बिहार चुनाव परिणामः विद्रोही24 की बात सच निकली, एनडीए को भारी बहुमत, तेजस्वी-राहुल-दीपाकंर की तिकड़ी को बिहार की महिलाओं ने सिखाया सबक, नीतीश और नरेन्द्र मोदी का जादू बरकरार
आप कहियेगा कि बिहार नेपाल बन जायेगा। आप अपने मंच से छोटे बच्चे से कहलवाइयेगा तेजस्वी भइया का सरकार आयेगा तो हम कट्टा लेके चलबइ, रंगदार बनबई और जनता से कहियेगा कि ये बच्चा जो घटियास्तर का डायलॉग बोला है, उसका ताली बजाकर मनोबल बढ़ाइये और आपके समर्थक उस बच्चे का मनोबल भी बढ़ायेंगे और उसके बावजूद भी सत्ता का स्वाद चखने का घमंड भी रखियेगा तो आज के युग में यह कैसे संभव है कि जनता आपको सत्ता सौंप दें?
वो भी तब जब आपके पिताजी लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप हैं कि उस आरोप में कई बार वे जेल भी जा चुके हैं। उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित भी कर दिया गया है। वो भी तब जबकि बिहार की जनता ने उनके 1990 से लेकर 2005 तक का शासनकाल देखा है। जहां कब कौन सी लड़की का कहां से अपहरण हो जायेगा? लोगों ने देखा है। जिनके शासनकाल में गुंडों की तूती बोलती थी। कोई भी गुंडा किसी के भी घर में जाकर उसे धमका कर चला जाता था। जातिवादी रैलियों से उन्हें धमकाया जाता था। जिनको इन सभी से कोई मतलब नहीं होता था। आपके शासनकाल में नक्सलियों में शामिल एक जाति से जुड़ा समुदाय खुलकर आतंक मचाता था।
आप का और आपके परिवार का जीवन स्तर अडानी और अंबानी के परिवारों की तरह हैं और आम जनता का जीवन स्तर को आपने अपने शासनकाल में कीड़े-मकोड़े की तरह बना दिया था तो जनता इतनी जल्दी कैसे भूल जायेगी आपके शासनकाल को। आपके पिता सजायाफ्ता लालू प्रसाद बड़े ही घमंड से कहा करते थे कि वे 20 साल तक राज करेंगे। लेकिन उन्होंने कितने साल राज किया? उन्हीं से पूछ लीजिये। पर नीतीश कुमार उर्फ पलटू राम ने तो कभी नहीं कहा कि वे 20 साल तक राज करेंगे। नीतीश कुमार ने बिना कुछ कहे ही 20 वर्ष की सीमा लांघ दी।
आप जिसको लेकर साथ चल रहे थे मतलब मेरा इशारा राहुल गांधी की ओर है। जिस व्यक्ति को बोलने का तमीज नहीं हैं। कोई विजन ही नहीं हैं। वो क्या बोलता है और कब अपनी ही बातों से पलटता है। इसकी समझ तक नहीं। वो भारतीय सेना तक का मनोबल गिराने में गुरेज तक नहीं करता। चुनाव के दौरान तालाब में कूदकर मछली पकड़ने का एक्टिंग करता है। वोट-चोरी का झूठा आंदोलन खड़ा करवाकर बिहार की जनता को ठगने का काम करता है। ऐसे में आप बिहार की जनता को आप मूर्ख समझते हैं, कि जनता आपके साथ हो लेगी। ऐसे मूर्ख नेताओं के साथ चलकर आप न से नरेद्र और न से नीतीश को हरा दीजियेगा। आखिर ये मूर्खतापूर्ण सलाह आपको देता कौन है?
अरे नरेन्द्र+नीतीश की जीत तो उसी वक्त तय हो गई थी। जब बिहार की महिलाओं ने इसे अपने सम्मान से जोड़ लिया था और महिलाओं ने तय कर लिया था कि वो हर हाल में वोट करेंगी। उन्होंने वोट किया और आपके सपनों पर कुठाराघात कर दिया। हालांकि आप जिस समुदाय से आते हैं, आपके लोगों ने कम उद्दडंता नहीं मचाई। कई जगहों पर एनडीए गठबंधन को वोट देने के लिए जा रही महिला मतदाताओं को रोकने की कोशिश की। लेकिन शायद आपको नहीं पता कि राजनीतिक जागरुकता में परिपक्व हो चुकी बिहारी महिलाओं के तूफान को रोक पाना आपके बूते से बाहर की बात है।
विद्रोही24 ने जब बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान जो स्थितियां-परिस्थितियां देखी। उन परिस्थितियों को देख विद्रोही 24 ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि बिहार में एनडीए को दो-तिहाई बहुमत मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आज जबकि चुनाव परिणाम आ रहे हैं। उसकी मुहर भी लगती दिख रही है। जो विद्रोही24 के नियमित पाठक है। उन्हें पता है कि विद्रोही24 ने पूर्व में क्या कहा था – हमने तो हेडिंग ही दे डाली थी – जो पार्टियां महिलाओं का रखें ख्याल, उन पार्टियों को मतदान के दिन महिलाएं कैसे नहीं दे सम्मान, बिहार में महिलाओं ने भाजपा और जदयू की नैया लगाई पार तो घाटशिला में झामुमो ने फिर कर दिया कमाल। इस हेडिंग से संबंधित समाचार को आप आज भी 11 नवम्बर की डेट में देख सकते हैं।

जहां तक विद्रोही24 का मानना है। दरअसल ये नीतीश और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी की जीत कम है और महागठबंधन के नेताओं की हार ज्यादा है। इन महागठबंधन के नेताओं और बिहार तथा राष्ट्रीय स्तर के महागठबंधन समर्थक पत्रकारों के कुकर्मों ने बिहार की महिलाओं के मानसिक स्थिति को इतना बिगाड़ने की कोशिश की, कि इन महिलाओं ने महागठबंधन नेताओं, जनसुराज पार्टी के बिगड़ैल प्रशांत किशोर और महागठबंधन के समर्थक पत्रकारों को सबक सिखाने की ठान ली और आज उनका आ रहा फैसला यह बताने के लिए काफी है कि नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी पर आंख उठाकर भी देखने की कोशिश की तो उसकी खैर नहीं।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो महागठबंधन के नेताओं ने तो अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी। अपने ही गठबंधन में शामिल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जिसने मात्र उनसे छः सीट मांगी थी। लेकिन इन बेवकूफों ने झामुमो को एक सीट भी नहीं दिया। अगर ये झामुमो को एक सीट भी दे देते तो चुनाव परिणाम कुछ और होता। झामुमो नेत्री कल्पना सोरेन व झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अगर बिहार के कुछ इलाकों में चुनाव प्रचार कर देते तो निश्चय ही महागठबंधन की ये दुर्दशा तो नहीं ही होती। लेकिन कहा जाता है कि किस्मत में लिखल बा लेढ़ा तो कहां से खइब पेड़ा?
राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते हैं कि महागठबंधन की हार तो उसी वक्त सुनिश्चित हो गई थी। जब लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को अपने घर से बाहर कर दिया था तथा इस अपमान से दुखी होकर तेज प्रताप ने एक नई पार्टी का निर्माण कर लिया था। वो कहते है न कि श्रीरामचरितमानस में लिखा है – रावण जबहि विभीषण त्यागा। रावण की हार उसी वक्त तय हो गई थी। जब उसने विभीषण का त्याग कर दिया था। कोई भी व्यक्ति जिसके घर में ही युद्ध चल रहा हो, जहां एकता नहीं हो, वो युद्ध क्या कोई राजनीतिक चुनाव भी नहीं जीत सकता। इस बात का ऐहसास उन्हें पूर्व में ही जाना चाहिए था। लेकिन इन्हें समझावे कौन? ये तो स्वयं ही सर्वशक्तिमान हैं।
