रांची में कुछ क्लबों-पूजा समितियों ने भक्ति का उड़ाया माखौल, अखबारों/चैनलों ने दिया उनका साथ, कहीं नहीं दिखे भक्त, भक्ति की जगह सेल्फी व रील्स ने ली
दुर्गा सप्तशती का द्वादश अध्याय कहता है – शरत्काले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी। तस्यां ममैतन्माहात्म्यं श्रुत्वा भक्तिसमन्वितः।। सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो
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