अपनी बात

हे हिन्दुस्तान अखबार के संपादक जी, थोड़ा इस ओर भी ध्यान दीजिये, अपने पाठकों को उल्लू बनाने का प्रयास न करें

हे रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार के संपादक जी, जब 29 अक्तूबर को आपके अखबार के मुख पृष्ठ पर कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी लिखा था, तब इसी दिन आपके अखबार में ही अंदर के पृष्ठ पर छपे पंचांग में कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि प्रातः 9.24 बजे तक क्यों लिखा था? और जब प्रातः 9.24 तक सप्तमी लिख ही दिया, तो फिर आपके पंचाग के अनुसार ही आपके मुख पृष्ठ पर तो 29 अक्तूबर को सप्तमी लिखना चाहिए था, क्योंकि सूर्योदय तो आपके कथनानुसार सप्तमी में हो रहा है।

इसी प्रकार, हे रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार के संपादक जी, जब 30 अक्तूबर को आपके अखबार के मुख पृष्ठ पर कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी लिखा था, तब इसी दिन आपके अखबार में ही अंदर के पृष्ठ पर छपे पंचांग में कार्तिक शुक्ल अष्टमी तिथि प्रातः 10.07 बजे तक क्यों लिखा था? और जब प्रातः 10.07 बजे तक अष्टमी लिख ही दिया, तो फिर आपके पंचाग के अनुसार ही आपके मुख पृष्ठ पर तो 30 अक्तूबर को अष्टमी लिखना चाहिए था, क्योंकि सूर्योदय तो आपके कथनानुसार अष्टमी में हो रहा है।

इसी प्रकार, हे रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान अखबार के संपादक जी, जब 31 अक्तूबर को आपके अखबार के मुख पृष्ठ पर कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी लिखा था, तब इसी दिन आपके अखबार में ही अंदर के पृष्ठ पर छपे पंचांग में कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि प्रातः 10.04 बजे तक क्यों लिखा था? और जब प्रातः 10.04 बजे तक नवमी लिख ही दिया, तो फिर आपके पंचाग के अनुसार ही आपके मुख पृष्ठ पर तो 31 अक्तूबर को नवमी लिखना चाहिए था, क्योंकि सूर्योदय तो आपके कथनानुसार नवमी में हो रहा है और जो पंचांग का एबीसीडी भी जानता है, वो यह भी जानता है कि जिस तिथि में सूर्योदय होगा, वहीं तिथि उस दिन ग्राह्य मानी जायेगी, न कि पश्चात वाला।

आश्चर्य यह भी है कि आपलोग जो पंचांग छापते हैं। वो किस पंचांग से लिया गया है। यह भी नहीं देते। ताकि जो पंचांग छापनेवाले गलत करते हैं। लोगों को मिसगाइड करते हैं। आपके पाठक उनका कान पकड़ सकें। ऐसे जहां आपकी अखबार दिखती है। जैसे – बिहार/झारखण्ड/उत्तर प्रदेश/दिल्ली आदि। यहां तो ज्यादातर वाराणसी और दरभंगा से निकलनेवाली पंचांग को ही लोग महत्व देते हैं। ऐसे हालात में वाराणसी ओर दरभंगा से निकलनेवाली पंचांग को देखा जाये तो इस प्रकार की भ्रांतियां कहीं भी देखने को नहीं मिलती।

इन पंचांगों के अनुसार 29 को अष्टमी, 30 को नवमी और 31 को दशमी ही थी, जैसा कि आपके अखबार के मुखपृष्ठ पर दर्शाया गया। लेकिन अंदर में दिये गये पंचांग ने सारे लोगों को हैरान किया। आश्चर्य तो यह भी है कि आज का आपका पंचांग आंवला नवमी बता रहा हैं। लेकिन पूरे देश में आंवला नवमी या अक्षय नवमी कल ही मना लिया गया। आपके अखबार में भी आज के समाचार में अक्षय नवमी कल संपन्न होने की खबर प्रकाशित कर दी गई हैं। आप खुद ही देखें।

आपके यहां तो धर्म से संबंधित खबरें भी अजब-गजब स्थिति में छपती हैं। जो लोगों को हैरान करती है। जैसे आपके आज के ही अखबार में खबर छपी है कि दुर्गाबाड़ी में मां जगधात्री की हुई अर्चना। अंदर समाचार में लिखा गया कि सबसे पहले महानवमी संकल्प के साथ 7.20 बजे जगधात्री पूजा शुरु हुई, जो दोपहर 2.50 बजे तक चली।

इसके बाद महासप्तमी व महाअष्टमी की पूजा में मां को बलि सम्प्रदान किया गया। अरे भाई नवमी के दिन महासप्तमी की पूजा कैसे हो गई? मतलब जो मन किया, छाप दिया और लोगों को उल्लू बनाते चले गये। भई वाह। आप भी न।

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