राजनीति

मैं आलोचनाओं से नहीं डरता, लेकिन हमारी योजनाएं असफल ना हो इसका डर जरूर रहता है, पेसा कानून से अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभाएं होंगी शक्तिशाली, निर्णय लेने का मिलेगा अधिकारः हेमन्त सोरेन

पेसा नियमावली को राज्य मंत्रिपरिषद से मंजूरी मिलने का जश्न पूरा राज्य मना रहा है। इस कड़ी में राज्य के अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र से आए पारंपरिक प्रधान/ प्रमुख/ मुखिया के साथ सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पेसा नियमावली लागू करने की दिशा में लिए गए निर्णायक फैसले के लिए आभार जताया। मुख्यमंत्री ने भी नगाड़ा बजाकर अपनी खुशियों का इजहार किया।

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज पेसा दिवस भी मना रहे हैं। इस विशेष अवसर पर राज्य सरकार ने पेसा नियमावली को अंतिम मुकाम तक पहुंचाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, वह साकार  हो रहा है। पेसा कानून धरातल पर उतरने को तैयार है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार जो नियम- कानून बनाती है, उसमें विसंगतियां नहीं होती है, लेकिन उसके क्रियान्वयन में गड़बड़ी होने से सुखद परिणाम नहीं मिल पाता है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पेसा नियमावली के तहत पंचायतों को जो अधिकार प्राप्त होंगे, उसका ईमानदारी से पालन और क्रियान्वयन हो, तभी यह सफल होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने झारखंड राज्य के लिए जो सपना देखा था, उसे हमारी सरकार पूरा करने का लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में जल – जंगल- जमीन की रक्षा, अपनी सभ्यता- संस्कृति और पहचान को बरकरार रखने एवं पारंपरिक स्थानीय स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करना हमारे सरकार की शुरू से प्राथमिकता रही है। इसी सिलसिले में पेसा कानून को लागू  करने का जो निर्णय लिया था, वह आकार लेने जा रहा है। अब हमारे पारंपरिक ग्राम प्रधानों और प्रमुखों को उनका हक- अधिकार मिलने जा रहा है। यह अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेसा सिर्फ एक कानून नहीं है। इसके साथ हमारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। लंबे समय से पेसा कानून की मांग हो रही थी। इसमें अड़चनें भी आती रही, लेकिन जन प्रतिनिधियों, आम जन तथा सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से प्राप्त विचारों एवं सुझावों के आधार पर इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया, जिसे कानूनी दर्जा देने के साथ इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। मुझे  विश्वास है कि झारखंड का पेसा नियमावली पूरे देश के लिए नजीर बनेगा। मुख्यमंत्री ने पेसा नियमावली का ड्राफ्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वालों को धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्र में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को सशक्त बनाने का हमारा जो लक्ष्य था, वह पूरा होने जा रहा है। अब जनजातीय समुदायों को अपनी परंपराओं, संस्कृति, भूमि, जल और प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल का हक-अधिकार मिल सकेगा। इस नियमावली के लागू होने से अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभाएँ शक्तिशाली होंगी और निर्णय लेने का अधिकार भी प्राप्त होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित हो, इस दिशा में हमारी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसके लिए सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक व्यवस्था मजबूत बना रहे हैं। मेरा मानना है कि जब हमारी आने वाली पीढ़ी सशक्त होगी तभी राज्य आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य का गौरवशाली इतिहास रहा है । हमारे पूर्वजों, वीर शहीदों, आंदोलनकारियों एवं दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी ने इस राज्य को लेकर जो परिकल्पना की थी, उसे साकार करने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। मेरी स्पष्ट सोच है कि जब तक गांव मजबूत नहीं होगा, तब तक इस राज्य को सशक्त करने का  सपना साकार नहीं होगा। यही वजह की हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड 25 वर्ष का हो चुका है। अब हमारा राज्य बड़े बदलाव की ओर बढ़ रहा है। हमारी सरकार नौजवानों को नौकरी दे रही है। वहीं, हमारी सरकार ने हाल ही में आदिवासी बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए निः शुल्क कोचिंग संस्थान की शुरुआत की है । यहां वैसे बच्चे तैयारी कर सकेंगे, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। मुझे पूरा विश्वास से कि यहां से पढ़कर बच्चे देश के अच्छे मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिला लेने के लिए सफल होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपने मुझे जो आशीर्वाद दिया है। मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसे कदापि भूल नहीं सकते हैं। मैं यकीन दिलाता हूं कि इस राज्य में हर किसी को उसका मान- सम्मान और हक अधिकार मिलेगा। हमारी सरकार विकास के क्षेत्र में ऐसी लंबी और गाढ़ी लकीर खींचने के लिए तैयार है जो झारखंड को देश का अग्रणी और विकसित राज्य बनाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मुख्यमंत्री मइंया सम्मान योजना से जुड़कर राज्य की 50 लाख महिलाएं अपने पैरों पर खड़ा हो रही हैं। वे खुद के साथ अपने परिवार को सशक्त बना रही है ।ऐसे में अब सरकार ऐसी कार्य योजना तैयार कर रही है, जिसके तहत सीमित संसाधनों के बीच  कैसे आगे बढ़े, यह ना सिर्फ बताया जाएगा, बल्कि उसे धरातल  पर उतारा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग हमारी आलोचना करते हैं । मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं आलोचनाओं से डरता नहीं हूं। लेकिन, इस बात से जरूर डर लगता है कि कहीं हमारी योजनाएं असफल ना हो। यही वजह है कि हमारी सरकार गंभीरता के साथ अपनी योजनाओं को अमली जामा बनाने का कार्य करने में विश्वास करती है।

गुमला जिला अनुसूचित क्षेत्र मुखिया संघ के अध्यक्ष राम प्रसाद बड़ाईक, सरायकेला- खरसावां जिले के मुखिया दिवाकर सोरेन, गुमला जिला के घाघरा प्रखंड के मुखिया योगेंद्र भगत, पूर्वी सिंहभूम जिले के केराडूंगरी पंचायत के प्रधान कान्हू मुर्मू समेत कई ग्राम प्रधान/ प्रमुख/ मुखिया ने अपने उदगार  व्यक्त करते हुए कहा कि पेसा नियमावली से राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था को एक नया मुकाम मिलेगा। इससे अनुसूचित ग्राम पंचायतों को उनका हक – अधिकार के साथ निर्णय लेने की शक्ति मिलेगी। इस पहल से अनुसूचित क्षेत्र में जनजातीय समुदाय को पूरा मान-सम्मान प्राप्त होगा। वर्षों से हमारी मांग पेसा कानून को लागू करने की थी, जो अब साकार हो रहा है। मुख्यमंत्री को इस निर्णायक पहल के लिए हार्दिक बधाई देते हैं और आभार जताते हैं।

इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय, विधायक कल्पना सोरेन, पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार और पंचायती राज निदेशक राजेश्वरी बी के अलावा राज्य के अलग-अलग क्षेत्र से ग्राम प्रधान प्रमुख मुखिया और पेसा मोबलाइजर्स मौजूद थे।

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