राजनीति

शर्मनाक, सारी शर्तों को पूरा करने के बाद भी केन्द्र नहीं दे रहा झारखण्ड को उसका हक, मंत्री दीपिका पांडेय ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री नहीं मिलते, विपक्ष तमाशा खड़ी करने की मंशा रखता है, तो वो भी करने को हम तैयार

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने जो विद्रोही24 को बताया वो, सचमुच हैरान करनेवाला है। दीपिका पांडेय सिंह कहती है कि पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्यों को 15वें वित्त आयोग की राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 (1385.00 करोड़ रुपये) एवं 2025-26 (1351.00 करोड़ रुपये) प्राप्त करने के लिए जो शर्तें रखी गयी थी। वो सब पूरा कर लिया गया। उसके बावजूद भी झारखण्ड को जो राशि मिलनी चाहिए, वो नहीं मिल पा रही है।

आश्चर्य की बात है कि अपनी राशि को प्राप्त करने के लिए वो कई बार केन्द्रीय मंत्रियों से मिलने की कोशिश की। लेकिन वे मिलते नहीं। उनके अधिकारी मिलते हैं। लेकिन काम नहीं होता। आश्चर्य की बात है कि पंचायती राज मंत्रालय ने स्वयं स्वीकार किया है कि झारखण्ड ने सारी शर्तें पूरी कर ली है। उसने कहा कि वे जल्द ही झारखण्ड की राशि विमुक्त कर देंगे। फिर भी झारखण्ड को उसका हक नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में सदन में जिन भी माननीयों के सवाल आ रहे हैं और जो विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं, उसके मूल में है केन्द्र द्वारा सहयोग नहीं करना व झारखण्ड की राशि को मुक्त नहीं करना है।

उन्होंने विपक्ष के नेताओं से भी कहा कि वे अपने केंद्र के नेताओं पर दबाव डालें, लेकिन यहां राजनीति तो सबको करनी है। लेकिन जनता के दर्द से किसी को लेना-देना नहीं। दरअसल, आज सदन में ग्रामीण विकास मंत्रालय से संबंधित प्रश्नों को लेकर गहमागहमी बनी रही। नेता प्रतिपक्ष और विपक्ष के अन्य सदस्यों ने राज्य की विभागीय हालात खराब होने के लिए सरकार को कोस रहे थे। जिसको लेकर दीपिका पांडेय सिंह ने सदन में अपनी बातें जोरदार ढंग से रखी। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष या विपक्ष तमाशा चाहते हैं कि हमलोग वहां जाकर धरना-प्रदर्शन करें, तो धरना भी करेंगे।

दीपिका पांडेय सिंह ने सदन में बार-बार कहा कि वो एक बार नहीं, कई बार केन्द्रीय पंचायती राज मंत्री से मिलकर इस संबंध में मिलकर बात करनी चाही। लेकिन वे मिलने को तैयार नहीं होते। इसी बीच वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने दीपिका पांडेय सिंह की बातों पर मुहर लगाते हुए सदन में कहा कि यह पूरा मामला आर्थिक रूप से जुड़ा है। हम कोई याचना नहीं कर रहे। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है। हमारा एक लाख छत्तीस हजार करोड़ रुपये केन्द्र सरकार के पास बकाया है। कोयला मंत्री कहते है कि वे एक टीम बनाकर, इसकी जांच कराकर जल्द ही इसका भुगतान कर देंगे। लेकिन न तो टीम बनती है और न ही हमें हमारी राशि मिलती है। जिसका परिणाम है कि हम अपनी जनता को वो चीजें नहीं दे पा रहे हैं, जिसकी उन्हें जरुरत है। चाहे कोई विभाग से संबंधित बातें क्यों न हो।

दीपिका पांडेय सिंह ने विद्रोही24 को बताया कि पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्यों को 15वें वित्त आयोग की राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 (1385.00 करोड़ रुपये) एवं 2025-26 (1351.00 करोड़ रुपये) प्राप्त करने के लिए निम्न शर्तें रखी गयी थी। वित्तीय वर्ष 2023-24 की हस्तांतरित राशि का जीटीसी पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा जाना था। वित्तीय वर्ष 2024-25 की राशि प्राप्त करने के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 का ऑडिट किया जाना था। वित्तीय वर्ष 2024-25 का अनुदान प्राप्त करने के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाना था। पेनल सूद की राशि पंचायतों को हस्तांतरित करते हुए जीटीसी उपलब्ध कराया जाना।

उपर्युक्त सभी शर्तों को राज्य सरकार द्वारा दिनांक 20.05.2025 को अनुपालन कर लिया गया था, जिसे पत्र के माध्यम से पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किया गया। उक्त शर्तों के पश्चात् पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नयी शर्तों को जोड़ा गया, जो कि 15वें वित्त आयोग की शर्तों में नहीं था, दिनांक 10.10.2025 को पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 14वें वित्त आयोग मद की अवशेष राशि को 15वें वित्त आयोग मद की प्राप्त होने वाली राशि को 10 प्रतिशत से कम होने की शर्त रखी गयी, जिसका कोई औचित्य नहीं था। यह राशि पंचायतों के खातों में रखी हुई थी। झारखण्ड सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार से अनुरोध कर ई-ग्राम स्वराज पोर्टल को खुलवाया एवं पुराने लाइबिलिटी का विकल्प खुलवाते हुए राशि को 10 प्रतिशत से नीचे लाने हेतु कार्य संपन्न किया गया।

उक्त के पश्चात् पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार से 15वें वित्त आयोग मद की राशि की पुनः मांग की गयी। पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 24.11.2025 को पत्र के माध्यम से सूचित किया गया कि झारखण्ड सरकार द्वारा दिए गए सूद की राशि ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के रिवर्स रिसीप्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट में दिखाई नहीं दे रहा है। ज्ञात हो कि ई-ग्राम स्वराज पोर्टल अन्तर्गत पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा इस प्रकार का पोर्टल में कोई ऑप्शन नहीं दिया गया था।

उक्त के संबंध में झारखण्ड सरकार द्वारा 222 पन्नों का पंचायतों को हस्तांतरित राशि का सम्पूर्ण ब्यौरा पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को उपलब्ध कराया गया है। दूरभाष पर सम्पर्क करने पर पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के पदाधिकारियों द्वारा यह बतलाया गया कि आप ने सभी शर्तों को पूर्ण कर लिया है एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 की 15वें वित्त आयोग मद की राशि जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी, परंतु अभी तक राशि प्राप्ति की सूचना अप्राप्त है।

झारखण्ड सरकार द्वारा इस संबंध में पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को पत्रांक 2136 दिनांक 10.09.2025, पत्रांक 2610 दिनांक 14.11.2025 एवं पत्रांक 2702 दिनांक 25.11.2025 द्वारा 15वें वित्त आयोग मद की राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 (1385.00 करोड़ रूपये) विमुक्त करने हेतु अनुरोध किया गया है। परंतु पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अबतक झारखण्ड सरकार को राशि विमुक्त नहीं की गयी है।

ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह विस्तारपूर्वक कहती है कि वित्त विभाग, झारखण्ड, राँची के संकल्प संख्या- 2519 दिनांक 16.10.2025 द्वारा राज्य वित्त आयोग का गठन किया गया है। पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा दिनांक 12.03.2025 को प्रथम प्रतिवेदन राज्य सरकार को समर्पित किया गया। राज्य सरकार द्वारा विकास आयुक्त, झारखण्ड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर आयोग की अनुशंसाओं पर अग्रेतर कार्रवाई निदेशित किया गया। उक्त समिति के द्वारा दिनांक 25.08.2025 को सुझाव उपलब्ध कराया गया, जिसके अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 के लिए निम्न रूप से लागू करने का निर्णय लिया गया, जिसके अन्तर्गत शहरी स्थानीय निकायों तथा पंचायती राज संस्थाओं के बीच 40:60 के अनुपात में राशि देय होगी।

इसमें ग्रामीण स्थानीय निकायों को वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु 658.02 करोड़ रूपये तथा वित्तीय वर्ष 2025-26 में 669.33 करोड़ रूपये पंचायतों को दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जिसके अन्तर्गत पंचायतों को दिए जाने वाले पंचायत सुदृढ़ीकरण की प्रति वर्ष की राशि 80.00 करोड़ रूपये को सन्निहित किया गया है। वर्तमान में झारखण्ड सरकार द्वारा पंचायतों को राज्य वित्त आयोग की राशि हस्तांतरित करने हेतु पंचायतों का खाता खुलवाने का कार्य कर रही है।

आज एक बार फिर झारखण्ड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन भी विलम्ब से शुरु हुआ। सदन में स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो पूर्वाह्न 11.06 बजे प्रवेश किये। मतलब प्रश्नकाल आज छह मिनट विलम्ब से शुरु हुआ। आज भी कार्य सूची के बंडल में मंत्रियों से पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर नहीं थे। जिसके कारण पत्रकारों को समाचार संकलन करने में दिक्कत हुई। दूसरी ओर अल्पसूचित प्रश्न का समय लंबा था। जबकि तारांकित प्रश्नों के लिए समय कम थे। अल्पसूचित प्रश्न काल में मात्र चार सवाल ही आ पाये। 

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