राजनीति

सरयू राय का आरोप मानगो थाने में हमले के असल आरोपी गिरफ्त से बाहर, अनुसंधान करने वाले पुलिस अधिकारी भीगी बिल्ली बने

जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने कहा है कि जमशेदपुर पुलिस द्वारा थानों में दर्ज आपराधिक कांडों के अनुसंधान के क्रम में प्रभावित होकर निर्णय लेने तथा कानून के प्रावधानों की अनदेखी करने की सूचनाएं चिंताजनक हैं। कतिपय मामलों में ठोस प्रमाण नहीं होने के बावजूद आरोपों को सिद्ध करार देने तथा कतिपय मामलों में ठोस प्रमाण होने के बावजूद महीनों तक कांड दर्ज नहीं करने के उदाहरण सामने आए हैं।

यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि वरीय पुलिस अधिकारियों को अनुसंधानकर्ताओं की ऐसी प्रवृति को निरुत्साहित करना चाहिए तथा इसपर लगाम लगाना चाहिए। अन्यथा कानून के प्रावधान राजनीतिक प्रपंचों का शिकार बनकर रह जाएंगे। सरयू राय ने कहा कि कांग्रेस से जुड़े एक व्यक्ति ने कदमा थाना में 6.10.2024 को एक पत्रकार के ख़िलाफ़ प्राथमिकी (163/2024) दर्ज कराई।

प्राथमिकी का विषय एक दबंग नेता और तत्कालीन मंत्री के तथाकथित सम्मान से जुड़ा था। तथ्यों को नजरंदाज कर प्राथमिकी का अनुसंधान कदमा एवं जमशेदपुर पुलिस ने किया। सूचना के मुताबिक़, सिटी एसपी तक आरोप को सही करार दिया गया। अब चार्जशीट दाखिल होने का समय आया तो पता चला कि आरोपी से तो पूछताछ ही नहीं हुई है। चौदह माह बाद आरोपी के खिलाफ दंड संहिता की धारा 41 में आरोपी को अपना पक्ष रखने का नोटिस कदमा थाना ने भेजा है। इससे अधिक हास्यास्पद अनुसंधान क्या हो सकता है।

श्री राय ने बयान में कहा कि इसी प्रकार के एक मामले में मोहरदा के सुधीर सिंह नामक एक व्यक्ति ने नवंबर 2024 में साकची थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराया। साकची थाना ने इसे साइबर थाना बिष्टुपुर भेज दिया। एक वर्ष से अधिक समय बीत गया। मामले का अनुसंधान साकची थाना और बिष्टुपुर साइबर थाना के बीच झूल रहा है। कारण ये पता चला कि मामले के अनुसंधान से किसी दबंग सत्ताधारी नेता के हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

श्री राय के बयान में कहा गया कि हाल ही में मानगो, आजाद नगर के एक दबंग समूह ने मानगो थाना पर हमला और तोड़फोड़ किया। आरम्भ में कुछ गिरफ्तारियां हुईं। पर मुख्य अपराधिक किरदार गिरफ़्त से बाहर हैं। वे सामाजिक कार्यक्रमों में एक दबंग राजनीतिक नेता के साथ गलबहियां करते दिख रहे हैं। पुलिस की मौजूदगी भी वहां है, पर वे गिरफ़्तार नहीं हो रहे हैं। अनुसंधान करने वाले पुलिस अधिकारी भीगी बिल्ली बने हुए हैं।

मानगो थाना के सटे इनके अवैध अतिक्रमण और अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहे हैं, पर अनुसंधान करने वाली पुलिस को मानो लकवा मारा हुआ है। कारण इनका गठजोड़ सत्ताधारी पक्ष के दबंग नेता से हैं। बयान के अनुसार, एक मामले में तो न्यायालय के निर्देश पर जमशेदपुर पुलिस ने जो वीडियो फ़ॉरेंसिंक जांच के लिए भेजा है। उसमें रिपोर्ट आई है कि वीडियो की छवि स्पष्ट नहीं है. यह मामला भी सत्ता पक्ष के एक दबंग राजनेता से जुड़ा है।

श्री राय के अनुसार, उपरोक्त मामले तो उदाहरण भर हैं। अनेक ऐसे उदाहरण हैं। जिनमें जमशेदपुर पुलिस ने दबाव में अनुसंधान को हास्यास्पद बना दिया है. अनुसंधान में कानून के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। क्या जिला के वरीय पुलिस पदाधिकारी इसपर ध्यान देना चाहेंगे?

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