धनबाद के कोयलांचल विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल संतोष गंगवार के भाषण का तीन विधायकों ने किया बहिष्कार, एक विधायक ने गुस्से में कहा मेला देखने आये थे, मन भर गया चल दिये
आज झारखण्ड के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों को कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार धनबाद में थे। धनबाद में विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह आयोजित था। जिसमें भाग लेने के लिए वे रांची से यहां पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने मंच से भाषण देना प्रारंभ किया।
वहां उपस्थित तीन विधायकों ने एक साथ मिलकर उनके भाषण का बहिष्कार करते हुए सभास्थल से बाहर निकल गये। गुस्सा इन विधायकों का इतना था कि उन विधायकों में से एक ने कहा कि वे मेला देखने आये थे। मन भर गया और चल दिये। दरअसल जहां कार्यक्रम आयोजित था। वहां का सिस्टम इतना खराब था कि विधायकों का गुस्सा होना स्वाभाविक था।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के मुख्य सचेतक व सीनेट मेंबर मथुरा प्रसाद महतो ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि आज जो भी सभास्थल पर हुआ। उसके लिए वे सिस्टम को दोषी ठहरायेंगे। राज्यपाल मंच से किस का नाम लेते हैं और किसका नाम नहीं लेते हैं। ये वे जानें। उससे हमें कोई लेना-देना नहीं। लेकिन जिस प्रकार से कल डेमो कराया गया। जिसमें वे और चंदनकियारी के विधायक उमाकांत रजक, जमुआ की विधायक डा. मंजू कुमारी शामिल थी। उस डेमो के अनुसार तो आज कोई कार्यक्रम हुआ ही नहीं। ऐसे में वे इसके लिए सिस्टम को ही दोषी ठहरायेंगे।
वहां उपस्थित लोगों में से एक नागरिक ने विद्रोही24 को बताया कि जब राज्यपाल संतोष गंगवार भाषण देने लगे तो उस वक्त उन्होंने संबोधन में सिर्फ एक ही विधायक जयराम कुमार महतो का नाम लिया। बाकी सभास्थल में बैठे भाजपा के मुख्य सचेतक राज सिन्हा, झामुमो के मुख्य सचेतक मथुरा महतो और सिंदरी के भाकपा माले विधायक चंद्रदेव महतो का नाम तक नहीं लिया। जिससे इन विधायकों ने स्वयं को अपमानित महसूस किया और वे वहां से उठकर चल दिये। नागरिकों का कहना था कि इसके लिए अगर कोई प्रथम दृष्टया दोषी है तो इस कार्यक्रम के आयोजक दोषी है, वीसी दोषी है।
इधर तीनों विधायकों ने राज्यपाल के भाषण का बहिष्कार किया और इधर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व का निर्वहन भी है। इस अवसर पर उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ देते हुए उनसे आह्वान किया कि वे कम से कम एक बच्चे की शिक्षा का दायित्व अवश्य लें, जिससे समाज में अशिक्षा को दूर करने में योगदान दिया जा सके।
राज्यपाल ने स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो जी को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए कहा कि उनका जीवन शिक्षा, श्रम और आत्मगौरव के मूल्यों का सशक्त प्रतीक है। वे केवल एक जननेता नहीं थे, बल्कि सामाजिक चेतना के प्रतीक थे। उनका संपूर्ण जीवन इस तथ्य का सशक्त प्रमाण है कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, सम्मान और आत्मनिर्भरता का सबसे प्रभावी माध्यम है।
