सदन में बरसे बाबूलाल, कहा झारखण्ड भवन अफसरों के बीबी-बच्चों या साले-सालियों के लिए नहीं बना है, दूसरी ओर जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने पर इंडिया गठबंधन की भी ली क्लास
जस्टिस स्वामीनाथन ने मदुरै के एक मंदिर के पास स्थित सुप्रसिद्ध पहाड़ी पर परंपरागत दीपस्तंभ पर दीपक जलाने का आदेश क्या दे दिया कि डीएमके सरकार तो भड़की ही, उसने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया, उसने महाभियोग लाने की भी बात कह दी और उधर इंडिया गठबंधन के सौ से भी अधिक सांसदों ने स्पीकर ओम बिरला को लिखित नोटिस देकर जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने का अनुरोध कर दिया।
इस महाभियोग की अर्जी पर कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव और डीएमके से कणिमोझी और टीआर बालू के हस्ताक्षर है। इधर जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने के प्रस्ताव पर झारखण्ड में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाकर इंडिया गठबंधन ने अपना चरित्र उजागर कर दिया है।
बाबूलाल मरांडी का कहना है कि यह गठबंधन सदा से हिन्दू विरोधी रहा हैं और तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि ये लोग महाभियोग का प्रस्ताव लाये हैं। केन्द्र में उनकी सरकार है, उसका जवाब केन्द्र सरकार और उनके नेता जरुर ही देंगे। लेकिन वे इतना जरुर कहेंगे कि यह घटना बताने के लिए काफी है कि कांग्रेस किस हद तक गिर सकती है। जिस स्थल पर जस्टिस स्वामीनाथन ने दीपक प्रज्वलित करने की बात कही हैं, उसे किसी भी प्रकार से गलत नहीं ठहराया जा सकता।
दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सदन में झारखण्ड भवन में हो रही धांधली का मुद्दा उठाया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय, निगरानी विभाग की ओर से एक सर्कुलर जारी हुआ है कि झारखण्ड भवन में अब विधायक के सगे संबंधी ही सिर्फ ठहर पायेंगे, दूसरा कोई नहीं। अब सवाल उठता है कि झारखण्ड भवन में कौन ठहरेगा, इसका निर्णय कौन करेगा? अधिकारी-विभाग? क्या जनप्रतिनिधि अपने इलाके के लोग जो किसी कारणवश दिल्ली गये हैं और उनके पास कोई विकल्प नहीं हैं, तो क्या जन-प्रतिनिधि वैसे लोगों को झारखण्ड भवन में रहने का सिफारिश भी नहीं कर सकते। उनकी बात नहीं सुनी जायेगी।
झारखण्ड भवन अफसरों के बीवी-बच्चों व साले-सालियों के रहने के लिए तो नहीं ही बना है। दिल्ली में ही ऊर्जा विभाग का विश्रामगृह चल रहा है। जिसका प्रत्येक महीना पांच लाख रुपये भुगतान हो रहा है। जहां चार-पांच की संख्या में गाड़ियां और आठ-आठ स्टॉफ रखे गये हैं। आखिर वहां ठहरता कौन है? अब तक वहां कितने लोग रहे हैं? इसका पता कौन लगायेगा? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधायकों के अनुशंसा पर तो कमरे मिलने ही चाहिए। नेता प्रतिपक्ष के इस सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि वे नेता प्रतिपक्ष की बातों से सहमत हैं। इस पर सम्यक विचार करते हुए सरकार सम्यक निर्णय लेगी।
इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि हमलोगों ने विपक्ष की बात सुनी। आशा है कि विपक्ष भी हमलोगों की बात सुनेगा। आज सदन ठीक से चलेगा। हम चाहते है कि राजभवन, जिसका नाम बदलकर लोक भवन रखा गया, उसका नाम बिरसा भवन रखा जाय। नेता प्रतिपक्ष के सवाल और जवाब के क्रम में पाठकों को यह भी जान लेना चाहिए कि आज सदन सात मिनट विलम्ब से शुरु हुआ। स्पीकर आज आसन पर 11.07 बजे विराजमान हुए।
उसके बाद अल्पसूचित प्रश्न के लिए शत्रुघ्न महतो का नाम पुकारा गया, जिन्होंने अबुआ मकान से संबंधित समस्याओं को लेकर सरकार से सवाल पूछे। उसके बाद स्टीफन मरांडी और फिर हेमलाल मुर्मू ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संबंधित प्रश्न उठाए। उसके बाद तारांकित प्रश्न का समय आया। जिसमें सुदीप गुड़िया, पूर्णिमा साहू और उज्जवल कुमार ने अपने-अपने प्रश्न पूछे। पुनः ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की बाते आई। इसी बीच आज प्रेस दीर्घा में कार्यसूची का बंडल बहुत ही विलम्ब से पहुंचा, जिससे समाचार संकलन करने आये पत्रकारों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
कार्य सूची वाली बंडल में अल्पसूचित प्रश्न और तारांकित प्रश्न के उत्तर तक नहीं दिये गये थे। जबकि आम तौर पर देखा जाता है कि बंडल में अल्पसूचित प्रश्नों और तारांकित प्रश्नों के उत्तर भी होते हैं। जिससे पत्रकारों को समाचार संकलन करने में सुविधा होती है, क्योंकि जो सदन में प्रश्नोत्तर चल रहे होते हैं। उसका ठीक-ठीक आवाज दीर्घा तक नहीं पहुंच पाता। कई इयरफोन तो काम ही नहीं करते। पर दीर्घा की समस्याओं को सुनेगा कौन?
