धर्म

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सारी दुनिया बाहर की ओर जाना चाहती है पर जो साधक होता है, वो अंदर की ओर आना चाहता है – ब्रह्मचारी निश्चलानन्द

सारी दुनिया बाहर की ओर जाना चाहती है पर जो साधक होता है वो अंदर की ओर आना चाहता है।

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योग का उद्देश्य और लक्ष्य आत्म चेतना के खोए हुए स्वर्ग को पुनः प्राप्त करना है – संन्यासिनी द्रौपदी माई

“योग का उद्देश्य और लक्ष्य आत्म चेतना के खोए हुए स्वर्ग को पुनः प्राप्त करना है जिसके माध्यम से व्यक्ति

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योगदा संन्यासियों ने रंगोली के माध्यम से सभी को दी दीपावली की शुभकामनाएं, कहा –  ‘मैं आपके शाश्वत प्रकाश में डूबा हुआ हूं’

दुनिया में नाना प्रकार के लोग हैं। कोई गृहस्थ हैं तो कोई संन्यासी। इन गृहस्थों में और संन्यासियों में भी

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दीपावली मायारुपी अंधकार पर विजय प्राप्त कर, स्वयं को अलौकिक प्रकाश से भर देने का पर्वः स्वामी ईश्वरानन्द

रांची के योगदा सत्संग मठ में आयोजित साप्ताहिक सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी ईश्वरानन्द ने योगदा भक्तों को कहा

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छा गये स्वामी वासुदेवानन्द, विभिन्न कथाओं से योगदा भक्तों का किया मार्गदर्शन, बताया भगवान को कैसे भक्त प्रिय होते हैं?

सचमुच आज का दिन योगदा भक्तों को बहुत दिनों तक याद रहेगा। विभिन्न कथाओं से आज के सत्संग को रोचक

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जैसे ईश्वर सभी जगह हैं, उसी प्रकार सद्गुरु भी सर्वत्र हैं, उनसे कुछ भी छुपा नहीं – स्वामी चैतन्यानन्द

सद्गुरु के वचन हैं कि “जो मानते है कि मैं उनके निकट हूं, दरअसल मैं उनसे निकट ही होता हूं”,

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HC के वरीय अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्र ने CM हेमन्त को लिखा पत्र, बताया आपके कुलगुरु है रावण, इसलिए रावण दहन पर लगाए रोक

झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्र रावण दहन के खिलाफ है। वे इसको लेकर अपने ढंग से

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लाहिड़ी महाशय के आविर्भाव दिवस (30 सितम्बर) पर विशेष, ईश्वर साक्षात्कार आत्मप्रयास से संभव, न कि धार्मिक विश्वास या अन्य की इच्छा-अनिच्छा पर

“ईश्वर साक्षात्कार आत्मप्रयास से संभव है, वह किसी धार्मिक विश्वास या किसी ब्रह्माण्ड नायक की मनमानी इच्छा-अनिच्छा पर निर्भर नहीं

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जीवन में आध्यात्मिक प्रगति की पहली कुंजी अच्छे गुरु का मिलना है – ब्रह्मचारी अतुलानन्द

रांची के योगदा सत्संग मठ में आयोजित साप्ताहिक सत्संग को संबोधित करते हुए वरीय ब्रह्मचारी अतुलानन्द ने कहा कि जब

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अगर जीवन संग्राम में विजयी होना है तो परमहंस योगानन्द जी की कालजयी रचना “ईश्वर-अर्जुन संवाद” से स्वयं को जोड़े – स्वामी ईश्वरानन्द

श्रीमद्भभगवद्गीता पर तो देश और विदेश के कई संतों/महानुभावों/आध्यात्मिक पुरुषों ने अपने काल खण्ड में उस काल खण्ड के अनुरुप

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