चर्चित अधिवक्ता अभय मिश्र की मेहनत रंग लायी, भैरव सिंह जेल से बाहर, राजनीतिक पंडितों का भाजपा को सलाह, लीडर क्राइसेस से उभरने का मौका, पार्टी भैरव सिंह पर लगाये दांव
झारखण्ड उच्च न्यायालय के चर्चित अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र बहुत प्रसन्न है। प्रसन्नता इस बात की, कि उन्हें फिर एक अभूतपूर्व सफलता मिली है। भैरव सिंह उनके प्रयास से जेल से बाहर निकल चुका है। उन्होंने कड़ी मेहनत उसके लिए की, सफलता सामने हैं। भैरव सिंह और उसके चाहनेवाले तो खुश है ही, राजनीतिक पंडित भी खुश हैं, जो झारखण्ड की राजनीति में रुचि रखते हैं। राजनीतिक पंडितों को तो भैरव सिंह में आज से ही रांची के विधायक का चेहरा नजर आने लगा है। अगर भाजपा ने उसको अपना लिया, तो भाजपा को भी एक शक्तिशाली युवा नेतृत्व बैठे-बैठाए मिल जायेगा।
झारखण्ड उच्च न्यायालय के चर्चित अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र विद्रोही 24 को बताते है कि भैरव सिंह पर लगाया गया झारखण्ड अपराध अधिनियम के तहत निरुद्ध करने के पारित आदेश को सीसीए एडवाइजरी बोर्ड ने गलत बता दिया है। भैरव सिंह पर राज्य सरकार ने जिला दंडाधिकारी के आदेश पर दिनांक एक दिसम्बर 2025 को निरुद्ध करने का आदेश पारित किया था।
उसके बाद भैरव सिंह द्वारा उक्त आदेश को झारखण्ड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। झारखण्ड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिनांक 23.12.2025 को सुनवाई के बाद प्रथम दृष्टया यह माना था कि भैरव सिंह पर अपराध अधिनियम के तहत निरुद्ध करने का कोई भी आधार नहीं बनता है।
भैरव सिंह को दिनांक 22.12.2025 को सीसीए एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष लाया गया था। भैरव सिंह ने बंदी आवेदन दिया था। बंदी आवेदन में भैरव सिंह ने अपने ऊपर हो रहे प्रहारों को लिखित रूप में एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष रखा था। भैरव सिंह की बंदी आवेदन को देखते हुए सीसीए एडवाइजरी बोर्ड ने भैरव सिंह को निरुद्ध करने के आदेश को गलत बतला दिया तथा जेल से बाहर करने का आदेश पारित किया। यही कारण है कि आज भैरव सिंह से जेल से बाहर है।
अभय मिश्र बताते हैं कि कि पूर्व में भैरव सिंह को चुटिया थाना के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। भैरव सिंह पंडरा आउटपोस्ट पर लव जिहाद के एक मामले में धरना प्रदर्शन करने गया था। चुटिया थाने के गिरफ्तारी से उसे जमानत मिल गई। उसके बाद उसे एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। कांके कांड में पुलिस द्वारा आरोप लगाया गया कि भैरव सिंह ने जेल में रहते हुए एक लड़की पर शीतल पेय पदार्थ फेंकवा दिया, भैरव सिंह को इस मुकदमे में भी जमानत मिल गई। उसके उपरांत राज्य सरकार ने उस पर सीसीए लगा दिया था। जिस सीसीए लगाने के आधार को सीसीए एडवाइजरी बोर्ड ने गलत माना।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो भैरव सिंह पर राज्य सरकार द्वारा सीसीए लगाने और आज सीसीए एडवाइजरी बोर्ड द्वारा सीसीएल लगाने के आधार को गलत ठहरा दिये जाने से भैरव सिंह का राजनीतिक कद बढ़ा है। लोग बताते है कि भैरव सिंह का कोई आपराधिक चरित्र नहीं रहा है। वह ज्यादातर उन लोगों के लिए लड़ा है या खड़ा हुआ है। जिसके लिए कोई खड़ा या लड़ना नहीं चाहता। भैरव सिंह को रांची में आज प्रत्येक युवा हिन्दूवादी चेहरे के रूप में देख रहा है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बाल स्वयंसेवक के रूप में जो जुड़ा, वो आज भी स्वयंसेवक के रूप में ही खुद को पेश करता है। भले ही संघ के लोग आज उसे अस्वीकार कर दें।
राजनीतिक पंडित बताते है कि भैरव सिंह कुछ वर्ष पूर्व तक रांची विभाग (रांची महानगर, रांची ग्रामीण रामगढ़, खूंटी जिला) का महाविद्यालय प्रमुख रहा है। संघ का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। वह प्रत्येक मंगलवार को सनातन उत्थान के लिए हनुमान चालीसा एवं संध्या आरती करता है। वह इसके अलावा सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है।
जिसके कारण उसके विरोधी उससे चिढ़ते हैं और उसे फंसाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि जहां भी कहीं हिन्दू संस्थानों, मंदिरों व हिन्दू महिलाओं/बालिकाओं से छेड़खानी या और कोई हरकतें कोई करता है, तो वो आंदोलन के लिए सबसे आगे खड़ा रहता है। जिसके कारण वह अपने विरोधियों और समर्थकों में काफी लोकप्रिय रहा।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो वर्तमान में भाजपा लीडर क्राइसेस से जूझ रही है। उसके पास भैरव सिंह जैसा कोई नेता नहीं हैं, जो अकेले दम पर लोगों को अपनी ओर मोड़ लें या उसके जैसा लोकप्रिय हो। अगर भाजपा चाहती है कि सही में वो मजबूत बनें या उसके पास वर्तमान सरकार को चुनौती देनेवाला कोई नेता हो, तो वह भैरव सिंह पर दांव लगा सकती है। ऐसे भी कई भाजपा नेता हैं, जो भैरव सिंह को अंदर ही अंदर समर्थन भी दे रहे हैं।
भाजपा को चाहिए कि भैरव सिंह के उपर एक अच्छी जिम्मेदारी सौंपे तथा युवाओं का एक ऐसा ब्रिगेड तैयार करें, जो आनेवाले समय में एक अच्छी टक्कर अपने विरोधियों को दे सकें, क्योंकि जिस प्रकार से जेल से निकलने के बाद भैरव सिंह को लेकर जो रांची महानगर में एक लहर दौड़ी हैं, उसे महसूस आज न तो कल भाजपा को करना ही होगा। नहीं तो, अपना बेड़ा गर्क करने के लिए भाजपा तैयार रहे। क्योंकि नेता पार्टी नहीं, जनता बनाती है। भैरव सिंह, नेता बन चुका है। इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं।
