बाबूलाल मरांडी की हालत खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचनेवाली और उनकी ओर से सारी कवायदें रची जा रही है सुनील साहू के लिएः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांके प्रखंड के नगड़ी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पास की जमीन पर कहा कि वे आदिवासियों की जमीन की लूट नहीं होने देंगे। बाबूलाल मरांडी का इस प्रकार का हृदय परिवर्तन और मानवीय संवेदना की बात सुनकर हम सभी हैरान हैं, क्योंकि बाबूलाल मरांडी ऐसे विचारधारा के व्यक्ति हैं, उन्हें इस बात की जानकारी अब तक नहीं थी।
अपने शासनकाल में कोयलकारो परियोजना और नेतरहाट में फील्ड फायरिंग रेंज की स्थापना को मंजूरी देनेवाले बाबूलाल मरांडी के इस अभियान पर तत्कालीन सारे विपक्ष ने अंगूलियां उठाई थी और इसके खिलाफ अभियान भी चलाया था। जब स्थानीय लोगों ने आंदोलन चलाया तो बाबूलाल मरांडी ने उन पर गोलियां भी चलवाई। ये वही बाबूलाल मरांडी है जब झारखण्ड बनने के बाद पहली विधानसभा का पहला सत्र प्रारंभ हुआ तो उसमें दीमक घुसाने का काम इन्होंने ही किया। वो दीमक था – बिहार सरकार के कार्यान्वयन-नियमावली को आत्मसात करना। जिस शोषण के खिलाफ पहचान व अधिकार के लिए झारखण्ड का निर्माण हुआ, उसे बर्बाद करने का काम बाबूलाल मरांडी ने किया।
सुप्रियो ने कहा कि झामुमो की मांग थी कि राज्य बना तो राज्य की जनता के हित में उनके लिए अपनी नियमावली बनाई जाये। ताकि जमीन की लूट बंद हो। लोगों के जल, जंगल, जमीन सुरक्षित रहे। लेकिन इन्होंने माना ही नहीं। 2003-06 तक जब बाबूलाल भाजपा में थे। तो उस वक्त आर्सेलर मित्तल से लेकर कई कारपोरेट कंपनियों के साथ लगभग 104 एमओयू साइन हुए। उस वक्त बाबूलाल उनके पीठ थपथपाया करते थे। उस वक्त वे मगरमच्छ का आंसू लेकर खेते-खेत नहीं जाते थे। एक औपनिवेशक और शोषक के प्रतिबिम्ब है बाबूलाल। जो आज कुछ और ही बोल रहे हैं। इनकी हालत खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली हो गई है।
सुप्रियो ने कहा कि जब देश के स्वास्थ्य मंत्री और इनके नेता राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत करते हैं और कहते है कि आप आइये, हमसे मिलिये, आपके राज्य की स्वास्थ्य सेवा को हम बेहतर करना चाहते हैं, तो इन्हें बुरा लग जाता है। बेचारे कहते हैं कि मैं प्रदेश अध्यक्ष हूं, फिर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष हमको बुलाता नहीं। हमको तो चारा ही नहीं दे रहा। ये चिढ़ हैं बाबूलाल मरांडी को।
सुप्रियो ने कहा कि जिस प्रकार से झारखण्ड बनने के बाद शहरों का डेमोग्राफी चेंज हुआ। उसमें कौन लोग थे? सुप्रियो ने कहा कि वे बाबूलाल को न तो विकास विरोधी कहेंगे और न ही झारखण्ड हितैषी, इनका तो हित साधना का कार्यक्रम दूसरे जगह पर केन्द्रित है। सुप्रियो ने कहा वे आज नाम बताते हैं और खुलासा बाद में करेंगे। बाबूलाल मरांडी की योजना कही और है। उनकी सारी कवायदें सुनील साहू के लिए रची जा रही है। ये अजीब स्थिति है। रिम्स टू कहां बनेगा? इसकी अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हुई। केवल बजट में इसकी चर्चा की गई है। ये जनाब कहते हैं कि जामताड़ा में बननी चाहिए।
जरुरत थी रिंग रोड की। सरकार ने इसके लिए वृहद परियोजना बनाई। बाबूलाल मरांडी को उसमें भी तकलीफ है। सुप्रियो ने कहा कि उनका सवाल है – बाबूलाल मरांडी से कि आखिर वे तपकरा गोलीकांड और नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए कब माफी मांगेंगे? रघुवर दास के समय गोड्डा पावर प्लांट के लिए जो आंदोलनरत थे और आज रघुवर दास की पार्टी में हैं, उस पर कब माफी मांगेंगे?
सुप्रियो ने कहा 2013 में केन्द्र ने भूमि अधिग्रहण पर कानून बनाया। जिसमें साफ उद्धृत है कि जिन अधिगृहीत भूमि को जिन परियोजनाओं के लिए लिया गया। अगर उन परियोजनाओं को पांच वर्षों के अंदर नहीं पूरा किया गया तो पांच वर्षों के बाद मूल रैयतों को उक्त जमीन लौटा दी जायेगी। आखिर अब तक सेल, रेल, एचईसी ने कितनी जमीने रैयतों को लौटाई? इसका जवाब कौन देगा? आखिर मूल रैयतों की वो जमीन बाबूलाल कब लौटायेंगे? आखिर ये क्या मानसिकता है?