प्रांतीय संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को उनके पद से अविलम्ब मुक्त करें भाजपा, साथ ही उनकी संपत्ति की जांच भी कराएः कृष्णा अग्रवाल
कभी भाजपा में रहे और आज भाजपा को श्रद्धांजलि दे चुके भाजपा समर्थक, राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ता के एक-दो पोस्ट ने झारखण्ड भाजपा में धमाल मचाकर रख दिये हैं। ये दोनों पोस्ट झारखण्ड भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह से संबंधित हैं। कृष्णा अग्रवाल ने एक पोस्ट में कर्मवीर सिंह को कर्महीन सिंह कहते हुए उनकी संपत्ति की जांच की मांग कर दी है। जबकि एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कर्मवीर सिंह को प्रांतीय संगठन महामंत्री के पद से अविलम्ब मुक्त करने की मांग कर दी है।

कृष्णा अग्रवाल ने अपने पोस्ट में लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों का निर्माण हुआ था। आज उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ विकास की तेज़ धारा में आगे बढ़ते हुए मॉडल स्टेट बन चुके हैं। जबकि दूसरी ओर झारखंड जो उन दोनों राज्यों से कहीं अधिक खनिज संपदा, प्राकृतिक संसाधन,और हरा-भरा पर्यावरण वाला सबसे समृद्ध राज्य है, फिर भी विकास की दौड़ में उन दोनों राज्यों से काफी पीछे है।
कृष्णा अग्रवाल इसके लिए भी भाजपा को ही दोषी ठहराते हैं। वे कहते है कि भाजपा में भारी गुटबाजी एवं आपसी खींचतान के कारण राज्य गठन के बाद से झारखंड में पार्टी लगातार कमजोर होती गई। राज्य गठन के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में तो विधायकों की संख्या में भी काफी कमी हुई जो किसी भी सच्चे संवेदनशील भाजपा कार्यकर्ता के लिए दिल दहला देने वाला क्षण था। इससे भी बड़ी शर्मनाक बात यह है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद दो–दो उपचुनावों हुए। उसमें भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा, जो संगठन की जमीनी कमजोरी और नेतृत्व की विफलता को साफ़ उजागर करता है।
कृष्णा अग्रवाल के कथनानुसार आज झारखंड भाजपा का नेतृत्व असहाय, दिशाहीन और राजनीतिक रूप से कमजोर दिखाई देता है। गुटबाजी और खेमेबाजी का ऐसा प्रतिस्पर्धा चल रहा है कि बड़े नेता एक-दूसरे को संभालने की बजाय एक-दूसरे को नीचे धकेलने में ज्यादा व्यस्त हैं और इसी आपसी कलह का सबसे बड़ा लाभ मिला झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को हमारी टूट और गुटबाजी ने उन्हें और अधिक मजबूत बनाया। भाजपा की कमजोरी ही उनकी ताकत बनती जा रही है।
कृष्णा अग्रवाल के अनुसार संगठनात्मक दृष्टि से प्रांत में पार्टी की ओर से नियुक्त प्रान्तीय अध्यक्ष और संघ की ओर से नियुक्त प्रान्तीय संगठन महामंत्री को पूर्ण अधिकार दिए जाते है कि वे संगठन को सशक्त दिशा नेतृत्व प्रदान करें। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि वर्तमान संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह अब तक के सबसे निकृष्ट, निष्क्रिय और घोर गुटबाजी को बढ़ावा देने वाले संगठन महामंत्री साबित हुए हैं। उनकी कार्यशैली ने संगठन को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया, कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ा,और आज झारखंड भाजपा की यह दयनीय स्थिति उसी विफल नेतृत्व का जीता जागता परिणाम है।
कृष्णा अग्रवाल कहते है कि जब से वर्तमान संगठन महामंत्री ने झारखंड की कमान संभाली है, तब से संगठन में गुटबाजी और अधिक बढ़ी है, जिसके कारण झारखंड विधानसभा चुनाव एवं उसके बाद हुए दो दो उपचुनावों में भी पार्टी को मुँह की खानी पड़ी। उनका कहना है कि इतनी करारी चुनावी हार के बाद यह अनिवार्य है कि हार के कारणों की कठोर समीक्षा हो, प्रदेश के जो भी नेता या पदाधिकारी हार के लिए जिम्मेदार हों, उन पर कड़ी कार्यवाही हो, संगठन के भीतर जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। हार की जिम्मेदारी किसी न किसी की तो बनती ही है और उसे स्वीकार करवाना नेतृत्व की प्राथमिक जिम्मेदारी भी है।
वे आगे कहते है कि ऐसी विफलताओं के बाद संगठन महामंत्री का नैतिक कर्तव्य है कि वे स्वयं इस्तीफ़ा देकर संगठन को और अधिक गर्त में जाने से बचाएँ। क्या यही वह झारखंड है जिसकी कल्पना स्व. अटल जी ने की थी? क्या भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसी टूटे हुए संगठन के लिए वर्षों तक संघर्ष किया था? यदि अब भी केंद्रीय नेतृत्व ने अविलंब हस्तक्षेप कर कोई ठोस कदम नही उठाया, तो 2029 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर अधिक दुर्गति होना निश्चित है।
कृष्णा अग्रवाल के अनुसार आज झारखंड भाजपा को चाहिए एकजुटता, सशक्त नेतृत्व, गुटबाजी पर पूर्णविराम और संगठन को पुनर्जीवित करने का साहसिक निर्णय लेने वाला नेतृत्व। समय बहुत कम है, अगर आज नहीं जागे, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
