राजनीति

आशुतोष तिवारी प्रकरण पर सुलगा पलामू, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी का बयान जेल तो बलहोत्रा को जाना चाहिए, क्योंकि यह अवैध उगाही करता है, जनता को लूटता है

पलामू के अंचल अधिकारी बलहोत्रा द्वारा हम पार्टी के जिलाध्यक्ष आशुतोष तिवारी पर एससी-एसटी एक्ट लगाकर जेल भेजवा देने के बाद अब पलामू धीरे-धीरे सुलगने लगा है। आश्चर्य यह भी है कि राज्य में सत्तारुढ़ दल में प्रमुख भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी ने भी इस प्रकरण पर अपना मुंह खोला है और बलहोत्रा के क्रियाकलापों पर अंगुली उठा दी है। यही नहीं बलहोत्रा के खिलाफ विभिन्न सामाजिक संगठनों और आम जनता भी उद्वेलित हो रही हैं और विभिन्न सोशल साइट्स पर बलहोत्रा के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त कर रही है। अगर राज्य सरकार ने इस मामले को नहीं देखा तो ये प्रकरण राज्य सरकार के सेहत पर भी असर डालेगा।

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी ने एक यू-ट्यूब चैनल को दिये बयान में कहा है कि उनके पास बलहोत्रा के खिलाफ पुख्ता सूचना है कि वे भ्रष्ट हैं। उन्होंने खुद बलहोत्रा को कहा था कि उसके ससुर उनके नाम पर उगाही कर रहे हैं। अनुमान यह भी है कि करीब पचासों करोड़ रुपया अवैध उगाही इन लोगों ने किया है।

के एन त्रिपाठी का कहना है कि वे अपने अनुभवों के आधार पर कह सकते हैं कि जब भी पदाधिकारी एससी-एसटी एक्ट लगाते हैं, इसका मतलब होता है कि उनके पास कोई गलत को साबित करने का कोई एविडेंस नहीं हैं या अगले का कोई गलत नहीं पकड़ रहे हैं। लेकिन उसे दंडित करना चाहते हैं। ये जो बलहोत्रा है, उसके बारे में उनके पास बहुत दिनों से सूचना है, पुख्ता सूचना है।

उन्होंने बलहोत्रा को बोला भी था कि उसका ससुर उसके नाम पर उगाही कर रहा है। अनुमान यह है कि पलामू से पचासों करोड़ रुपया, अवैध उगाही इन लोगों ने किया। इसलिए जेल तो बलहोत्रा को जाना चाहिए, क्योंकि यह अवैध उगाही करता है। जनता को लूटता है। लेकिन जेल भेज दिया आशुतोष तिवारी को, एससी-एसटी एक्ट लगाकर जो गलत है। इसके दुष्परिणाम जल्द देखने को मिलेंगे। ऐसे अधिकारी जेल में दिखेंगे।

के एन त्रिपाठी आगे कहते हैं कि वे तो इसलिए नहीं बोलते हैं कि ये छोटे अधिकारी है, इनके खिलाफ बोलना उन्हें अच्छा नहीं लगता। लेकिन परिस्थितियां ऐसी हो गई कि क्या कहें? आशुतोष तिवारी हो सकता है कि कुछ आवेश में बोल दिया होगा। लेकिन जैसे ही उस पर एससी-एसटी एक्ट लगा, तो पता चल गया कि वो लड़का आशुतोष सही है और ये सीओ बलहोत्रा गलत हैं। आशुतोष को कुछ नहीं होगा, वो जेल से निकलेगा।

ये बलहोत्रा, आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ कर दिया। ये स्थिति पूरे पलामू की है। राज्य के अन्य जिलों में भी हैं। ब्यूरोक्रेसी में जो लोग काम कर रहे हैं। वो भ्रष्ट हो गई है। पैसा उगाही में लगी हुई है। इसमें जो बाधा बनता है, उसे ये शिकार बनाते हैं। वे उसकी निन्दा करते हैं। इसका विरोध करते हैं। इस अफसरशाही के खिलाफ वे लड़ेंगे।

इसी बीच वरिष्ठ समाजसेवी, पत्रकार, जेपी आंदोलन में शामिल, आपातकाल में 19 महीने जेल में बंद रहनेवाले तथा झारखण्ड विधानसभा में उप सचिव पद से सेवानिवृत्त रवि शंकर पांडेय ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि आशुतोष तिवारी अंचल अधिकारी मेदिनी नगर के कार्यालय में वैसे कार्य से गये। जो रूटीन वर्क से निबटाये जाने वाला काम था। पर अंचल अधिकारी बलहोत्रा रिश्वत के बगैर कोई काम नहीं करते। यह छुपी बात जनता के बीच नित्य चर्चा का विषय है।

रिश्वत भी ऐसा कि उनका मुख सुरसा की तरह खुला रहता है। यानी मोटी रकम।‌ इसी क्रम में आशुतोष और सीओ में बहस हो गई। जानकारी ऐसी मिली सीओ ने स्वयं कागजातों को फ़ाड़ कर आशुतोष पर एफआईआर कर दिया और एससी-एस‌टी केस भी लाद दिया। फिलवक्त आशुतोष जेल में हैं। उसे काफी जन समर्थन मिल रहा है और अंचल अधिकारी के विरुद्ध लोगों में आक्रोश है।

एंटीक्राइम सोशल वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े अरुण कुमार पांडेय सोशल साइट्स के माध्यम से लिखते हैं कि पलामू जिला के सदर अंचलाधिकारी अमरदीप बल्होत्रा द्वारा आशुतोष तिवारी पर आरोप लगाकर जेल भेजवाया जाना अति दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह का व्यवहार आम जनता और किसी भी दल के जन प्रतिनिधि के साथ बहुत ही गलत है। अगर अपनी पद के मद में वे किसी तरह का गलत कार्य करते है और पद का दुरुपयोग करते हैं तो वो भी सजा के लिए तैयार हो जाए। अगर सरकार के विरुद्ध कोई कार्य हुआ है तो उसका साक्ष्य भी सीसीटीवी फुटेज हो, सार्वजनिक किया जाए।

अरुण कुमार पांडेय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं पलामू जिला उपायुक्त से इस पूरे प्रकरण पर सदर अंचलाधिकारी के कार्यकाल का उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। साथ ही कहा है कि इनका व्यवहार बताता है की पद के गुरूर में ये घमंडी हो गए हैं और गलत तरीके से अपने ताकत का उपयोग कर अपना कार्य करते हैं।

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