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झारखण्ड जर्नलिज्म अवार्ड्स या मंईयां सम्मान योजना, रांची के पत्रकारों ने प्रेस क्लब के अधिकारियों की मंशा व अवार्ड्स चयन प्रकिया पर उठाए सवाल

जनवरी 2025 में रांची प्रेस क्लब और आरबीएस वैदिक ट्रस्ट ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेस कर झारखण्ड जर्नलिज्म अवार्ड्स 2024 देने की घोषणा की और पुरस्कृत होने की चाह रखनेवालों से 15 जनवरी तक आवेदन पत्र आमंत्रित किये और लीजिये अब उक्त अवार्ड्स देने की घोषणा भी कर दी गई। जिसको लेकर रांची प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों ने इस पूरे प्रकरण पर ही अंगूलियां उठा दी है।

रांची प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों का एक बड़ा समूह क्लब फॉर इन्फारमेशन में अपना आक्रोश व्यक्त कर रहा है और जमकर इस अवार्ड्स प्रकरण से जुड़े लोगों को लताड़ लगा रहे हैं। जिससे रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारी और आरबीएस वैदिक ट्रस्ट से जुड़े लोगों तथा जूरी कमेटी में शामिल लोगों के होश उड़े हुए हैं।

बताया यह भी जा रहा है कि दो नवम्बर को अपराह्न तीन बजे रांची के होटल रेन ड्यू में जनता दल यू के वरिष्ठ नेता व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिप्रिय, जदयू के टिकट पर राज्यसभा के सांसद बने और अब राज्यसभा के उप-सभापति बनकर स्वयं को उपकृत कर चुके हरिवंश झारखण्ड जर्नलिज्म अवार्ड्स से श्रीनिवास, शकील अख्तर, राज सिंह, माणिक बोस, राकेश तिवारी, श्याम किशोर चौबे, फैसल अनुराग, चंदन मिश्र, सोनाली दास और ब्रजेश राय आदि को सम्मानित करेंगे। लोग यह भी कह रहे हैं कि सम्मान पाने की चाहत रखने वाले की संख्या बढ़ भी सकती है।

गुस्से में आये रांची के पत्रकारों का कहना है कि यह अवार्ड्स नहीं दिया जा रहा हैं। बल्कि इसके नाम पर एक बहुत बड़ा गेम खेला जा रहा है। चूंकि नवम्बर में ही रांची प्रेस क्लब का चुनाव है। रांची प्रेस क्लब के चुनाव में फिर से सफलता हासिल हो और कुछ नये लोग जो रांची प्रेस क्लब के चुनाव में भाग लेकर सफलता हासिल करना चाहते हैं। उन लोगों ने इस प्रकार का दिमाग लगाया है और सोच समझकर ये अवार्ड की घोषणा ऐसे टाइम में कर दी, जिस पर अंगुली उठना तय था।

कई पत्रकारों का तो यह भी कहना है कि जिन्हें अवार्ड दिया जा रहा है। उनमें से एक ऐसे पत्रकार है। जो किसी जिंदगी में किसी के आगे अवार्ड लेने के लिए नाक कभी रगड़ ही नहीं सकते और न किसी के पास जाकर फार्म भर सकते हैं और ये आशा रख सकते हैं कि उन्हें कोई अवार्ड दे। उनका नाम है – शकील अख्तर। शकील अख्तर रांची का जाना माना नाम है। वे कभी इस प्रकार के गेम में नहीं पड़ते। लोगों का तो ये भी कहना है कि शायद ही वो दो नवम्बर को अवार्ड लेने के लिए उक्त होटल में जाये। जहां इन लोगों ने अवार्ड देने की घोषणा की है।

कई पत्रकारों ने यह भी कहा कि जब शकील अख्तर जी ने अवार्ड पाने की इच्छा जाहिर ही नहीं की तो फिर उन्हें अवार्ड क्यों दिया जा रहा? यहीं बात अवार्ड देनेवालों की मंशा की पोल खोलकर रख दी हैं। कई तो अवार्ड की तुलना मईयां सम्मान योजना से कर दी है।

युवा पत्रकार व रांची प्रेस क्लब के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य संजय रंजन इस पूरे प्रकरण पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि – प्रक्रिया से ज्यादा महत्वपूर्ण और सीधा सवाल यह है कि जिस संस्था से जुड़कर क्लब ने यह पहल की है, क्या इसके पीछे उस संस्था की कोई मंशा छुपी हुई है? क्या संस्था के कर्ता-धर्ता चुनाव लड़ने वाले हैं? क्या चुनाव के ठीक पहले ऐसे प्रयासों से चुनाव में हस्तक्षेप करने की कोशिश है? सवाल के साथ यह आशंकाएं भी है. क्योंकि चुनाव लड़ने वालों की सूची में उनका नाम भी है। यहां मैं इसके पक्ष में हूं कि कोई भी जो आहर्ता रखता है, चुनाव लड़ सकता है। लेकिन क्या यह फिर वैसा ही नहीं है, जैसा चुनाव से पहले पैसों के दम पर नैरेटिव सेट करते हैं।

पत्रकार अभिषेक सिन्हा कहते हैं कि नित्यानंद शुक्ला, अमर कांत दोनों के चुनाव लड़ने की जानकारियां आती रहीं हैं और दोनों ही पुरस्कार वितरण के आयोजक भी हैं और कर्ता धर्ता भी। ट्रस्ट भी शुक्ला जी का ही है। अब मुहर तो तभी लगेगी ना जब औपचारिक रूप से उम्मीदवारी का फार्म भरा जाएगा। तब तक रुझान भी सामने आने ही लगा है। क्या संस्था के साथ करार को मैनेजिंग कमेटी की बैठक में पास किया गया? क्या जूरी के नामों का चयन मैनेजिंग कमिटी की बैठक से किया गया? क्या जूरी को उपलब्ध कराए गए नामों की लिस्ट मैनेजिंग कमिटी ने बहुमत से सौंपी या जूरी में शामिल अजीत कुमार सिन्हा राज्य के सभी पत्रकारों को जानते हैं क्योंकि आवेदन राज्य भर से आमंत्रित किए गए थे? पूरी प्रक्रिया देखकर एक सवाल जरूर खड़ा हो गया है?  पुरस्कृत होने वाले पत्रकारों के नाम पर पुरस्कार देने वाले सम्मान पाने का प्रयास कर रहे हैं।

वरिष्ठ युवा पत्रकार सोहन सिंह कहते हैं कि वे दावे के साथ कह सकते हैं कि अवार्ड चेहरा देखकर दिया गया है। कोई आवेदन नहीं मिला है, न किसी ने आवेदन दिया है। अब प्रेस क्लब को बताना है कि उन्होंने जिनको चयनित किया है। उनका आधार क्या था? क्या उम्र से हिसाब से कैटेगरी में उन्होंने पत्रकारों को चुन लिया? वे आगे कहते हैं कि यह पुरस्कार नहीं है यह भैया बाबू बहन योजना है चुनाव से पहले। पुरस्कार कैसे दिया जाता है हमको भी  पता है और कैसे चयनित किया जाता है। भैया बाबू बहन योजना जिंदाबाद, जिंदाबाद, जिंदाबाद।

वरिष्ठ खेल पत्रकार व रांची प्रेस क्लब के पूर्व कोषाध्यक्ष सुशील सिंह मंटू ने खुलासा किया कि जानकारी मिली है कि आज क्लब के एक पदाधिकारी ने एक कार्यकारिणी सदस्य को क्लब में धमकाया कि यहीं कूट देंगे, व्हाट्सएप ग्रुप में क्रांति करते हो, कार्यकारिणी सदस्य ने कहा कि यही खड़े हैं, हिम्मत है तो छू कर दिखाओ, मामला ऑफिस के CCTV में कैद है। बताया जाता है कि जैसे ही कार्यकारिणी सदस्य ने उक्त पदाधिकारी को ताबड़तोड़ जवाब दिया, उस पदाधिकारी का चेहरा देखनेलायक था।

रांची के कई पत्रकारों ने जो क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में जो सवाल उठाएं हैं। वो ऐसे ही नहीं हैं। उसके प्रमाण भी मौजूद है। आप स्वयं देखिये। ये जो नीचे अखबार का कटिंग दिया जा रहा है। ये अखबार के संपादक अमरकांत है, जो रांची प्रेस क्लब के सचिव है। ये अपने ही अखबार में अपना बयान छाप रहे हैं। उनका बयान क्या हैं?

उसे ध्यान से पढ़िये – ‘प्रेस क्लब के सचिव अमरकांत ने बताया कि झारखण्ड जर्नलिज्म अवार्ड्स के लिए आज से 15 जनवरी तक रांची प्रेस क्लब में नॉमिनेशन किया जा सकता है। तीनो अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग आवेदन जमा करने होंगे। आवेदन का प्रारूप रांची प्रेस क्लब के वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं या रांची प्रेस क्लब से हासिल किया जा सकता है। विधिवत् भरा आवेदन आवश्यक डाक्यूमेंट्स के साथ रांची प्रेस क्लब में ससमय जमा किया जा सकता है।’

इसी प्रकार से जुड़ी बातें रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन ने संशोधित सूचना के माध्यम से 6 जनवरी 2025 को डाली थी। जिसका जिक्र वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार मंटू ने क्लब फार इन्फारमेंशन में उक्त समय का फोटो शॉट्स डालकर कर दिया है। आप उसे भी देंखे। जिसमें साफ जिक्र किया गया है कि 15 जनवरी तक आपसे नॉमिनेशन आमंत्रित हैं। सभी कैटेगरी के चयन में प्राप्त प्रविष्टि और चयन समिति के निर्णय को ही आधार माना जायेगा। नीचे दिया गया है।

मतलब इन सारे प्रमाणों से साफ पता चल जाता है कि रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों की मंशा कितनी साफ है? आश्चर्य यह भी है कि इतनी गड़बड़ियों के बावजूद भी कई लोग ऐसे भी हैं, जो बड़ी ढिठई के साथ गलत करनेवालों के साथ भी है। जिनमें प्रभात खबर के जमशेदपुर संपादक संजय मिश्र भी हैं, जो क्लब फॉर इन्फॉरमेशन में वर्तमान पदाधिकारियों की जय-जय करने में लगे हैं।

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