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POLYDOC हॉस्पिटल टीम की बड़ी उपलब्धि, फेफड़े एवं डायाफ्राम का सफल ऑपरेशन लेप्रोस्कोपी विधि द्वारा किया गया

डा. अजीत कुमार, विद्रोही24 को बताते हैं कि दिनांक 20 मई को 30 वर्षीय राहुल शर्मा पर रामगढ़ मेन रोड में चाकू से हमला हुआ था। जिस कारण उन्हें बाएं तरफ की छाती में चाकू लगा था, जो की पंजरियों को चीरते हुए बा‌एं तरफ की छाती के फेफडे एवं डायाफ्राम (पेट एवं छाती के बीच की दीवार) को चीरते हुए पेट तक पहुंच गई थी।

जब राहुल अस्पताल आए थे तो उनके फेफड़े से हवा एवं खून निकल कर छाती के अंदर ही फैल कर दूसरे तरफ के फेफड़े एवं हार्ट को दबाने लगा, जिसे की टेंशन नियमोथोरेकस (Tension pneumothorax)कहते हैं। इससे मरीज को सांस लेने में कठिनाई होती है और तुरंत जान भी जा सकती है। अस्पताल पहुंचने पर उनके  बाएं तरफ की छाती में तुरंत नली ICD डालकर, स्थिति को संभाला गया।

जब दूसरे दिन उन्हें पानी और खाना दिया गया तो उन्हें बार-बार उल्टी होने लगी, तब दोबारा सीटी स्कैन कराया गया। जिससे पता चला की डायाफ्राम फटी हुई है जिसके कारण पेट के अंदर का आंत छाती में घुस गया है और वहां आकर फंस गया है। सामान्यतः इसकी सर्जरी ओपन विधि से सिर्फ बड़े शहरों में पेट एवं  छाती खोलकर होती हैं। जिससे की मरीज को काफी दिनों तक वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती हैं।

हाल के वर्षों में, विदेशों में इसकी सर्जरी दूरबीन विधि के द्वारा की गई है। उसी तर्ज पर हमारी PolyDoc की टीम ने सर्जरी करने का प्लान किया। इस ऑपरेशन में पूरा ऑपरेशन तीन छोटे-छोटे छेदों से Laparoscopy विधि के द्वारा किया गया। ऑपरेशन के दौरान छाती के अंदर घुसे हुए आंत को सावधानी पूर्वक छुड़ाकर वापस पेट में लाया गया।

उसके बाद बाएं तरफ की छाती के अंदर जमे हुए खून के थक्के, फेफड़ों की झिल्ली, एवं खराब हुए फेफड़ों के भाग को हटाया गया। तत्पश्चात छाती एवं पेट के बीच की दीवार में हुए छेद को सिलाई करके ठीक किया गया। इस विधि में दर्द कम होने के कारण मरीज को 48 घंटे के अंदर ही वेंटिलेटर से बाहर निकाल लिया गया और खाना पीना दिया जाने लगा और आज वह अच्छे हालत में चलते-फिरते हुए सकुशल अपने घर जा रहे हैं।

डा. अजीत बताते हैं कि संभवत‌: इस विधि से किया गया अपने तरह का यह पहला ऑपरेशन होगा झारखंड में। इलाज करने वाली टीम में, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ कौशल कुमार एवं डॉ शक्ति, एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ अजीत, आईसीयू के चिकित्सक डॉ राजेश, डॉ आनंद, डॉ आकांक्षा, ओटी एवं आईसीयू के सभी स्टाफ‌ शामिल थे।

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