राजनीति

भाजपा के लोग आदिवासी क्षेत्रों में लूटने की तैयारी में रहते हैं, यहां मौजूद खनिज कोयला, लोहा और तांबा आदि पर इनका गिद्ध नजर रहता हैः हेमन्त

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन आज घाटशिला में एक महती चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की जनता की छोटी-छोटी तकलीफें भी उन्हें मालूम है। बिजली बिल का जनता के ऊपर बहुत बोझ था। उसके लिए आपको महाजनों के पास हाथ फैलाना पड़ता था। एक आदेश में आपके कंधे का वो बोझ उनकी सरकार ने कम करने का काम किया। पूरे राज्य की जनता का बिजली का बकाया माफ हुआ और तो और बाकी बिजली भी फ्री दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य की जनता, गरीब के लिए, सरकार बनती है। व्यापारी तो अपना काम कर लेता है लेकिन गरीब जाए तो कहां जाए? आपकी तकलीफ हमारी तकलीफ है। हमारी योजनाओं में सबसे पहले अधिकार यहां के लोगों का होता है। घाटशिला से सोमेश बाबू को झामुमो ने उम्मीदवार बनाया है कि यह आपकी सेवा करें। आप सभी से अपील है कि अपने परिवारजनों के साथ 11 तारीख को 2 नंबर पर इतना बटन दबाए कि इसकी आवाज दूर तक जाए। सोमेश बाबू को आशीर्वाद देकर घाटशिला विधानसभा की जनता की सेवा करने का अवसर दें।

झारखण्ड के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए महाजनों के बोझ तले दब जाने को मजबूर होते थे। आज वे राज्य के घर परिवार को मजबूत बनाने के लिए, अपने राज्य की आधी आबादी को सशक्त करने के लिए, उनके खाते में ढाई-ढाई हजार रुपए दे रहे हैं। एक साल से हर महीना यह राशि दी जा रही है।

जबकि भाजपा के लोगों ने कई राज्यों में यह झुनझुना दिखाया कि वो ढाई हजार, पांच हजार रुपए देंगे, मगर कहीं नहीं दिया। और तो और यह झूठा लोग, आदिवासी क्षेत्रों में अधिकार लूटने की तैयारी में रहते हैं। यहां के खनिज, कोयला, लोहा और तांबा, सभी पर इनका गिद्ध नजर रहता है।

मगर दुर्भाग्य है इनका कि इस राज्य में अबुआ सरकार, झारखण्ड मुक्ति मोर्चां की सरकार की वजह से यह अपने मंसूबों पर कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। इस राज्य को कब्जा करने के लिए इन्होंने तो हमको जेल में भी डाल दिया था। यह तो आप लोगों का आशीर्वाद था कि झूठे आरोपों में हमें अधिक देर यह रख नहीं पाए।

अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग समस्या होती है। आज लोग सरकार को विश्वास के साथ देखते हैं। घाटशिला में भी कुछ टूटी सड़कों की समस्या मुझे पता चली है, आप चिंता न करें, सभी सड़कों को ठीक किया जाएगा। कुछ-कुछ क्षेत्र जो वन क्षेत्र में आते हैं वहां केंद्र सरकार से बात कर समस्या का समाधान निकाला जाता है, जिसमें उनके साथ तू-तू मैं-मैं भी कभी-कभी होता है। मगर हम अपना काम जब तक पूरा नहीं करते तब तक रुकते नहीं।

भारत सरकार के कुछ उपक्रम यहां के लोगों के साथ छलावा भी कर रहे हैं। लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे। यहां के लोगों को जब अधिकार मिलेगा तभी कुछ बात आगे बढ़ेगा। झारखण्ड एक ऐसा प्रदेश है जहां आजादी की लड़ाई से पहले से यहां के आदिवासी-मूलवासी अपने हक अधिकार की लड़ाई लड़ता रहा है। भगवान बिरसा मुंडा, बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हो, फूलो-झानो, निर्मल महतो, दिशोम गुरु, विनोद बिहारी महतो जैसे कई लोग थे, जिनके बदौलत हमें जल, जंगल, जमीन का अधिकार और यह राज्य मिला।

लेकिन 2000 के बाद यहां की बागडोर ऐसे लोगों के हाथ चले गया जो आजादी के समय से आजतक लोगों का शोषण करते रहा है। इन लोगों ने यहां राज कर यहां की हालत ऐसा कर दिया कि लोगों को हाथ में राशन कार्ड लेकर मरने को मजबूर कर दिया। तब फिर आदरणीय गुरुजी ने यह निर्णय लिया कि भाजपा को यहां से उखाड़ फेंकना पड़ेगा, नहीं तो जो कुर्बानी और बलिदान हुआ वो सब व्यर्थ हो जाएगा। फिर भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का हम लोगों ने आंदोलन शुरू किया और विगत 6-7 वर्षों से यहां आपकी सरकार है। आज सभी को हक-अधिकार दिया जा रहा है। आज आपके घर-द्वार सरकार आप तक योजनाओं को लेकर आयी है। यह शुरुआत है अब आपको ब्लॉक-जिला नहीं जाना होगा बल्कि अधिकारी आपके पास आएंगे।

उन्होंने कहा कि आज स्व. रामदास सोरेन जी के बेटे सोमेश सोरेन को यहां से प्रत्याशी बनाया गया है। क्योंकि हमारा मानना है कि जो जैसा बीज बोता है वैसा ही फल मिलता है। इसलिए हम सभी के लिए यह जरूरी है कि ऐसे लोगों का चयन हो जो आमजन को मंजिल तक पहुंचाए और उन्हें सुरक्षा भी प्रदान करें। हमारे आदरणीय दिशोम गुरुजी यहां के लोगों के ऐसे मार्गदर्शक रहे हैं जो झारखण्ड के लोगों को मंजिल तक भी पहुंचाने की ताकत रखते थे और उनका हक-अधिकार उनके घर तक भी पहुंचाने की ताकत रखते थे।

अलग राज्य की लड़ाई, झारखण्ड आंदोलन, देश का ऐतिहासिक आंदोलन रहा है। झारखण्ड राज्य हमें कोई भीख में नहीं मिला, इसे लड़कर लिया गया। आपको याद होगा आंदोलन के समय “कैसे लेंगे झारखण्ड, लड़ के लेंगे झारखण्ड” का नारा गूंजता था। आंदोलन में न जाने कितनी महिलाओं की मांग का सिंदूर उजड़ गया, न जाने कितने बच्चे अनाथ हो गए, न जाने कितने लोग अपने आप को कुर्बान कर दिए, तब हमें यह राज्य मिला।

ऐसा लगता है कि गुरुजी का नाता रामदास सोरेन जी के साथ बहुत गहरा रहा। वह दोनों इस धरती में भी साथ चले और उस दुनिया में भी साथ हैं। घाटशिला में पांच साल का कार्यकाल स्व रामदास दा का था, लेकिन एक साल के अंदर उनके निधन के बाद इस चुनाव में हम लोग आकर खड़े हो गए।

रामदास जी को आपने पिछले चुनाव में रिकॉर्ड वोट के साथ जीताकर मंत्री बनाया था। जरूर रामदास सोरेन जी ने ऐसा काम किया होगा कि आपने उन्हें लगातार, बार-बार अपना अगुआ यहां से बनाया था। आज फिर से हम उन्हीं की बात को दोहराने आए हैं कि आपका यह विश्वास टूटेगा नहीं बल्कि इस विश्वास को और मजबूती प्रदान करने के लिए आपके पास निवेदन करने आए हैं।

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