जयचंद और मीरजाफर द्वारा देश के साथ की गई गद्दारी को और धार देने में लगे कांग्रेसी नेता, किसान नेता व एक तथाकथित लोक गायिका, पाकिस्तान ने इन्हीं सभी के बयानों को आधार बनाकर भारत को किया घेरना शुरू
धन्य हैं वे कांग्रेसी नेता व इंडी गठबंधन से जुड़े लोग, विचारक-लोक कलाकार जो आज भी जयचंद व मीरजाफर द्वारा देश के साथ की गई गद्दारी को दिलो जां से भारत में फिर से स्थापित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। उनके इस गद्दारी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उनके पदचिह्नों पर चलनेवाले लोग पूरे सोशल साइट पर गंध मचाये हुए हैं।
ऐसे तो सारा देश वर्तमान में पहलगाम में घटित आतंकी घटनाओं से दुखी हैं और इस आतंकी घटना के दोषी पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एकजुट हैं। लेकिन इसके बावजूद इन कांग्रेसी नेताओं, वामपंथी विचारकों, कुछ लोक-कलाकारों, एक किसान नेता को इसमें पाकिस्तान कहीं भी नहीं दिखाई पड़ रहा और न ही ये पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द बोल रहे हैं, उलटे जब भारत सरकार पहलगाम के आतंकी घटना के बाद जब पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एक्शन ले रही है, तो ये भारत सरकार के इस कदम पर ही अंगूली उठा रहे हैं तथा पाकिस्तान के पक्ष में बयान दे रहे हैं। हालांकि उनकी ये हरकतें कोई नई नहीं हैं। ये शुरु से ही पाकिस्तानी आतंकियों और भारत विरोधी पाकिस्तान के पक्ष में हमेशा से खड़े रहे हैं।
याद करिये कभी मध्य प्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री रहा कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह विश्व प्रसिद्ध कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी और भारत का सबसे बड़ा शत्रु हाफिज सईद को सईद साहब कहकर भी बुलाया करता था। हाल ही में सोनिया गांधी का दामाद, राहुल गांधी का जीजा, प्रियंका का पति रावर्ट वाड्रा ने तो पहलगाम की आतंकी घटना को हिन्दु-मुस्लिम से जोड़ दिया। उसका बयान था कि चूंकि देश में हिन्दू-मुसलमान के नाम पर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है, इसलिए आतंकियों ने धर्म पूछकर हिन्दूओं की गोली मार दी।
एक और कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने तो पहलगाम की घटना को विभाजन के अनसुलझे सवालों से ही जोड़ दिया। एक कांग्रेसी नेता सैफुद्दीन सोज ने तो साफ कह दिया कि सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा है। अगर पाकिस्तान कह रहा है कि हमले में उसका हाथ नहीं है, तो हमें उसकी बात मान लेनी चाहिए। कर्नाटक का कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तो साफ कहता है कि हम पाकिस्तान से युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। कड़ी सुरक्षा देनी चाहिए। जब लोगों ने उसके इस बयान को लेकर गर्दन पकड़ी तो उसने बयान बदल दिया और कहा अगर जरुरी हुआ तो भारत को युद्ध करना पड़ेगा।
भारत का एक किसान नेता नरेश सिंह टिकैत ने तो सिंधु नदी समझौते को रद्द कर पानी रोकने के भारत सरकार के निर्णय को ही गलत बता दिया और रही सही कसर तथाकथित लोकगायिका नेहा सिंह राठौड़ ने निकाल दिया। वो ले-देकर प्रधानमंत्री पर पिल गई और उसने एक गीत ऐसा गाया, जिसमें उसने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री को चाइना से डर लगता है। अब इन बेशर्मों को ये नहीं पता कि उनके ये संवाद/गीत भारत के दुश्मनों को कितने रास आ रहे हैं और वे उनके इस भारत विरोधी बयान को किस प्रकार दुनिया में पेश कर रहे हैं।
जब बड़े स्तर पर भारत से प्रेम करनेवालों करोड़ों भारतीयों ने इन पर तीखे हमले किये, तो इन राष्ट्रविरोधी तत्वों ने उन्हें अंधभक्त करार दे दिया। मतलब भाजपा और मोदी के विरोध में ये लोग इतने अंधे हो गये हैं कि इन्हें ये पता ही नहीं चल रहा कि वे कब पाकिस्तान की गोदी में जाकर खेलने लगे और उनसे पाकिस्तान कैसे विश्वस्तर पर भारत को ही नीचा दिखा रहा है। आश्चर्य तो यह भी है कि इन राष्ट्रविरोधी तत्वों ने एक बार भी पहलगाम में आतंकियों के गोली का शिकार बने लोगों के परिजनों के पास जाने की जहमत नहीं उठाई, न ही उनके मृत्यु पर आंसू बहाया और न ही पाकिस्तान को इस मामले में घेरा।
लेकिन ले-देकर बैठ गये। भारत विरोधी बयान देने, पाकिस्तान के हाथों को मजबूत करने और जब किसी ने इनमें से एक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा दिया तो ये कहने लगे कि मोदी और योगी ने ही प्राथमिकी दर्ज करवा दी। अरे जब तुम्हें मोदी और योगी से इतना ही डर लगता है तो अल-बल बयान क्यों देते हो और जब देते हो तो प्राथमिकी के बाद तुम्हें डर क्यों लगने लगता है। कांपने क्यों लगते हो? मुफ्त के वकील ढूंढने का इश्तेहार क्यों लगाते हो?
विद्रोही24 तो देख रहा है कि इन देश-द्रोहियों के पक्ष में कई वामपंथी मुखर हो रहे हैं और इसे सरकार से सवाल पूछने का हक से जोड़ रहे हैं। लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता कि ये वक्त अभी सरकार से सवाल पूछने का नहीं, बल्कि भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाने का है। आश्चर्य की बात है कि जिस कांग्रेस के शासनकाल में कश्मीर हिन्दूविहीन हो गया। जहां आतंकियों ने हिन्दूओं को उनके ही घर से निकाल-बाहर किया। उसी कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद बड़ी तेजी से वहां की तस्वीर बदल रही थी। जिसे पाकिस्तान और उसके आतंकी पचा नहीं पा रहे थे। जिसका उसने 22 अप्रैल को बदला लिया।
ऐसे भी अगर कोई देश या सरकार ये कहे कि उसके यहां कभी कोई आतंकी घटना घटेगी ही नहीं, ये असंभव है। अमरीका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और इजराइल जैसे विकसित देशों में भी कई बार आतंकी घटनाएं घटित हुई हैं। लेकिन वहां के लोगों ने कभी भी अपने शत्रुओं के पक्ष में कोई ऐसा बयान नहीं दिया, जिससे उनके शत्रुओं का मनोबल बढ़े। पर हमारे देश में तो पाकिस्तान और आतंकियों के पक्ष में बयान देने और भारत सरकार के विरोध में गीत गाने की एक लहर सी चल पड़ी हैं और दुर्भाग्य इस देश का देखिये कि इसमें शामिल कोई और नहीं, बल्कि देश की ही प्रमुख राजनीतिक पार्टी और उनके परिवार के लोग हैं। जो लाज-शर्म धोकर वो सारे कुकर्म कर रहे हैं, जिससे भारत कमजोर होता है।