राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी के उपर भ्रामक व झूठे आरोप लगाकर उनके सम्मान के साथ खेलने की कोशिश, इस घृणित कार्य में पत्रकार भी शामिल
मुकलेश चन्द्र नारायण, तत्कालीन विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक), राज भवन, राँची, संप्रति जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश–IX, व्यवहार न्यायालय, देवघर के क्रियाकलाप के सबंध में राज भवन द्वारा मुख्य न्यायाधीश को संज्ञान लेने हेतु महानिबंधक, झारखण्ड उच्च न्यायालय को पत्र लिखा गया है, इससे आक्रोशित होकर वे किसी पर कुछ भी अनर्गल आरोप लगा दे रहे हैं, और उनके इस अनर्गल आरोप को मीडिया से जुड़े उनके कुछ भक्त हाथों-हाथ लेकर बिना सत्य को जाने किसी पर भी कीचड़ उछाल दे रहे हैं।
ताजा मामला राजभवन में कार्यरत राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव नितिन मदन कुलकर्णी से जुड़ा है, जिनके खिलाफ एक तथाकथित पोर्टल ने समाचार प्रकाशित कर उनके सम्मान के साथ खेलने की कोशिश की है। हालांकि उक्त पोर्टल ने अपनी ओर से नितिन मदन कुलकर्णी के सम्मान से खेलने की भरपूर कोशिश की। उसके बावजूद नितिन मदन कुलकर्णी ने इस पूरे मामले में स्वयं को शांत रखने की ही भरपूर कोशिश की। जब विद्रोही24 ने इस संबंध में उनसे कुछ जानने की कोशिश की। उसके बावजूद भी उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार ही किया।
बताया जा रहा है कि राज भवन से विरमन आदेश निर्गत होने के बाद भी श्री नारायण कार्यालय में अनाधिकृत रूप से बने हुए थे। वे अपने स्थानांतरण के कारण दुर्भावना से ग्रसित थे। विगत दो-तीन दिनों से मुकलेश चन्द्र नारायण, तत्कालीन विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक), राज भवन, राँची, संप्रति जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश–IX, व्यवहार न्यायालय, देवघर द्वारा अपने विरुद्ध हुई कार्रवाई से दुर्भावना से ग्रसित होकर आक्रोशवश प्रतिउत्तर में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी पर अनर्गल आरोप लगाए जा रहे थे।
वे इन आरोपों को समाचार के रूप में प्रकाशित कराने के लिए विभिन्न मीडिया घरानों के चक्कर भी काट रहे थे। समाचार संकलन व प्रकाशन की होड़ में पत्रकारों का भी यह नैतिक दायित्व बनता था कि लगाए गए आरोपों की वस्तुनिष्ठता एवं सत्यता की गहराई से जाँच करें। लेकिन इस मामले में उक्त पोर्टल ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।
वास्तविकता यह है कि राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति को मुकलेश चन्द्र नारायण, तत्कालीन विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक), राज भवन, राँची के क्रियाकलापों, आचरण एवं व्यवहार के संबंध में विभिन्न विश्वविद्यालयों से शिकायतें प्राप्त हो रही थी। राज्यपाल द्वारा मुख्य न्यायाधीश को मुकलेश चन्द्र नारायण का राज भवन से स्थानांतरण हेतु कहा गया, तत्पश्चात झारखण्ड उच्च न्यायालय, राँची के अधिसूचना ज्ञापांक-1677, दिनांक-08.04.2025 को राज भवन से देवघर स्थानांतरित किया गया।
श्री नारायण के स्थानांतरण के फलस्वरूप माननीय राज्यपाल के निदेश के आलोक में राज्यपाल सचिवालय के पत्रांक-960, दिनांक-11.04.2025 द्वारा उन्हें तत्काल प्रभाव से विरमित कर दिया गया। विरमन आदेश निर्गत होने के बाद भी श्री नारायण कार्यालय में अनाधिकृत रूप से बने हुए थे तथा दिनांक- 21.04.2025 के प्रभाव से स्वतः प्रभार त्याग किया गया। श्री नारायण का यह आचरण स्पष्टतया राज्यपाल के निदेश का उल्लंघन है।
इस आदेश का अनुपालन नहीं करते हुए श्री नारायण सचिवालय में कार्य करते रहें एवं सचिवालय के पदाधिकारियों तथा अपर मुख्य सचिव के संबंध में अनर्गल आरोप-प्रत्यारोप एवं अनावश्यक पत्राचार उनके द्वारा किया गया। उनके अमर्यादित भाषा तथा आचरण से सचिवालय का माहौल अकारण ही खराब होना शुरू हुआ। राजभवन सूत्रों का कहना है कि मुकलेश चन्द्र नारायण का आचरण अमर्यादित, अवांछित तथा अपने स्थानांतरण के कारण दुर्भावना से ग्रसित थे। राज्यपाल द्वारा इस विषय पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए मुख्य न्यायाधीश के संज्ञान में लाने हेतु कहा गया था।
रांची से प्रकाशित एक पोर्टल में कहा गया है कि मुकलेश चन्द्र नारायण, तत्कालीन विशेष कार्य पदाधिकारी (न्यायिक), राज भवन, राँची ने ईयर मार्क आवास के संबंध में कहा है कि राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव इसमें न रहकर निजी आवास में रहते हैं और HRA लेते हैं। इस पर राजभवन सूत्रों का कहना है कि यह स्पष्ट है कि नहीं, इसकी जांच कर लेनी चाहिए थी।
जानकारी के मुताबिक, यह आवास अमित खरे के कार्यकाल के बाद लगभग खाली है, कुछ माह के लिए 2011 में डॉ० ए०के० पाण्डेय रहे। मौटे तौर पर यह वर्ष 2008 के मध्य से ही खाली है। इसका उपयोग वर्तमान में राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के आगमन के क्रम में उनके साथ आने वाले विशिष्ट अतिथियों के लिए होता है। इसलिए किसी को ईयर मार्क आवास के संबंध में आरोप लगाने से पूर्व खुद देख लेना चाहिए था।
पोर्टल में उनके द्वारा पूर्व एडीसी शम्स तबरेज से भी ईयर मार्क आवास में नहीं रहने के कारण 20 लाख की वसूली की बात कही गई, जबकि ये बिल्कुल असत्य व भ्रामक है। शम्स तबरेज की पत्नी राँची विश्वविद्यालय अंतर्गत महाविद्यालय में प्राचार्या है। उनके विरुद्ध विश्वविद्यालय द्वारा कार्रवाई की गई।
मुकलेश चन्द्र नारायण, जिस विश्वविद्यालय के कुलपति के नियुक्ति में नियम की अनदेखी की बात कर रहे हैं। सच्चाई यही है कि सर्च कमिटी द्वारा समर्पित पैनल के आलोक में राज्यपाल द्वारा कुलपति की नियुक्ति की गई। विदित हो कि इसके नियुक्ति संबंधी अधिसूचना का प्रारूप मुकलेश ने ही तैयार किया था और प्रधान सचिव द्वारा अधिसूचना जारी की गई। मुकलेश चन्द्र नारायण उस विश्वविद्यालय के कुलपति के नियुक्ति के बाद कई माह राज भवन में पदस्थापित थे। लेकिन जैसा कि बताया गया कि उन्होंने कभी भी किसी प्रकार की त्रुटि का उल्लेख नहीं किया। उन्हें इतने दिनों बाद त्रुटि का बोध हो रहा है, तो यह घोर आश्चर्य है।