राजनीति

दीपेश की नजरों में झारखण्ड राज्य की 25वीं वर्षगांठ पर यहां के युवाओं को बढ़ते झारखण्ड की उपलब्धियों व चुनौतियों पर आत्मविश्लेषण की जरूरत

झारखंड राज्य अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर बने इस राज्य ने दो दशकों से अधिक की यात्रा में संघर्ष, विकास, आंदोलन, अवसर और उम्मीदों का दौर देखा है। झारखंड न केवल खनिज संपदा का धनी प्रदेश है, बल्कि जनजातीय विरासत, प्रकृति, सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है। इस अवसर पर राज्य की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन अत्यंत आवश्यक है — ताकि हम केवल उत्सव न मनाएं, बल्कि एक उत्तरदायी नागरिक समाज के रूप में अपने भविष्य की दिशा भी तय करें।

झारखंड के 24 जिले की विविधताएं अमूल्य है जो इसे माला में प्रयोग हुए हैं और यहां संभावनाएं अपार हैं। राजधानी रांची प्रशासनिक केंद्र, शिक्षा, न्याय और आंदोलन की भूमि है, वहीं पूर्वी सिंहभूम जमशेदपुर औद्योगिक नगरी, टाटा स्टील का गढ़ है, पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा वन, आदिवासी संस्कृति और खनिज क्षेत्र है, धनबाद भारत की कोयला राजधानी के रूप में विख्यात है, बोकारो स्टील प्लांट और शिक्षण संस्थानों का हब है, हजारीबाग शिक्षा, हरियाली और कोल माइनिंग हेतु मशहूर है, गिरिडीह माइका व कोयले का समृद्ध क्षेत्र है, कोडरमा माइका नगरी है और अब शिक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है।

देवघर में बाबा बैद्यनाथधाम है तथा यहां मेडिकल टूरिज्म की नई संभावनाएं है, दुमका उपराजधानी है और संथाल परगना की सांस्कृतिक पहचान है, साहेबगंज गंगा नदी का क्षेत्र है, और यहां बंदरगाह विकास की नई शुरुआत हो रही है, गोड्डा पावर प्लांट और सामाजिक परिवर्तन का क्षेत्र है, पाकुड़ पत्थर उद्योग और सीमावर्ती रणनीतिक क्षेत्र के रूप में विख्यात है, जामताड़ा में साइबर क्राइम के बजाय अब शिक्षा सुधार की चर्चा तेज है, चतरा संसाधन संपन्न, पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, लातेहार पर्यटन और जैव विविधता की भूमि है, पलामू डालटनगंज इतिहास, किला और जंगल हेतु अपनी अलग पहचान रखता है।

गढ़वा सीमावर्ती जिला, कृषि और वन उत्पाद आधारित जिला है, रामगढ़ कोयला खदानें से परिपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है, लोहरदगा बॉक्साइट की भूमि है, सिमडेगा हॉकी की भूमि है जो खेल प्रतिभाओं से भरपूर है, यहां से कई लोग भारतीय सेना में देश की सेवा में लगे हुए हैं, और यहां के लोग असम के चाय बागानों से लेकर पोर्ट ब्लेयर तक की सभ्यता और संस्कृति में बस गए हैं, खूंटी बिरसा मुंडा की कर्मभूमि है, जहां से जल-जंगल-जमीन की आवाज हमेशा बुलंद होती रही है, सरायकेला-खरसावां आदिवासी संस्कृति और शिल्पकला का क्षेत्र है।

झारखंड के 24 जिलों का यह विविधता में एकता का स्वरूप काफी अनुपम है, लेकिन झारखंड में वर्तमान चुनौतियां और समस्याएं भी कई है। शहरी बदहाली रांची नगर निगम समेत अधिकांश नगर निकायों में कचरा प्रबंधन, जल-जमाव, सड़क मरम्मत, और जन सुविधा में भारी कमी है, युवाओं के समक्ष बेरोजगारी और स्थानीय रोजगार अवसरों का अभाव है, व्यापारियों के सामने टैक्स का बोझ, भ्रष्टाचार और भयादोहन तथा अनावश्यक सरकारी अड़चनें है, आरटीआई और सोशल एक्टिविस्ट्स पर काफी दबाव है, सूचना मांगने वालों को डराना-धमकाना या फर्जी मुकदमों में फंसाना अब आम हो गया है, वकीलों के समक्ष न्याय व्यवस्था में मुकदमों का भारी लोड और पेंडेंसी है, लोक अदालत और जनहित याचिका का बढ़ता महत्व इसको थोड़ा राहत प्रदान करता है।

राजनीतिक दखल के कारण नगर निकायों में स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता का अभाव है, जन भागीदारी में कमी के कारण नागरिक मंच कमज़ोर हैं और स्वैच्छिक संगठनों की पहुंच सीमित बनी हुई है लेकिन इन समस्याओं के बीच झारखंड की कई उपलब्धियां भी हैं, सड़कों का विस्तार काफी तेज गति से हुआ है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में देवघर एम्स, और विभिन्न क्षेत्रों में नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण हुआ है, शिक्षा के क्षेत्र में केंद्रीय विश्वविद्यालय, ट्रिपल आईआईटी, बीआईटी, आईआईएम, आईएसएम जैसे संस्थानों की स्थिति में सुधार हुआ है।

डिजिटल झारखंड के क्षेत्र में CSCs, RTPS, DigiLocker, JharSewa पोर्टल जैसे प्रयास हुए हैं, खेल में ओलंपिक, एशियाई खेलों में झारखंड के खिलाड़ियों की सक्रियता बढ़ी है, नारी सशक्तिकरण के लिए सखी मंडल, जेएसएलपीएस जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए काफी प्रयास किया जा रहे हैं, पर्यावरण और पर्यटन के क्षेत्र में नेतरहाट, बेतला, दलमा जैसे क्षेत्रों में ईको-टूरिज्म का प्रयास और माइनिंग टूरिज्म की कोशिश शुरू हुई है।

नगर निकायों के सशक्तिकरण हेतु पारदर्शी बजट, नागरिक संवाद मंच, वार्ड स्तर की शिकायत निवारण व्यवस्था, वार्ड समिति और वार्ड सभा का गठन जरूरी है, वकीलों और न्याय क्षेत्र को सहयोग हेतु डिजिटल फाइलिंग, न्यायिक सेवा में भर्ती और कोर्ट की संख्या में वृद्धि के साथ वकीलों के लिए हर जिला में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण के साथ-साथ एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करवाने की आवश्यकता है, व्यापारी वर्ग हेतु व्यापारिक नियमों का सरलीकरण, ऑनलाइन लाइसेंसिंग, ट्रेड फेयर व मार्केट एक्सपोजर की जरूरत है साथ ही उनके मुद्दों पर उचित पैरवी के लिए झारखंड राज्य व्यापारी कल्याण आयोग के गठन की जरूरत है।

आरटीआई व सोशल एक्टिविस्ट की सुरक्षा, ह्विसल ब्लोअर प्रोटेक्शन लागू करवाते हुए सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति और राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की काफी जरूरत है, तभी हम पारदर्शिता और जवाबदेहिता की बात कर पाएंगे, और एक भ्रष्टाचार मुक्त शासन एवं प्रशासन की कल्पना की जा सकती है, रोजगार सृजन हेतु MSME हब, स्टार्टअप इनक्यूबेशन, ग्रामीण BPO मॉडल लागू किया जाना उचित होगा, लोक संवाद हेतु सिटीजन फोरम, वार्ड समिति और जन रिपोर्टिंग तंत्र को सशक्त करने की जरूरत है और इन सब की परिकल्पना तब की जा सकती है जब राज्य का विधि-व्यवस्था बेहतर हो और उग्रवाद को पूरी तरीके से हमलोग तिलांजलि दे दें, साथ ही साथ सिमडेगा गुमला खूंटी और चतरा जिला मुख्यालय में रेल सेवा की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे पूरा झारखंड रेल नेटवर्क से जुड़ सकता है और पूरे झारखंड को एक सस्ता परिवहन सेवा उपलब्ध हो सकता है।

25 वर्षों की यात्रा के बाद झारखंड एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहाँ अब जनभागीदारी, पारदर्शिता और नीति के ठोस क्रियान्वयन से ही अगला पड़ाव तय होगा। राज्य के 24 जिले अपनी संस्कृति, प्राकृतिक संसाधन और सामाजिक चेतना के बल पर भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल हो सकते हैं। बशर्ते सच्चे नेतृत्व, सतर्क नागरिक और जवाबदेह तंत्र साथ मिलकर आगे बढ़ें।

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