राजनीति

CM हेमन्त सोरेन हुए लुगूबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ में शामिल, कहा अबुआ समाज, संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज को संरक्षित, समृद्ध तथा आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

यह सिर्फ एक महोत्सव नहीं है बल्कि अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति हमारी अटूट आस्था श्रद्धा और भक्ति का परिचायक है। हमें अपनी परंपरा एवं संस्कृति को संरक्षित रखते हुए इसे और मजबूती प्रदान करना है ताकि आने वाली पीढ़ी इससे अवगत रहे और अपनी इन परंपराओं को और आगे ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड स्थित ललपनिया में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय लुगूबुरु, घांटाबाड़ी, धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव- 2025 के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपनी परंपरा और संस्कृति को जितनी अच्छी तरह समझेंगे, उतना ही बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगू बुरु विशेष रूप से संताल समाज के लिए एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले लुगूबुरु, घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव में झारखंड के अलावा देश के अन्य प्रदेशों तथा विदेशों से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। वे यहां लुगू बाबा का दर्शन और पारंपरिक विधि- विधान से पूजा- अर्चना कर खुशहाली की कामना करते हैं। यह परंपरा यहां वर्षों से चली आ रही है। इस वर्ष भी तीन दिनों के इस राजकीय महोत्सव में यहां आये सभी श्रद्धालुओं के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं। यह महोत्सव आगे और भी भव्यता को प्राप्त करे और समृद्ध हो, लुगू बाबा के दरबार में हम यही आराधना करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगूबुरु संताल समुदाय का एक ऐसा गढ़ है, जहां हमारे पूर्वजों ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है, जिसका पालन हम हमेशा से करते आ रहे हैं। संताल समाज को बेहतर एवं व्यवस्थित बनाने में हम अपने पूर्वजों के योगदान को कभी  भूल नहीं सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अबुआ समाज, संस्कृति, परंपरा और रीति- रिवाज की समृद्ध तथा आगे बढ़ाने के लिए हमारी सरकार सदैव से गंभीर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगूबुरु, घांटाबाड़ी हमारे लिए असीम आस्था का केंद्र है। हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और लुगू बाबा के दर्शन करते हैं। ऐसे में देश-विदेश से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा और सहूलियत देने के लिए यहां की व्यवस्था को बेहतर बनाने का कार्य किया जा रहा है। यह तीर्थ स्थल विश्व के मानचित्र पर एक अलग पहचान बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन शुरू से ही लुगूबुरु, घांटाबाड़ी के प्रति उनकी असीम आस्था थी।  वे हमेशा लुगू बाबा के दरबार में आते थे। लुगूबुरु के प्रति उनकी जो सोच थी। उनका जो मार्गदर्शन मिला था, उसे हम सभी मिलकर आगे बढ़ाएं, ताकि यह धरोहर हमारे भावी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा का काम हमेशा करता रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज हमेशा से ही प्रकृति को सुरक्षित और संरक्षित करता आ रहा है। लेकिन, आज विकास की होड़ में जल- जंगल और जमीन खत्म होते जा रहे हैं। यह प्रकृति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर पर्यावरण संरक्षण की खातिर आगे नहीं बढ़ेंगे तो इसके खतरनाक परिणाम भुगतान को तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू जैसे हमारे पूर्वजों ने जल, जंगल और जमीन की खातिर हमेशा संघर्ष करते रहे, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में पर्यावरण को बचाने के लिए  सामाजिक स्तर पर नियम तय कर उसका पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश में अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं, लेकिन सभी एक- दूसरे से जुड़े हैं और एक -दूसरे की परंपराओं और रीति -रिवाजों का सम्मान तथा आदर करते हैं। विभिन्न धर्मो के प्रति हमारी यह सोच हमें विशेष बनाती है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि धर्म किसी एक व्यक्ति से नहीं बढ़ता है। धर्म से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को मिल-जुलकर बनाते हैं और उसका पालन करते हैं। धर्म से हमें सामाजिक ताकत मिलती है।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की प्रतिमा लुगूबुरु में स्थापित की जाएगी। इस बाबत मुख्यमंत्री ने टेराकोटा शैली में निर्मित स्मृति शेष शिबू सोरेन जी की प्रतिमूर्ति लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव आयोजन समिति को सौंपी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपनी धर्मपत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन संग लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ पुनाय थान में पारंपरिक विधि -विधान के साथ लुगू बाबा की पूजा -अर्चना कर राज्य की सुख- समृद्धि, खुशहाली एवं शांति की कामना की। इसके साथ उन्होंने यहां भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

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