बोकारो में मंचस्थ नेताओं पर भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता ने लानत भेजी, जमकर की धुलाई, गुस्साए कार्यकर्ता को पूर्व सांसद रवीन्द्र पांडे ने की मनाने की कोशिश
बोकारो में भारतीय जनता पार्टी की कल जिला स्तरीय कार्यशाला थी। यह कार्यशाला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल की 11 साल पूरे होने पर आयोजित की गई थी। जिसमें भाग लेने के लिए पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही भी पहुंचे थे। लेकिन इस कार्यशाला में उपस्थित भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने मंचासीन भाजपा नेताओं की वो धुलाई कर दी। जिसका अंदेशा किसी को नहीं था।
जब उक्त वरिष्ठ कार्यकर्ता जब मंचासीन नेताओं को शालीन भाषा में धुलाई कर रहा था, तो मंच के नीचे बैठे सारे भाजपा कार्यकर्ता बड़े ही शांत भाव से उनका समर्थन कर रहे थे, जो मंचासीन नेताओं की अपने बातों से धुलाई कर रहा था। बताया जाता है कि जिस भाजपा कार्यकर्ता ने मंचासीन नेताओं को धुलाई की। उनका नाम कृष्ण कुमार मुन्ना था। ये मंचासीन नेताओं पर लानत भेजे रहे थे।
कृष्ण कुमार मुन्ना ने स्पष्ट रुप से कहा कि लानत है ऐसे लोगों पर, लानत है ऐसे पदाधिकारियों पर जो मंच पर बैठे हुए हैं। बताया जाता है कि कृष्ण कुमार मुन्ना इस बात को लेकर नाराज थे, कि पुराने कार्यकर्ताओं को न तो मंच पर स्थान मिला और न ही उचित सम्मान। जिससे वे खुद भी स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे थे।
पुराने व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का इस प्रकार का अपमान उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ। वे सभा के बीच में ही उठकर मंचस्थ नेताओं की अपनी बातों से धुलाई कर दी। यहीं नहीं उक्त सभा का बहिष्कार करते हुए वे सभा से बहिर्गमन भी किये। कृष्ण कुमार मुन्ना का इस प्रकार का आक्रोश देख मंचस्थ गिरिडीह के पूर्व सांसद रवीन्द्र कुमार पांडेय मंच से उतरे और उन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन कृष्ण कुमार मुन्ना मानने को तैयार नहीं थे।
बाद में काफी मान-मनौव्वल के बाद कृष्ण कुमार मुन्ना माने और कार्यक्रम में भाग लिया। जब इस पूरे प्रकरण पर बोकारो के पत्रकारों ने मंचस्थ भाजपा नेता भानु प्रताप शाही के समक्ष यह मुद्दा उठाया, तो भानु प्रताप शाही कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकें। उलटा इस मुद्दे को कांग्रेस के अंदर घटनेवाली घटनाओ से जोड़ा। जो बताने के लिए काफी था कि उनका राजनीतिक ज्ञान कितना गहरा है?
इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बोकारो में घटी यह घटना साफ बताती है कि भाजपा को नये और स्वार्थी लोगों ने किडनैप कर लिया है। जिनका भाजपा से कोई मतलब ही नहीं है। ये सिर्फ अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए भाजपा में आये हैं। जैसे ही स्वार्थसिद्धि होगी, वे पुनः भाजपा को छोड़कर चले जायेंगे। लेकिन जो समर्पित कार्यकर्ता हैं, वे तो भाजपा को कभी छोड़ ही नहीं सकते।
दुर्भाग्य यह है कि भाजपा के इन समर्पित कार्यकर्ताओं को आज के भाजपा में बड़े और ऊंचे ओहदे पर पहुंचे निकम्मे भाजपा नेताओं ने सम्मान तो दूर, उन्हें पूछना तक बंद कर दिया है। जिसका परिणाम है कि भाजपा धीरे-धीरे पूरे झारखण्ड से समाप्ति की ओर अग्रसर है और केन्द्र में बैठे इनके भाजपा नेता इस मुगालते में हैं कि मोदी जी सब कुछ ठीक-ठाक करके झारखण्ड में भी भाजपा को शीर्ष पर ला देंगे।