ज्योत्सना केरकेट्टा द्वारा द्रोणाचार्य पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ रांची के साइबर थाने में शिकायत दर्ज
दिनांक 10 दिसम्बर को फौलो अप यूट्यूब चैनल द्वारा आड्रे हाउस रांची में आयोजित कॉन्क्लेव में ज्योत्सना केरकेट्टा द्वारा सरेआम गुरु द्रोणाचार्य पर अभद्र एवं अमर्यादित टिप्पणी किये जाने को लेकर रांची के साइबर थाने में एक शिकायत दर्ज करवाई गई है। ज्योत्सना केरकेट्टा पर आरोप है कि उन्होंने ऐसा कर हिन्दू एवं सनातन धर्मावलम्बियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई हैं। ज्ञातव्य है कि कल यानी शनिवार को ज्योत्सना केरकेट्टा के खिलाफ साइबर थाने में दर्ज कराई गई शिकायत को साइबर थाने ने स्वीकार कर लिया है।
शिकायत में सुप्रसिद्ध अधिवक्ता ज्योति आनन्द ने साइबर थाने को सूचित किया है कि उन्होंने 10 दिसम्बर को फेसबुक एकाउंट में फौलो अप यूट्यूब चैनल में चल रहे कॉनक्वलेव को देख रही थी तो उन्होंने देखा कि उस कॉनक्वलेव में उपस्थित ज्योत्सना केरकेट्टा सरेआम खुलेआम मंच से गुरु द्रोणाचार्य के खिलाफ अभद्र व अमर्यादित भाषा को प्रयोग कर रही थी। जो एक विशेष समुदाय के प्रति समाज को भड़काने के नीयत से जानबूझकर एवं सोच समझकर वो ऐसा कर रही थी।
ज्योति आनन्द ने अपने शिकायत प्रपत्र में लिखा है कि गुरु द्रोणाचार्य जो सनातन एवं हिन्दू धर्म के आदर्श व प्रशंसनीय गुरु परम्परा के प्रतीक है, उनके उपर इस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया, वो भी गाली देते हुए, जिसे एक विशेष समुदाय के मान-स्वाभिमान की क्षति हो।
ज्योति आनन्द ने यह भी लिखा है कि ज्ञातव्य है कि गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया जाता है। ऐसे में गुरु द्रोणाचार्य के खिलाफ की गई टिप्पणी देशद्रोह की श्रेणी में भी आता है। अतः ज्योत्सना केरकेट्टा के खिलाफ न्यायसंगत कार्रवाई करते हुए उन्हें दंडित किया जाय।
इधर बुद्धिजीवियों को कहना है कि आजकल जिसे देखिये। वो किसी के भी खिलाफ सोशल मीडिया या किसी भी मंच पर ऐसी टिप्पणी कर देते हैं, जो किसी भी प्रकार से सही नहीं होता। लेकिन लोकप्रियता की शार्टकट अपनाने के चक्कर में वो ये ऐसी हरकतें कर देते हैं, जो उन्हें कोर्ट कचहरी तक पहुंचा देता है। ज्योत्सना केरकेट्टा द्वारा दिया गया बयान उसी श्रेणी में आता है। खुशी इस बात की है कि अब समाज सचेत हो उठा है, वो अब ऐसी मुद्दों पर चुप रहने को तैयार नहीं है। वो सीधे कानून का सहारा लेते हैं और ऐसे लोगों को कानून के दायरे में लाने के लिए हर वो काम करने को तैयार हैं, जो संविधान उन्हें इजाजत देता है।
साइबर थाने में दिये गये शिकायत पत्र में कृष्णा कुमार मिश्र, कुमुद झा, सुनील कुमार साहू, चंदन पाठक, अनूप कुमार, अर्चना मिश्रा, अन्नु पाठक, अशोक कुमार पांडेय, सुधा कुमारी, अमित जायसवाल, स्वस्तिका कुमारी आदि के हस्ताक्षर हैं। बताया यह भी जा रहा है कि साइबर थाना द्वारा पहले तो शिकायत स्वीकार कर लिया गया। लेकिन तुरंत ही शिकायतकर्ता को बुलाकर शिकायत पत्र को वापस लेने के लिए दबाव भी बनाया जाने लगा। लेकिन शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस लेने से साफ इनकार कर दिया।

सस्ती लोकप्रियता एवं मीडिया कवरेज पाने के लिए बेकरार पागल लोग बे सिर-पैर की बातें करने में अपना बड़प्पन समझते हैं, जबकि इसके कारण उस व्यक्ति की थू-थू होती है और लोग सोशल मीडिया पर अभद्र एवं अपमानजनक टिप्पणी करते हैं। इस प्रकार का कृत्य संबंधित व्यक्ति के संस्कार एवं परवरिश को प्रतिबिंबित करता है। लेकिन वही बात है न कि “बदनाम हुए तो क्या नाम नहीं हुआ” । ऐसे मानसिक रोगियों का योगी बाबा स्टाइल में बेहतर उपचार आवश्यक है ।