JSSC CGL पेपर लीक मामले में विनय शाह की गिरफ्तारी कई गंभीर सवाल खड़े कर दी हैं, जो काम झारखण्ड पुलिस व यहां के DGP नहीं कर पाये, वो काम योगीजी की पुलिस ने कर दियाः बाबूलाल मरांडी
झारखण्ड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कहना है कि जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक मामले में विनय शाह की गिरफ्तारी कई गंभीर सवाल खड़े करती है। उनका कहना है कि जो काम झारखंड पुलिस, पूर्व पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता और सरकार नहीं कर पाई, वह काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने कर दिखाया।
बाबू लाल मरांडी कहते हैं कि उनका पहला सवाल यह है कि आखिर विनय साह की गिरफ्तारी हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई के खत्म होने के बाद ही क्यों हुई? क्या हमारी राज्य पुलिस का खुफिया तंत्र इतना विफल है कि वह आरोपियों को एक साल से पकड़ नहीं पा रही थी? इस मामले का मुख्य अभियुक्त अनीश अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। हमें सूत्रों के हवाले से पक्की सूचना मिली है कि पूर्व पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने एक मोटी रकम लेकर अनीश की गिरफ्तारी को अब तक टाले रखा है, ताकि पेपर लीक से संबंधित सारे डिजिटल साक्ष्यों को धीरे-धीरे नष्ट किया जा सके।
बाबूलाल मरांडी का यह भी कहना है कि उनके पास यह भी पक्की सूचना है कि जिन छात्रों ने नेपाल, रांची, हजारीबाग, और रांची के मंत्री रेजिडेंसी, नियामतपुर व अन्य जगहों पर प्रश्नों के उत्तर रटे थे, राज्य की सीआईडी टीम उन सभी के स्वीकारोक्ति बयानों को सरकार और पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के दबाव में बदल रही है, ताकि कुछ सफेदपोशों को बचाया जा सके।
एक गंभीर सवाल यह भी है कि आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि पेपर लीक की जांच कर रही सीआईडी की पूरी टीम को जांच के दौरान दो बार बदला गया? जिस पर न्यायालय ने सख्त आपत्ति भी जताई थी। सवाल यह भी उठता है कि आज तक पेपर लीक में संबंधित एजेंसी और आयोग के अधिकारियों से पूछताछ क्यों नहीं की गई? जबकि आयोग के सदस्यों ने शुरुआत में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर छात्रों के सारे सबूतों को ‘एडिटेड’ बताया था।
वे कहते हैं कि अगर एक निजी चैनल की न्यूज़ की रिपोर्ट को देखा जाए, तो अभियुक्त विनय साह ने खुद स्वीकार किया है कि कैसे उसने परीक्षा से पहले रांची के एक होटल में रुककर इस पेपर लीक की साजिश रची और छात्रों को नेपाल ले जाकर प्रश्नों के उत्तर रटवाए। बाबूलाल मरांडी कहते हैं कि उनके पास पास पुख्ता जानकारी है कि फरार अभियुक्त अनीश का सीधा संपर्क परीक्षा कराने वाली एजेंसी, आयोग के अधिकारियों और पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता से है।
वे कहते है कि एक अंतिम और गंभीर सवाल कि आखिर ऐसी कौन सी बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का पूरा कुनबा इस पेपर लीक को मात्र धनउगाही बताने पर तुला हुआ है? बाबूलाल मरांडी का कहना है कि अभी भी वक्त है, अगर मुख्यमंत्री की मंशा स्पष्ट है तो तत्काल इस पूरे पेपर लीक प्रकरण की जांच सीबीआई से कराएं। साथ ही वे राज्य की सीआईडी टीम और उनके डीजी से अनुरोध करेंगे कि इस पूरे मामले की जांच बिना किसी भेदभाव के की जाए, क्योंकि समय भी बदलता है और परिस्थितियां भी, अगर कुछ नहीं बदलता है तो वह है ‘सत्य’।
