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RPC की AGM की मीटिंग हंगामे की भेंट चढ़ी, एक महिला पत्रकार मेज पर चढ़कर की हंगामा, अध्यक्ष व सचिव मीटिंग छोड़कर भागे, बिना AGM से पास कराए ही दोनों ने सदस्यता शुल्क घटाने की कर दी घोषणा, हुआ बवाल

रांची प्रेस क्लब की एजीएम की मीटिंग आज हंगामे की भेंट चढ़ गई। आज पहली बार वो दृश्य देखा गया। जो पहले कभी नहीं देखी गई। आज एक महिला पत्रकार मेज पर चढ़कर खुब हंगामा की। रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन और महासचिव अमरकांत हंगामे को देखकर मीटिंग छोड़कर भाग खड़े हुए। इन दोनों ने जिन मुद्दों पर सहमति नहीं बनी, उसे भी पारित हुआ दिखा दिया। जिसको लेकर रांची के पत्रकारों ने जमकर बवाल काटा। कई पत्रकार अध्यक्ष व सचिव के खिलाफ खुलकर विभिन्न सोशल साइटों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही आज की पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक व अराजकता फैलानेवाला बताकर रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष व सचिव का भला-बुरा कहने से नहीं चूक रहे।

हिन्दुस्तान अखबार के संवाददाता अखिलेश कुमार सिंह कहते है कि 2017 से एजीएम वो मौका रहा है, जब एक दूसरे से मुलाकात का मौका मिलता था। बड़ों से आशीर्वाद, उनके साथ होने का एहसास होता था। आज एजीएम में सब थे, लेकिन कुछ चेहरों की गैरमौजूदगी खल सी गई। हमें विचार करना चाहिए कि आखिर ये माहौल क्यों बना, हमारे अभिभावकों ने हमसे दूरियां क्यों बनाई? वे आगे कहते है कि जिनका कोई योगदान नहीं, वो हुड़दंग कर रहे हैं, जिन्होंने क्लब की बीज बोई, पौधे से पेड़ बनने तक सींचा, उनकी छांव से हम दूर हो गये। गमले में उगे पौधे आज बड़े होने का गुमान पाल रहे। अखिलेश आगे लिखते हैं – बहुत पीड़ा हुई। जीत-हार के समीकरण बैठते हम पत्रकार क्लब संवार देंगे। चार दिन की शराब पार्टी और मेंबर की सदस्यता शुल्क भर कोई चुनाव जीत जाए। लेकिन नजरों से उतर ही जायेगा।

हिन्दुस्तान के संवाददाता अखिलेश कुमार सिंह की ये पंक्ति ही बताने के लिए काफी है कि रांची के पत्रकार जगत में चरित्रहीनता किस कदर घर कर गया है। यहां के पत्रकार इतने निर्लज्ज हो गये कि वे अपने वोट को बेचने के लिए तैयार हो गये हैं और जो इस बार चुनाव लड़ रहे हैं, वे उनके वोट को खरीदने के लिए भी तैयार बैठे हैं। कुछ तो आगे निकल गये हैं और कुछ आगे निकलने की तैयारी में हैं, वो भी सदस्यता शुल्क भरने के नाम पर। ये रांची प्रेस क्लब के उन तमाम सदस्यों पर काला धब्बा है, जो स्वयं को पत्रकार कहते हैं। आप राजनीतिज्ञों को कहेंगे कि वे वोट खरीदते हैं, जनता को कहेंगे कि वो शराब और पैसों के नाम पर वोट बेच देते हैं। लेकिन आप रांची प्रेस क्लब के चुनाव में क्या कर रहे हैं? इसका जवाब कौन देगा? आप तो खुद अपने मुख पर कालिख पुतवाने के लिए तुले हुए हैं।

अखिलेश कुमार सिंह कहते हैं कि दुर्भाग्य है इस क्लब का। एजीएम में कोई अन्य एजेंडा पारित नहीं हुआ। सिर्फ चुनावी एजेंडा छोड़कर। बैकडोर से ऐसे पत्र जारी करना, कमेटी के पाप में एक ओर कड़ी ही हैं। वे कहते हैं कि मनबढू होकर कोई क्लब चला लेगा। वोट के लिए ऐसे झूठ ओर पाप से चलेगा क्लब?

फौलो अप के प्रबंधक सह संवाददाता संजय रंजन कहते हैं कि सदस्यता शुल्क कम करने के तरीके को ध्यान में रखते हुए इससे संबंधित प्रस्ताव को एजीएम में खारिज कर दिया गया था। अब ये शर्मनाक है कि कमेटी के पदाधिकारी द्वारा फर्जी सूचना जारी किया जा रहा है। ये एजीएम में शामिल सदस्यों के मुंह पर कालिख पोतने जैसा है। इसे नहीं मानेंगे। संजय रंजन के इस वक्तव्य का अखिलेश कुमार सिंह ने समर्थन किया है और कहा कि संजय रंजन ने हमेशा की तरह साबित कर दिया कि रीढ़ होना क्यों जरुरी हैं। यहां हर कोई वोट बैंक के आगे क्लब की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रहा। योग्यता और स्टैंड के लिए उम्र मायने नहीं रखती। सच बोलने की क्षमता जो आप (संजय रंजन) में हैं। आप वाकई डिजर्व करते हैं।

इधर संजय रंजन ने यह भी कहा कि निवर्तमान अध्यक्ष जी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह अपराध किस दबाव में किया गया है, क्या केवल चुनावी हार-जीत का समीकरण साधना ही क्लब का एकमात्र एजेंडा रह गया है। पत्रकार बिपिन लिखते हैं कि चुनावी प्रकिया के दौरान सदस्यता शुल्क को घटाकर मतदान प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है। यह निष्पक्ष चुनाव को लेकर शंका पैदा करती है। प्रभात खबर के सुनील चौधरी के कथनानुसार ये कब और किसने पारित कर दिया, ऐसे में एजीएम का मतलब ही क्या रह गया। ये तो सरासर धांधली है।

अभिषेक सिन्हा के अनुसार कई महत्वपूर्ण एजेंडे थे। लेकिन कोई भी एजेंडा  प्रस्तुत नहीं किया गया। पिछले वर्ष के पांच लाख से अधिक खर्च पर सहमति की भी चर्चा है, वह क्या पेश हुआ है? सदस्यता शुल्क घटाने को लेकर जैसे ही प्रस्ताव आया। वैसे ही हंगामा हो गया और अध्यक्ष व सचिव दोनों कुर्सी छोड़कर भाग निकले। अब बंद कमरे में कमेटी के जिन पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किये हैं। उनको बताना है कि एजीएम की सहमति कब मिली है?

इधर राष्ट्रीय खबर के संपादक रजत कुमार गुप्ता की भी चिट्ठी ने बवाल कर रखा है। राष्ट्रीय खबर के संपादक रजत कुमार गुप्ता का कहना है कि आज रांची प्रेस क्लब की आम सभा में जिन मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बनी और जिन्हें आम सभा ने पारित भी नहीं  किया, उनकी तरफ से जारी सोशल मीडिया सूचना में उनका उल्लेख किया गया है। हम सदस्य इसका विरोध करते हैं क्योंकि आम सभा में औपचारिक तौर पर सिर्फ चुनाव कराने पर ही सहमति बनी है। शेष जिन मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बनी और ना ही उनपर विस्तार से कोई चर्चा हुई, उन्हें चंद सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ पारित बताना भी गलत है। अतः हम प्रेस क्लब के सदस्य इसका विरोध करते हैं और अपने हस्ताक्षर के साथ इसे आपको एवं उस कागज पर हस्ताक्षर करने वाले सभी सदस्यों को इसके माध्यम से नोटिस देते हैं कि क्यों नहीं आपलोगों के खिलाफ आम सदस्यों का विश्वास तोड़ने के लिए विधिसम्मत और क्लब के संविधान के तहत कार्रवाई की जाए।

वरिष्ठ पत्रकार रेखा पाठक ने कहा कि इस बार चुनाव में अच्छे लोग को चुने। क्लब को धंधा बनाने वाले को क्लब से दूर रखे। उन्होंने क्लब के सदस्यों से अनुशासन बरतने का भी आग्रह किया। एजीएम के बाद खाने में भी अव्यवस्था का माहौल रहा। क्लब के वर्तमान कमेटी के लोग बाहर जाकर लोगों से मतदान की अपील कर रहे थे जबकि खाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। सूचना के अनुसार 250 लोगों के खाने की व्यवस्था की गई थी, जबकि 500 से अधिक लोग एजीएम में पहुंच गए। जगह छोटा होने के कारण बैठने की भी व्यवस्था नहीं थी। खाने में भी कई सामग्री घट गई। इससे कई वरिष्ठ पत्रकारों ने खाना नहीं खाया। किसी ने आधे पेट खा कर ही काम चलाया।

मतलब, रांची प्रेस क्लब को इनके अधिकारियों ने ऐसी गत गिराई हैं, कि जिसकी जितनी आलोचना की जाय कम हैं। पर, यह भी याद रखियेगा कि इन लोगों द्वारा रांची प्रेस क्लब का इतना गत गिराने के बावजूद भी इनमें से कई फिर से चुन के आ जाये, तो आश्चर्य मत करियेगा। क्योंकि जो वोट देगा, वो भी कम महान नहीं हैं। नये जमाने का पत्रकार जो ठहरा। लेगा, तो देगा ही। मतलब समझ गये न।

One thought on “RPC की AGM की मीटिंग हंगामे की भेंट चढ़ी, एक महिला पत्रकार मेज पर चढ़कर की हंगामा, अध्यक्ष व सचिव मीटिंग छोड़कर भागे, बिना AGM से पास कराए ही दोनों ने सदस्यता शुल्क घटाने की कर दी घोषणा, हुआ बवाल

  • मनोज कुमार सिंह

    बहुत शानदार लिखा है। सबकुछ सच। 👍

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