मेरा बचपन-मेरा घरौंदा, वो सपनों का महल, जिसमें होती वो हर चीजें, जो जीवन जीना सीखाती थी, अब बस यादे शेष रह गई हैं
आज सुविज्ञा की दादी, सुविज्ञा के लिए घरौंदा सजा रही थी। दूर मुंबई में बैठी पांच वर्षीया सुविज्ञा अपनी दादी
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Read Moreदस वर्षीय ज्ञानेश आज दादाजी के साथ धनतेरस का मेला देखने गया था। धनतेरस के मेले में लोगों की भारी
Read Moreमुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज ऑड्रे हाउस, रांची में 3 नवंबर से 5 नवंबर 2023 तक आयोजित “चाइल्ड आर्टिस्ट एग्जिविशन”
Read Moreप्यारे बच्चों, आओ तुम्हें झारखण्ड के एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से जुड़ी एक कहानी सुनाता हूं। ये जरुरी
Read Moreकस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, खूंटी की दस छात्राओं ने JEE-MAIN 2023 क्वालिफाई किया है। ये उपलब्धि उपायुक्त, शशि रंजन
Read Moreबाल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में यूनिसेफ के बाल पत्रकारों
Read Moreजय गुरु। पहली बार रांची मेरा पदार्पण 4 जून 1985 को हुआ था, क्योंकि 5 जून को मेरी शादी रांची में थी। मेरी पत्नी उस वक्त योगदा सत्संग विद्यालय की नौंवी कक्षा की छात्रा थी, उनके हाथों में कई बार योगी कथामृत मैंने देखा था, पर कभी पढ़ नहीं सका। उसी समय से कभी कभार योगदा सत्संग आश्रम में आना – जाना लगा रहा, कभी योगदा सत्संग द्वारा चलाये जा रहे औषधालय गया तो कभी योगदा सत्संग द्वारा चलाये जा रहे मोतियाबिंद के आपरेशन में शामिल हुआ।
Read Moreबहुत दिनों के बाद खिलौने बेचनेवाला, बहुत सारे गुब्बारों और उससे बने कई आकृतियों को लेकर अपने मुहल्ले में आया था। उसकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ बच्चों को ढूंढ रही थी, क्योंकि उसका व्यापार बच्चों की चाहत पर ही तो टिका था। वह एक बांसुरी अपने होठों में लिए कुछ ध्वनि निकाल रहा था, संदेश साफ था कि बच्चे उसके बांसुरी से निकले ध्वनियों को सुने और घर के बाहर निकले।
Read Moreजहां भी रहो, जैसे भी रहो। देश की सेवा करते रहो। वे लोग बहुत भाग्यशाली है। जो जिस हाल में हैं, पर देश-सेवा से कभी विमुख नहीं होते हैं। देश-सेवा भाग्यशालियों को ही प्राप्त होता हैं, सभी को यह मौका नहीं मिलता। अब आओ कुछ बात करें। बहुत दिनों से तुम लोगों से बातचीत नहीं हो पा रही थी। सोचा, आज मन भर बात करुंगा। एक बात और मेरी बातों को ध्यान से पढ़ना, ये जरुरी भी है। आज मैं तुम्हें ‘आशीर्वाद’ की ताकत के बारे में बताउंगा।
Read Moreतुम जो चाहते हो, वह प्राप्त होता है, पर ये तुम्हें निश्चय करना हैं कि वह चीज जो तुम प्राप्त करना चाहते हो, कैसे प्राप्त करना चाहते हो? असत्य का मार्ग अपनाकर, या सत्य का मार्ग अपनाकर, अगर तुम्हे कोई कष्ट होता है या दर्द का अनुभव होता है तो समझो तुम पर ईश्वर बहुत प्यार लूटा रहा है, वह तुम्हारे साथ है, क्योंकि जिन्हें ईश्वर सुख प्रदान करता है, उससे ईश्वर बहुत दूर चला जाता है।
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