने का गम भला विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों को थोड़े ही होगा। आश्चर्य है कि प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के क्रम में लोग यह भी देखने की कोशिश नहीं करते, कि गलत क्या है और सही क्या है? दरअसल उन्हें लगता है कि जब झारखण्ड विधानसभा के प्रेस दीर्घा समिति में बैठनेवाले सारे अखबारों/चैनलों के प्रमुख लोग उनकी परिक्रमा करते हैं, तो किसमें दम कि उनकी गलतियों पर अंगूली उठा दें।